डॉ। बंसल हत्याकांड

परिवार वालों ने पूछताछ में नहीं मिला कोई खास संकेत

महर्षि यूनिवर्सिटी के पूर्व अधिकारी से हुई पूछताछ

करीबियों पर भी टिकी एसटीएफ की नजर, होगी पूछताछ

ALLAHABAD: सीसीटीवी फुटेज से मिली तस्वीरों के अलावा सबकुछ ब्लैंक है। न यह पता है कि मारने वाले थे और न ही इसका कोई सुराग मिला है कि मरवाया किसने। इस दिशा में भी कोई प्रगति नहीं है कि हत्या क्यों कराई गई। अपराधी अस्पताल से निकलने के बाद किस रास्ते भागे। वे आए किस रास्ते से थे। वह वाहन कौन सा था जिससे वे भागे और किसके नाम रजिस्टर्ड था। इलाहाबाद के रसूखदार चिकित्सक डॉ। अश्वनी कुमार बंसल की हत्या की जांच रिपोर्ट फिलहाल तक यही है। अंदर खाने में हो सकता है इससे इतर भी कुछ स्टोरी डेवलप हो गई हो लेकिन मीडिया तक जो सूचना पहुंची है उससे अंधेरे में ही तीर चलाना सामने आता है।

रास्ते की हो रही ट्रैकिंग

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जो संकेत मिले हैं उसके अनुसार बदमाशों ने घटना के बाद भागने के लिए लग्जरी वाहन का इस्तेमाल किया। बदमाशों की संख्या अगर पांच थी तो संभवत: अलग-अलग वाहन इस्तेमाल किए गए होंगे। पुलिस की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उन्हें अस्पताल के बाहर इन वाहनों के निकलने के बारे में कुछ पता नहीं है। घटनास्थल से कुछ ही आगे जाने के बाद रास्ते बंट जाते हैं और शहर से बाहर निकलने का रास्ता भी अलग-अलग हो जाता है। अपराधी नैनी ओल्ड या न्यू किसी भी ब्रिज का इस्तेमाल कर सकते हैं और झूंसी के रास्ते पूर्वाचल में निकल जाने की आप्च्र्युनिटी भी ओपन है। झूंसी और पुराना नैनी ब्रिज इस्तेमाल करने पर कोई ट्रैकिंग मुश्किल है जबकि नए ब्रिज का इस्तेमाल करने पर सीसीटीवी में वाहन के कैद होने की संभावना है। इसी के चलते पुलिस टीम ने आसपास के सभी शॉप्स में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को ट्रैक करना शुरू कर दिया है। एक बार गाड़ी की ट्रैकिंग हो जाने पर अपराधियों तक पहुंचने का रास्ता मिल सकता है। लेकिन, फिलहाल इसमें कोई कामयाबी नहीं है।

किसे सबसे ज्यादा फायदा

केस पूरा का पूरा ब्लैंक है। इस स्थिति में पुलिस को आगे बढ़ने के लिए रास्ते तो चाहिए ही। जीवन ज्योति हॉस्पिटल के आसपास के एरिया की काल डिटेल निकाली जा चुकी है। डॉ बंसल की कॉल डिटेल भी निकाली जा चुकी है। इससे यह तो पता चला है कि डॉ। बंसल गुरुवार की शाम किसी से मिलने के लिए निकले थे। लेकिन, आधे रास्ते से ही वापस लौट आए। इस दौरान भी उन्होंने मोबाइल पर किसी से बात की थी। पुलिस इसे भी ट्रेस कर रही है कि कॉल किसकी थी और क्यों की गई थी। डॉ। बंसल को कहां जाना था और क्यों वे आधे रास्ते से लौट आए। मरीजों को देखना निर्धारित समय से पहले शुरू कर देने का कारण देर शाम किसी से एप्वाइंटमेंट तो नहीं था। इसके साथ ही पुलिस यह भी जानने की कोशिश में है कि डॉ। बंसल की मौत से किसको-किसको फायदा हो सकता है। किसे सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। इसकी तह तक भी पहुंचने की कोशिश है।

