- 32 साल से सिटी में लगातार हो रहा है मिनी फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन

- 12 वर्ष के स्कूली बच्चे, जिनकी हाइट 4 फीट 8 इंच से कम हो, वही भाग ले सकते हैं इस आयोजन में

RANCHI (12 June) : रांची से फुटबॉल के उम्दा खिलाडि़यों का निकलना भले ही कम हो गया हो, लेकिन इस कोहरे के बीच भी कुछ संगठन लगातार फुटबॉल को जिंदा रखने की कोशिश में जुटे हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम है वाईएमसीए का। इस संगठन के द्वारा पिछले 32 सालों से मिनी फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कराया जा रहा है, जिसमें स्कूल स्तर से ही बेहतरीन प्रतिभाओं को सामने लाया जाता है। वाईएमसीए वर्ष 1969 से ही रांची में शिक्षा, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्त्रम, हेल्थ, वोकेशनल प्रोग्राम तथा धार्मिक कार्यक्त्रमों में योगदान देता आ रहा है। इसी कड़ी में उसका सबसे बड़ा प्रयास है रांची में फुटबॉल की प्रतिभाओं को निखारना।

बच्चे खाली पैर खेलते हैं फुटबॉल

वाईएमसीए हर साल इंटर स्कूल मिनी फुटबॉल टूर्नामेंट कराता है, जो अपने आप में अनोखा ही है। इसकी शतर्ें भी बिल्कुल अलग हैं। इस टूर्नामेंट में 12 साल की उम्र के बच्चे ही भाग ले सकते हैं। इससेज्ज्यादा के बच्चे नहीं। दूसरी ओर, जिनकी ऊंचाई 4 फीट 8 इंट से कम हो, उन्हें ही खेलने का मौका दिया जाता है। बच्चे खाली पैर ही फुटबॉलस खेलते हैं। इतना ही नहीं, फुटबॉल मैदान से लेकर गोल पोस्ट तक का आकार छोटा रखा जाता है। वाईएमसीए में मिनी फुटबॉल टूर्नामेंट वर्ष 1979 में शुरू किया गया। तब यह ओपेन टूर्नामेंट था। एक साल बाद 1980 में इसे इंटर स्कूल कर दिया गया। अब तक 32 टूर्नामेंट हो चुके हैं। इस टूर्नामेंट की शुरुआत का श्रेय डब्ल्यूएचसी डेविड, स्वर्गीय सैमुएल सांगा और रफायल हंस को जाता है।

बीस स्कूलों के बच्चे लेते हैं भाग

इस टूर्नामेंट में करीब 20 स्कूलों के बच्चे भाग लेते हैं। ज्यादातर हिन्दी मीडियम स्कूल के ही बच्चे होते हैं। नॉकआउट बेसिस पर करीब एक महीने तक यह टूर्नामेंट चलता है। स्कूली बच्चों को हर साल इस टूर्नामेंट में खेलने का इंतजार रहता है। जीतने और हारने वाली टीमों को ट्रॉफी के साथ ही कैश प्राइज भी दिया जाता है। इतना ही नहीं, हर खिलाड़ी को मोनेंटो और 5 बेस्ट प्लेयर को कैश प्राइज भी मिलता है। अब तक सबसे ज्यादा बार संत जॉन्स स्कूल ने इस टूर्नामेंट को जीता है। उसके बाद प्रभात तारा स्कूल का नंबर आता है। यह टूर्नामेंट संत पॉल्स हाई स्कूल के मैदान में खेला जाता है।

खेल कोटे से मिली नौकरी

इस टूर्नामेंट की खासियत यह है कि इसमें लगातार खेलने वाले बच्चे एक मुकाम जरूर हासिल कर लेते हैं। वाईएमसीए के जेनरल सेक्त्रेटरी कोन्हास कुजूर बताते हैं कि इस प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य ही है फुटबॉल और इसके खिलाडि़यों के स्तर को ऊंचा उठाना। आज कई खिलाड़ी इसी टूर्नामेंट से खेलने के बाद प्रसिद्धी पा चुके हैं। उन्हें खेल कोटे से ही एचईसी, मेकॉन, बिजली बोर्ड आदि में नौकरी भी मिल चुकी है।

कोट

रांची में फुटबॉल को जीवित रखने के लिए इस तरह के टूर्नामेंट का आयोजन का होता रहना जरूरी है। इससे खिलाडि़यों को प्रोत्साहन मिलता है और नयी प्रतिभाएं सामने आती हैं। यह पूरे स्टेट में हो, तो और भी बेहतरीन खिलाड़ी निखारकर सामने आयेंगे।

डॉ मो जाकिर, वाईएमसीए सदस्य

Posted By: Inextlive