हैप्पी होली के लिए खुद बनें फूड इंस्पेक्टर
- होली से पहले तेल और मसालों में मिलावट शुरू हुआ खेल
- विभाग के भरोसे न बैठें, घर पर ही कर लें मिलावट की जांच ALLAHABAD: केवल दूध और खोवा नहीं बल्कि होली पर तेल और मसालों पर भी मिलावटखोरों की नजर है। इनको खाने से सेहत को भारी नुकसान पहुंच सकता है। त्योहार नजदीक होने के बावजूद अभी तक खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है, ऐसे में आई नेक्स्ट बताएगा कि कैसे घर बैठे मिलावट की जांच की जा सकती है। इसलिए तैयार हो जाइए और हमारे बताए तरीकों से पल भर में मिलावट का पर्दाफाश खुद फूड इंस्पेक्टर बन जाइए। ऐसे की जा सकती है जांच 1- सरसों का तेल - सरसों या दूसरे खाद्य तेलों में आर्जीमोन, मोबिल, खनिज, अरंडी, कास्टर, सायनाइड आदि तेलों की मिलावट की जाती है।- जिनसे आंत रोग, ड्राप्सी, हार्ट अटैक, श्वांस रोग, लीवर फेल्योर, कैंसर, लकवा आदि का खतरा होता है।
- तेल के तीन मिलीलीटर नमूने में नाइट्रिक एसिड की बीस बूंद मिलाकर स्प्रिट लैंप में तीन मिनट गर्म करने पर रंग लाल हो जाए तो आर्जीमोन की मिलावट की पुष्टि होगी।- बीस बूंद नमूने में दस बूंद केओएच मिलाकर पांच मिनट गर्म करने पर तेल गाढ़ा हो जाए तो मोबिल की मिलावट है।
लास्ट ईयर होली के त्योहार पर की गई जांच में कई सैंपल फेल हो गए थे। इनमें खतरनाक मिलावट सामने आई थी। जिसको लेकर दो दर्जन से अधिक मिलावटखोरों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया गया है। मामला फिलहाल कोर्ट में है लेकिन एक्सपर्ट बताते हैं कि आसान नुस्खों का इस्तेमाल कर घर बैठे मिलावट से बचा जा सकता है। - होली के पहले मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान चलाया जाना तय है। अगर लोगों को मिलावट का शक है तो वह विभाग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। हरिमोहन श्रीवास्तव, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग इलाहाबाद- पेट्रोलियम ईथर डालकर बर्फ में ठंडा करने पर तेल सफेद गंदला हो जाए तो अंरडी या कास्टर तेल की मिलावट है।
- तेल में दस बूंद एल्कोहलिक पोटाश मिलाने पर रंग नीला हो जाए तो सायनाइड की मिलावट है। 2- पिसी हल्दी - इसमें मेटानिल यलो यानी पीले रंग की मिलावट की जाती है। जिससे कैंसर होने का खतरा होता है। - नमूने को टेस्ट ट्यूब में लेकर इसमें एचसीएल की पांच से दस बूंद मिलाने पर मैजेंटा लाल हो जाता है जो पानी में मिलाने पर नहीं बदलता। जिसे पीले रंग के मिलावट की पुष्टि होती है। 3- खड़ी हल्दी - इसमें लेड क्रोमेट की मिलावट की जाती है। जिससे एनीमिया, लकवा या अल्सर का खतरा होता है। - खड़ी हल्दी को हाइड्रोक्लोरिक एसिड के साथ गर्म कर छान लेते हैं। छनित्र में पोटेशियम आयोडाइड मिलाने पर पीला रंग मिलता है तो जो लेड क्रोमेट की मिलावट को दर्शाता है। 4- लाल मिर्च - लकड़ी का बुरादा रोडामीन बी से रंगकर मिलाया जाता है। जिससे कैंसर, लीवर या गुर्दे का रोग होता है।- लाल मिर्च के चूरे को पानी से भरे ग्लास में डालने पर बुरादा तैरता है, रोडामीन बी रंग पानी में आ जाता है। छानकर एचसीएल मिलाने पर लाल रंग आ जाए तो मिलावट की पुष्टि होती है।
5- काली मिर्च - इसमें पपीता के बीच मिलाए जाते हैं जिससे लीवर के रोग होते हैं। - पानी से भरी शीशे की ग्लास में काली मिर्च डालने पर पपीता के बीज तैरने लगते है। यह मिलावट को दर्शाता है। 6- मिठाई, जैम, जैली - इसमें मेटोनिल यलो या पीला रंग मिलाया जा ता है। जिससे कैंसर होता है। - नमूने को पानी में गर्म कर छान लें और फिर इसमें एचसीएल मिला दें। लाल बैंगनी रंग आए तो मिलावट है। 7- अरहर की दाल - इसमें खेसारी मटर मिलाई जाती है जिससे जोड़ों में दर्द या विकलांगता रोग होता है। - इसे आवर्धक लेंस से देखने में दोनों दाने अलग-अलग दिखते हैं, जिससे मिलावट की पुष्टि होती है। 8- चाय - इसमें प्रतिबंधित कोलतार या कृत्रिम रंग मिलाया जाता है। जिससे पेट व लीवर रोग या कैंसर का खतरा होता है। - भीगे सोखता कागज पर चाय की पत्ती छिड़कने पर बनावटी चाय का रंग कागज पर आ जाता है। जिससे मिलावट पता चलती है। 9- काफी- इसमें इमली या खजूर के बीच का पावडर मिलाया जाता है। जिससे जोड़ों में दर्द या डायरिया की शिकायत होती है।
- परखनली में जल लेकर नमूने को डालना और इसमें सोडियम बाईकार्बोनेट का विलयन डालने पर काफी तैरती है। और लाल रंग के साथ मिलावट नीचे बैठ जाती है। 10- शहद - इसमें चीनी का शीरा, ग्लूकोज या फ्रक्टोज मिलाया जाता है। जिससे आर्थिक हानि होती है। - रूई की बत्ती शहद में डुबोकर जलाने पर न जले या आवाज के साथ जले तो मिलावट है। बॉक्स दांव पर लग जाएंगे लीवर और किडनी तेल में मोबिल, मिर्च में कलर और चाय में कोलतार जैसी खतरनाक मिलावट पलक झपकते ही लीवर और किडनी को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। फिजीशियन डॉ। ओपी त्रिपाठी कहते हैं कि त्योहार के मौके पर लोगों को खानपान की चीजें खरीदने से पहले अच्छी तरह से जांच परख कर लेनी चाहिए। पिछले साल फेल हुए थे कई सैंपल