विधानसभा में पीईटीएन कांड को लेकर हुए हंगामे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन को बताया कि राज्य सरकार ने इस मामले के दोषी अधिकारी फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी के डायरेक्टर डॉ. श्याम बिहारी उपाध्याय को बर्खास्त कर दिया है। बता दें कि लेकिन इसके चंद मिनटों बाद ही गृह विभाग द्वारा डॉ. उपाध्याय को जबरन सेवानिवृत्त किए जाने का आदेश पत्रकारों के मोबाइल पर आ गया।


इसलिए हुए थे बर्खास्तध्यान रहे कि डॉ. उपाध्याय द्वारा संदिग्ध पाउडर को पीईटीएन करार देने वाली गलत रिपोर्ट देने के बाद राज्य सरकार ने उनके खिलाफ विस्तृत जांच कराकर सस्पेंड किया था। साथ ही डायरेक्टर विजिलेंस को उनके खिलाफ विस्तृत जांच करने के आदेश भी दिए थे। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों में फसे एफएसएल के वैज्ञानिक अधिकारी राघवेंद्र यादव को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया है। बता दें कि ये भी लंबे समय तक सस्पेंड रह चुके हैं और पूर्ववर्ती सपा सरकार में उन्हें बहाल किया गया था।

जांच में सही पाए गये थे आरोप
अपने कारनामों से सुर्खियां बटोरने वाले एफएसएल के डायरेक्टर डॉ. उपाध्याय को राज्य सरकार ने बीते चार सितंबर को सस्पेंड किया था। इससे पहले उनके खिलाफ पूर्व की जांच का पूरा लेखा-जोखा बिहार से मंगवाकर उसका परीक्षण भी किया गया। दरअसल, विधानसभा के मुख्य मंडप में मिले संदिग्ध पाउडर को पहले पीईटीएन करार देने और बाद में इस बाबत वरिष्ठ अधिकारियों को लगातार गुमराह करने पर शासन ने उन्हें आरोप पत्र थमाते हुए 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा था। वहीं डायरेक्टर विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी को उनके  खिलाफ विस्तृत जांच का जिम्मा भी सौंपा था। सस्पेंशन पीरिएड के दौरान डॉ. उपाध्याय को डायरेक्टर विजिलेंस के कार्यालय से संबद्ध किया गया था। इस बीच गृह विभाग ने उनका नाम 50 साल से ज्यादा उम्र वाले कर्मचारियों की स्क्रीनिंग में भी शामिल कर लिया। मंगलवार को राज्यपाल द्वारा इस बाबत अनुमति मिलने के बाद उन्हें जबरन सेवानिवृत्त किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि सेवानिवृत्त किए जाने की वजह से उनके खिलाफ जारी जांच भी खत्म कर दी गयी है।   ये आरोप लगे थे- विधानससभा मंडप जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील परिसर में पाए गये पाउडर के संबंध में अपूर्ण, अप्रमाणिक एवं त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट भेजना, उच्चाधिकारियों को गुमराह करना।- संदिग्ध पाउडर की एक्सपायर हो चुकी एक्सप्लोसिव डिटेक्शन किट से जांच कराना- जांच गैर विशेषज्ञ तथा विस्फोटक अनुभाग से इतर अनुभाग से कराना एवं अनाधिकृत एवं अनियमित रूप से समयमान वेतनमान का लाभ स्वीकृत कर वित्तीय अनियमितता तथा अपनी मनमर्जी करना शामिल है।- पटना एफएसएल में 28 फरवरी 2008 से 20 अगस्त 2010 तक प्रभारी निदेशक रहने के दौरान जांचों में गड़बडिय़ां एवं वित्तीय अनियमितताओं के तमाम आरोप- पटना एफएसएल में सैंपल की जांच के बिना फर्जी तौर पर गांधी मैदान थाना कांड संख्या 308/07 की डीएनए जांच रिपोर्ट सीजेएम पटना के कोर्ट में सौंपना


- अनाधिकृत रूप से स्वयं शासन के अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रोन्नति समिति गठित कर एफएसएल के कर्मचारियों को एसीपी का लाभ देना तथा इसी तरह प्रविधिज्ञों को गलत तरीके से प्रौद्योगिक पदाधिकारी के पद पर प्रोन्नति देना- गैरकानूनी तरीके से पासपोर्ट बनवाने का भी आरोप, पासपोर्ट दफ्तर से छिपाई थी खुद पर दर्ज मुकदमों की जानकारी

Posted By: Mukul Kumar