जहर से कम नहीं बाजार में बिकने वाला सरसों का तेल

जांच रिपोर्ट में पांच नमूने पाए गए असुरक्षित, दर्ज की जाएगी रिपोर्ट

ALLAHABAD: बाजार में बिकने वाला सरसों का तेल सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं है। इसका सेवन करने से कई घातक बीमारियां हो सकती हैं। मिलावटखोरों ने चंद पैसे के फायदे के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। खाद्य सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट भी इसी ओर इशारा कर रही है। हाल ही में आई जांच रिपोर्ट में सरसों के तेल के पांच नमूने फेल पाए गए हैं, इससे अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ मुकदमा दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है।

मिलाया जा रहा यलो कलर

कुछ महीने पहले भेजे गए सरसों के तेल के नमूनों में जांच के बाद हानिकारक यलो बटर कलर मिला है। यह कलर सेहत के लिए काफी खतरनाक माना जाता है। इसमें शामिल खतरनाक रंग किडनी और लीवर को काफी नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का जनक भी माना जाता है। सरसों के तेल में इसकी मिलावट पर कड़ी रोक लगाई गई है, फिर भी मिलावटखोर बाज नहीं आ रहे हैं।

ऐसे करें पहचान

- हाथ साफ करके तेल की मालिश करें। यदि तेल त्वचा पर रंग छोड़ता है तो इसमें मिलावट है।

- तेल से बने व्यंजन खाने पर यदि एसिडिटी ज्यादा होती है तो इसमें रसायन की मिलावट है।

- तेल में मिलावट होने से इसको गर्म करने के दौरान रसोई में सिर चकराने जैसी स्थिति हो सकती है।

- मिलावटी तेल के व्यंजन प्रयोग करने से गैस बनने, पेट फूलने की शिकायत आ सकती है।

यह हो सकता है नुकसान

- तेल में रंगों के प्रयोग से किडनी के साफ्ट टिश्यू डैमेज होने लगते हैं।

- घातक रंगों के प्रयोग से किडनी में पथरी-गांठ बनने की शिकायत आती है।

- रसायन मिला होने से हार्ट और आंत को नुकसान पहुंचता है।

- रसायन मिला तेल प्रयोग करने से गर्भस्थ शिशु का जीवन संकट में पड़ जाता है।

- मिलावटी तेल के प्रयोग से बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है।

- मिलावटी तेल से आमाशय और किडनी का कैंसर हो सकता है।

इनके सैंपल हुए हैं फेल

लैब में भेजे गए सरसों के तेल के नमूने जिले के कई जगहों से कलेक्ट किए गए थे। इनमें चमनगंज कोरांव के कन्हैयालाल, ओम ट्रेडर्स हंडिया, पुरानी खोवामंडी सोरांव के शिव कुमार केसरवानी, एलनगंज का सुधीर जनरल स्टोर और नयागंज पुरामुफ्ती के अमन केसरवानी के नमूने लैब में जांच के दौरान फेल पाए गए। सभी में यलो बटर कलर मिला पाया गया है। इसे खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम में असुरक्षित श्रेणी में रखा जाता है।

यह है दंड का प्रावधान

जांच में नमूना यदि स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित है और वह नुकसान नहीं पहुंचा सकता तो छह माह तक की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। असुरक्षित और त्वरित नुकसान न पहुंचाने पर एक साल की सजा और तीन लाख रुपये तक जुर्माना। असुरक्षित होने के साथ अधिक नुकसानदायक होने पर छह साल की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माना। मृत्यु होने पर सात साल तक की सजा और 10 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।

बच्चों की टॉफी में भी मिलावट

तेल के अलावा मिठाई और बच्चों की टाफी भी पूरी तरह असुरक्षित है। इनमें भी जानलेवा मिलावट पाई गई है। रिपोर्ट में शारदा कन्फेक्शरी बाई का बाग की टॉफी, लूकरगंज के राजेश कुमार और हाशिमपुर अमन स्वीट की बर्फी में चांदी का वर्क असुरक्षित पाया गया है। बता दें कि मई में भेजे गए 65 में से 35 नमूने फेल आए हैं। सबसे बड़ी बात यह कि अधिकतर नमूने असुरक्षित श्रेणी में आए हैं।

- सरसों के तेल में जानलेवा मिलावट के कई मामले सामने आए हैं। एक साथ पांच नमूने फेल होना वाकई अच्छे संकेत नहीं हैं। खतरनाक मिलावटखोरों के खिलाफ जल्द ही केस दर्ज कराकर जेल भेजा जाएगा।

हरिमोहन श्रीवास्तव, डीओ, खाद्य सुरक्षा विभाग इलाहाबाद

Posted By: Inextlive