अमेरिका ने 1963 में आज ही के दिन यानी कि 22 नवंबर को अपने सबसे चहेते और युवा राष्ट्रपति को खो दिया था। आइये उनसे जुडी कुछ बातें जानते हैं।


कानपुर। अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या 1963 में आज ही के दिन 22 नवंबर को कर दी गई थी। जब उनकी मौत हुई तब वह सिर्फ 46 साल के थे। बता दें कि जॉन एफ कैनेडी का जन्म मैसाचुसेट्स में 29 मई, 1917 को हुआ था। सीएनएन के मुताबिक, सेना में अपनी सर्विस देने के बाद जेएफके डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ गये और 1960 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होकर 43 साल की उम्र में 20 जनवरी, 1961 को अमेरिका के दूसरे सबसे युवा राष्ट्रपति बन गए। कैनेडी एकमात्र ऐसे कैथोलिक राष्ट्रपति थे, जिन्हे पुलित्जर खिताब से सराहा गया था।चुनाव प्रचार के दौरान मारी गई गोली


अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में जॉन एफ कैनेडी का कार्यकाल सिर्फ दो साल, दस महीने और दो दिन का था लेकिन इतने ही दिन में उन्होंने इतनी शोहरत पायी जितना कि शायद ही किसी राष्ट्रपति को मिला हो। कैनेडी का नाम आज भी दुनिया के चर्चित राष्ट्राध्यक्षों की फेहरिस्त में सबसे आगे दिखाई देता है। द गर्जियन की एक मुताबिक,  22 नवंबर 1963 को कैनेडी को टेक्सास के डैलास शहर में उस वक्त गोली मार दी गई थी जब वह चुनाव प्रचार के लिए एक ओपन कार में लोगों के बीच जा रहे थे। कैनेडी की हत्या ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। उनकी हत्या के कई कारण सामने आये लेकिन आज तक भी इस हत्या की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है।आरोपी को भी मार दिया गया कैनेडी की हत्या के 45 मिनट बाद पुलिस ने 'ली हार्वी ओसवाल्ड' नाम के एक व्यक्ति को इस हत्या के लिए गिरफ्तार किया था लेकिन अदालत में उस पर मुकदमा चलने से पहले ही उसे भी मार दिया गया। उसके हत्यारे का नाम जैक रूबी था और वह डलास में एक नाईट क्लब चलाता था। अमेरिकी पुलिस ने बाद में एक आधिकारिक बयान जारी कर यह बताया कि ओसवाल्ड एक मात्र ऐसा व्यक्ति था, जो कैनेडी की हत्या में शामिल था लेकिन बावजूद इसके वहां के लोगों ने पुलिस की इस बात का विश्वास नहीं किया और आज तक अमेरिका में इस हत्याकांड की जाँच जारी है। रूसी राष्ट्रपति पर भी शक

बता दें कि कैनेडी उस दौर में राष्ट्रपति बने थे जब अमेरीका और रूस के बीच पूंजीवाद और समाजवाद की लड़ाई चरम पर थी। वह शीत युद्ध का दौर था। इस लड़ाई ने दुनिया में  राजनैतिक रूप ले लिया था। वहीं दूसरी ओर क्यूबा के मिसाइल प्रोग्राम से पूरी दुनिया चिंतित थी। अमेरिका लगातार रूस पर दबाव बना रहा था। इसलिए रूस को वहां से अपनी मिसाइल हटानी पड़ी थीं जो उसके लिए एक बड़ी हार की तरह थी। इसके बाद रूस और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया। उस समय रूस के राष्ट्रपति निकिता क्रुसचेव थे । कैनेडी की हत्या के बाद यह भी माना गया कि इस हत्या में क्रुसचेव का हाथ हो सकता है। उस समय कहा जा रहा था कि उन्होंने अपनी जासूसी एजेंसी केजीबी एजेंट के हाथों ये काम करवाया है। हालांकि, अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।

Posted By: Mukul Kumar