- लूटा ने एलयू वीसी पर लगाया

- एलयू के वीसी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले निर्गत किया इंटरव्यू

LUCKNOW: यूनिवर्सिटी के वीसी ने कार्यकाल पूरा होने से ठीक 12 दिन पहले शिक्षा संकाय की प्रमोशन की चयन समिति आयोजित की, जिसमें दो शिक्षक डॉ। अरुण कुमार एवं डॉ। सरवन को इंटरव्यू के लिए पत्र भेजा। वहीं दो महिला शिक्षिकों डॉ। अर्पना गोडबोले तथा डॉ। अर्चना अग्रवाल को पत्र नहीं भेजा गया। कुलसचिव की आपत्ति के बाद भी आनन-फानन में दीपावली की छुट्टियों में कार्यालय खुलवा कर एसोसिएट प्रोफेसर का फॉर्म डॉ। अरुण कुमार तथा डॉ। सरवन से भराया गया। वहीं 30 तारीख को दोनों शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर दोनों के लिए इंटरव्यू कराने की तैयारी है जबकि चयन समिति का आयोजन केवल प्रोफेसर पद के लिए किया गया था। लूटा ने वीसी द्वारा किए गए चयन पर आपत्ति दर्ज की है। साथ ही आरोप लगाया है कि दोनों शिक्षक इस पद के लिए योग्य नहीं हैं।

लूटा ने पदनाम व वेतमान पर उठाए सवाल

लूटा अध्यक्ष डॉ। नीरज जैन ने आरोप लगाया कि दोनों ही शिक्षक बिना एसोसिएट प्रोफेसर के प्रोफेसर नहीं हो सकते थे। फिर उन्हें प्रोफेसर पद के लिए इंटरव्यू के लिए पत्र क्यों भेजा गया। पत्र भेजते समय क्या प्रोफेसर पद के लिए अहर्ता की जांच नहीं की गई। यदि दो शिक्षिकाओं की अहर्ता जांच करके उनको प्रोफेसर पद के लिए योग्य नहीं माना गया तो डॉक्टर अरुण कुमार और डॉक्टर सरवन की जांच क्यों नहीं की गई। डॉ। अरुण कुमार और डॉ। सरवन को यूनिवर्सिटी प्रशासन यदि अभी तक एसोसिएट प्रोफेसर नहीं मान रहा है तो किस आधार पर उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर का पदनाम एवं वेतनमान दिया गया। इसके लिए कौन दोषी है। क्या उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। क्या दोनों शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर पद धारण करने से होने वाले लाभ वापस ले लिए जाएंगे। क्या उनके वेतन की वसूली की जाएगी।

पहले भी हो चुकी है अनियमितता

डॉ। नीरज ने आरोप लगाया कि वर्तमान वीसी ने इससे पूर्व विधि संकाय, समाज कार्य विभाग, हिंदी विभाग तथा पत्रकारिता विभाग के शिक्षकों को भी बिना एसोसिएट प्रोफेसर की चयन समिति करवाए ही प्रोफेसर बनाया है। इन शिक्षकों के प्रोफेसर पद को अवैध घोषित कर वापस ले लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त लखनऊ यूनिवर्सिटी में कई प्रोफेसर बिना एसोसिएट प्रोफेसर की चयन समिति फेस किए ही प्रोफेसर बना दिए गए। एलयू प्रशासन उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई करेगा, जो शिक्षक सहायक प्रोफेसर से सीधे कैडर में प्रोफेसर हुए हैं। ऐसे शिक्षकों ने एसोसिएट प्रोफेसर की जो सैलरी ली है क्या उसकी रिकवरी नहीं की जानी चाहिए।

चयन समिति फेस किए बगैर बन गए प्रोफेसर

एलयू ने डॉ। उमेश सक्सेना के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय में तथा कुलाधिपति को शपथ पत्र दे चुके हैं कि एलयू में किसी भी शिक्षक को बिना एसोसिएट प्रोफेसर की चयन समिति के एसोसिएट प्रोफेसर का वेतनमान एवं पदनाम नहीं दिया गया है। शासन को भी इसी प्रकार की आख्या दी गई है जबकि मौैजूदा समय में वीसी ने ही तमाम ऐसे शिक्षकों को जिन्होंने एसोसिएट प्रोफेसर की चयन समिति फेस नहीं की थी, सीधे प्रोफेसर बनाया है। डॉ। उमेश सक्सेना ने आरटीआई के माध्यम से एसोसिएट प्रोफेसर की चयन समिति फेस किए बिना प्रोफेसर बनाए गए शिक्षकों पर सूचना मांगी थी जिसको एलयू दबाकर बैठ गया है। लूटा अध्यक्ष डॉ। नीरज जैन ने कहा कि एलयू के वीसी शासनादेश तथा यूनिवर्सिटी परीनियमावली का लगातार उल्लंघन करते आए हैं। जो व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू है उसे एलयू में लागू नहीं किया गया। वीसी पक्षपातपूर्ण ढंग से कुछ विशेष शिक्षकों को लाभ देने के लिए आनन-फानन में चयन समितियां आयोजित कर रहे हैं जबकि अमूमन वीसी कार्यकाल के अंतिम समय में ऐसा नहीं किया करते।

Posted By: Inextlive