एलर्ट जारी होने के बाद प्रदेशभर में लिए जा रहे दवाओं के सैंपल

शंका होने पर अधिकारी भी जांच के लिए भेजते हैं लैब

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ALLAHABAD: दवा कंपनियों की मनमानी चरम पर है। रैपर पर असली और नकली की पहचान करने का कोई विकल्प नहीं है। खुद ड्रग विभाग को भी दवा की पहचान करने के लिए लैब भेजना पड़ता है। वह भी तब जब राजस्थान में नकली दवाओं के पकड़े जाने पर पूरे देश में एलर्ट जारी किया गया है।

न तो बार कोड, न टोल फ्री नंबर

कुछ समय पहले केंद्र सरकार की ओर से दवाओं के रैपर पर टोल फ्री नंबर या बार कोड डालने के आदेश दिए गए थे। इक्का-दुक्का दवा कंपनियों को छोड़कर किसी भी कंपनी की दवा पर यह दोनो आप्शन नही मिलते हैं। मेडिकल स्टोर ने जो थमा दिया वही खाना होगा। पब्लिक असली नकली में अंतर भी करना चाहे तो यह उसके बस की बात नही होगी।

केवल कर सकते हैं शिकायत

सरकार ने इतनी जरूर रियायत दी है कि आप दवा की संदिग्धता पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए आपको फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के टोल फ्री नंबर 18001805533 पर कॉल करना होगा। इसी विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन भी कम्प्लेन दर्ज कराई जा सकती है। आप चाहे तो ममफोर्डगंज स्थित कमिश्नर कार्यालय में एफएसडीए के विभाग में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

हाईलाइटर

दवाओं की पहचान के लिए नही है विकल्प।

इलाहाबाद में रोजाना तीन करोड़ रुपए का है दवा कारोबार।

तकरीबन 1200 होल सेलर और इसके दोगुनी है रिटेल की दवा दुकानें।

दवाओं के रैपर पर बार कोड या कंपनी का टोल फ्री नंबर जैसा कोई आप्शन नही है मौजूद।

एफएसडीए के अधिकारी भी जांच के लिए भेजते हैं लैब।

एफएसडीए यानी फूड सेफ्टी ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के टोलफ्री नंबर 18001805533 पर दर्ज करा सकते हैं शिकायत।

राजस्थान में नकली दवांए मिलने पर पूरे देश में जारी किया गया है एलर्ट।

अभी तक दवाओं के असली-नकली पहचान का कोई जरिया नही है। हमलोग भी पहचान के लिए लैब में सैंपल भेजते है। हमारी ओर से लगातार छापेमारी जारी है। लोग शिकायत करेंगे तो कार्रवाई की जाएगी।

केजी गुप्ता,

असिस्टेंट कमिश्नर, ड्रग विभाग

पब्लिक दवा खरीदने जाती है तो उसके पास इसमें नकली असली का फर्क करने का कोई आप्शन नही है। सरकार दबाव बनाएगी तो कंपनियां इस ओर कदम उठा सकती हैं।

परमजीत सिंह,

महामंत्री, इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

Posted By: Inextlive