- आबादी में वाइल्डलाइफ को घुसने से रोकने की कवायद

- वाइल्डलाइफ इमोबिलाइजेशन के लिए विदेशी टेक्नोलॉजी का होगा उपयोग

- ट्रैंक्युलाइजेशन की प्रॉसेस में यूज होगी विदेशी दवाएं, की जाएंगी इंपोर्ट

देहरादून,

ह्यूमन-वाइल्डलाइफ कॉन्फि्लक्ट पर कंट्रोल के लिए उत्तराखंड में विदेशी दवा की डोज का इस्तेमाल किया जाएगा। आबादी वाले एरिया में एंट्री रोकने के लिए वाइल्डलाइफ को ट्रैंक्युलाइज करने के लिए विदेशों में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं इंपोर्ट की जाएंगी और उनका यूज किया जाएगा। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) द्वारा ये कवायद शुरू की गई है, जिसमें केंद्र सरकार की हेल्प ली जा रही है व उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट भी शामिल है। उत्तराखंड में ह्यूमन-वाइल्डलाइफ कॉन्फि्लक्ट के केसेज लगातार बढ़ रहे हैं, डब्ल्यूआईआई का यह इनीशिएटिव कामयाब रहा तो ऐसे केसेज में कमी आएगी। इंसानों के साथ-साथ वाइल्डलाइफ भी सेफ रहेगी।

विदेश से ट्रेनिंग लेकर लौटी टीम

डब्ल्यूआईआई द्वारा वाइल्डलाइफ इमोबिलाइजेशन व रिहैबिलिटेशन को लेकर साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग, प्रिटोरिया व क्रूजर नेशनल पार्क में फॉरेस्ट व डब्ल्यूआईआई के स्पेशलिस्ट्स को 7 दिन की ट्रेनिंग दी गई। 3 से 9 नवंबर तक ट्रेनिंग चली। टीम में डब्ल्यूआईआई वैटरनरी डॉक्टर राकेश नौटियाल व साइंटिस्ट डॉ। अमित ध्यानी, डॉ। प्रेमा ध्यानी व डॉ। सनत मूल्या शामिल रहे।

कैमिकल इमोबिलाइजेशन इफेक्टिव

साउथ अफ्रीका में डब्ल्यूआईआई की ओर से गई टीम ने वाइल्डलाइफ की आबादी वाले इलाकों में एंट्री को रोकने के लिए कैमिकल इमोबिलाइजेशन की प्रॉसेस को स्टडी किया। इसमें वहां उपयोग में लाई जाने वाली दवाओं की जानकारी ली गई, जो इमोबिलाइजेशन में इफेक्टिव पाई गईं और इनके उपयोग से वाइल्डलाइफ भी सेफ बताई गई है। इन दवाओं को किसी भी एनिमल को ट्रैंक्युलाइज करने में अच्छे रिजल्ट मिलने की बात कही गई है।

ये दवाओं का करेंगे यूज

एट्रोफिन

मेडेटोमाइडीन

ब्यूटोरफेनॉल

अब तक ये दवा होती थी यूज

जाइलाजीन

केटामाइन

बाम

न लेटेस्ट मेडिसिन, न मॉडर्न इक्विपमेंट

उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास वाइल्डलाइफ ट्रैंक्युलाइजेशन के लिए न तो एडवांस इक्विपमेंट मौजूद हैं, न ही लेटेस्ट मेडिसिन्स। विदेशों में ट्रैंक्युलाइजेशन के लिए जहां लेटेस्ट और सेफ एट्रोफिन, मेडेटोमाइडीन और ब्युटोरफेनॉल का यूज किया जा रहा है वहीं राज्य में अब तक जाइलाजीन, केटामाइन व बाम का यूज किया जा रहा है। इक्विपमेंट्स से लैस व्हीकल्स की भी कमी है। ऐसे में अब डब्ल्यूआईआई ने केंद्र सरकार से वाइल्डलाइफ इमोबिलाइजेशन, रेस्क्यू व ट्रैंक्युलाइजेशन के लिए विदेशी मेडिसिन्स के इंपोर्ट की परमिशन मांगी है। डब्ल्यूआईआई के डायरेक्टर डॉ। जीएस रावत ने बताया कि जल्द ही मेडिसिन इंपोर्ट करने की परमिशन मिल जाएगी, जो वाइल्डलाइफ की सेफ्टी के लिए भी कारगर होगी।

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विदेशों से बेहतर इक्विमेंट व मेडिसिन इंपोर्ट करने के लिए डब्ल्यूआईआई द्वारा केंद्र सरकार से परमिशन मांगी गई है, लेटेस्ट मेडिसिन व इक्विपमेंट के यूज के लिए एक टीम साउथ अफ्रीका से ट्रेनिंग लेकर भी लौट चुकी है। परमिशन मिलते ही वाइल्डलाइफ इमोबिलाइजेशन को और कारगर किया जा सकेगा।

-डॉ.जीएस रावत, डायरेक्टर, डब्ल्यूआईआई।

Posted By: Inextlive