खंगाले जा रहे मुकदमो के वादी

डॉ। बंसल के खिलाफ भी विभिन्न थानों में करीब दो दर्जन मामले दर्ज हैं। हत्या से जुड़े सिरे की तलाश में जुटी पुलिस ने डॉ। बंसल के खिलाफ दर्ज केस की स्टेटस जानने की कोशिश कर रही है। साथ ही टारगेट किया जा रहा है वादियों को ट्रेस किया जा रहा है कि वे कौन हैं और उनका स्टेटस क्या है। उनका इनवाल्वमेंट भी चेक किया जा रहा है।

पूर्व अधिकारी से हुई पूछताछ

प्रदेश स्तर पर चर्चित डॉ बंसल हत्याकांड के कारणों की तलाश में लगी पुलिस टीम ने सीतापुर हाईवे पर लखनऊ में स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी के पूर्व अधिकारी से पूछताछ की। कर्नलगंज क्षेत्र में स्थित अधिकारी के कार्यालय पहुंचकर टीम ने उससे यूनिवर्सिटी से जुड़े कई अहम सवाल पूछे। साथ ही अधिकारी से कई लोगों का नम्बर लिया। इस पूर्व अधिकारी से डॉ। बंसल से रिश्तों से जुड़े सवाल भी पूछे गए। बता दें कि इस यूनिवर्सिटी से बाहुबली पूर्व मंत्री, विधायक के साथ कई नेताओं व व्यापारियों का नाम भी जुड़ा है। हत्याकांड से जुड़ा कोई सीधा सुराग न होने से पुलिस अब इससे जुडे़ हर किसी को ट्रैक करने की कोशिश में है कि वर्तमान समय में उनके डॉ। बंसल से रिश्ते कैसे थे।

करीबियों की भी तैयार हो रही लिस्ट

ब्लैंक केस में पुलिस डॉ एके बंसल के करीबियों की लिस्ट भी खंगालने में लगी है। पुलिस ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार कर रही है जो डाक्टर के बेहद करीबी थे और उनके हर कारोबार के बारे में उन्हें जानकारी थी। पुलिस यह पता लगाने की भी कोशिश कर रही है कि उन्होंने किस के साथ और किस बिजनेस में कितना पैसा लगाया था।

डॉक्टर के परिजनों से पूछताछ में कोई ठोस संकेत नहीं मिला है। पुलिस अपनी पूरी कोशिश में लगी है कि जल्द से जल्द हत्यारों तक पहुंचा जाय।

विपिन तांडा

एसपी सिटी, इलाहाबाद

राजा पाण्डेय जाएगा SGPGI

डॉ। बंसल से पिछले दिनों हुए विवाद के बाद हत्याकांड की जांच में निशाने पर चल रहे करछना निवासी राजा पाण्डेय को हालत बिगड़ने पर एसजीपीजीआई शिफ्ट करने की तैयारी है। वर्तमान समय में वह एसआरएन में भर्ती है। करीब एक पखवारे पहले गोली लगने पर उसे जीवन ज्योति में भर्ती कराया गया था। पैसा न देने पर उसका डॉ। बंसल से विवाद हुआ था और उसे अस्पताल से बाहर करवा दिया गया था। बता दें कि राजा पांडेय तत्कालीन एसओ बारा राजेन्द्र द्विवेदी की हत्या का आरोपी है। उसके खिलाफ कई अन्य मामले दर्ज हैं। हालांकि उसे लखनऊ शिफ्ट करने का फैसला डॉक्टर्स का है लेकिन पुलिस अधिकारियों को यह बात हजम नहीं हो रही है। शुक्रवार को ही पुलिस ने उस पर नजर रखनी शुरू की थी। इस उद्देश्य से कि कहीं उसका इनवाल्वमेंट तो इस हत्याकांड में नहीं है।

Posted By: Inextlive