Jamshedpur: बात एजुकेशन की हो जॉब की हो या बिजनेस की महिलाएं हर फिल्ड में आगे बढ़ रही हैं. बात सिटी की करें तो यहां भी इकोनॉमिक एक्टिविटीज में महिलाओं का पार्टिसिपेशन बढ़ रहा है. महिलाएं घरों से निकलकर तो काम कर ही रही हैं और कई तो घर से ही इनकम के नए-नए साधन खड़े कर रही हैं. सेंसस के आंकड़ों के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट में डिफरेंट हाउसहोल्ड इंडस्ट्रीज चलाने वाले लोगों में करीब 40 परसेंट महिलाएं हैं. ये ना सिर्फ घर पर रहकर अच्छा इनकम कर रही हैं बल्कि बिजनेस के नए मॉडल भी खड़े कर रही हैं.

घर से चल रहा business
आदित्यपुर की रहने वाली ममता अग्र्रवाल पिछले सात साल से राजस्थानी वुड हैैंडिक्राफ्ट और सेमी प्रिसियस स्टोन ज्वेलरी का बिजनेस कर रही हैं। दूर-दूर से लोग उनके पास से हैैंडिक्राफ्ट के आइटम खरीदने आते हैं। ममता ने इस बिजनेस को चलाने के लिए ना तो कोई शोरूम रखा है ना ही कोई वर्कशॉप, बल्कि इतने सालों से ये बिजनेस उनके घर से ही चल रहा है। जुगसलाई की उर्मिला केडिया भी घर से ही किड्स बुटिक चलाती हैं। उनके यहां न्यू बोर्न से लेकर 12 साल की उम्र तक के बच्चों के लिए कई बड़े ब्रांड के प्रोडक्ट्स मिलते हैं। इन्हीं की तरह सिटी में ऐसी कई महिलाएं हैं, जो घर से ही कई तरह के बिजनेस रन कर रही हैं।

दूसरी महिलाओं को भी मिल रहा रोजगार
ये महिलाएं ना सिर्फ खुद के लिए तरक्की के राह खोल रही हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर खड़े कर रही हैं। कई महिलाएं अपना बिजनेस चलाने के लिए स्टाफ के तौर पर सिर्फ महिलाओं को ही रखा है। ममता अग्रवाल ने बताया कि हैंडिक्राफ्ट का काम करने के लिए उन्होंने चार महिलाओं को रखा है। रश्मि साहू भी 12 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। उन्होंने कहा कि यहां काम करने में वे कंफर्टेबल भी फील करती हैं, साथ ही अच्छी आमदनी भी हो जाती है।

हो रही है अच्छी आमदनी
घरों में रहकर अपना बिजनेस चला रही इन महिलाओं के लिए ये महज टाइम पास का जरिया नहीं, बल्कि वे इसकी सीरियस प्लेयर हैं। ये बिजनेस उनके लिए इनकम का एक बड़ा जरिया है। उर्मिला केडिया ने बताया की हर महीने उनका टर्न-ओवर करीब 2 से 3 लाख रुपए है। आदित्यपुर में प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाली रश्मि साहू ने कहा कि वो इंडस्ट्रियल एरिया की ज्यादातर कंपनीज के प्रिंटिंग से रिलेटेड छोटे-बड़े काम करती हैं। ममता अग्र्रवाल ने भी कहा कि हैैंडिक्राफ्ट आइटम्स की अच्छी डिमांड है। सिटी के अलावा आस-पास के इलाकों से भी लोग उनके पास लकड़ी, मार्बल से बने हैैंडिक्राफ्ट आइटम्स खरीदने आते हैं।  

घर पर बैठने से क्या फायदा
उर्मिला के हसबैंड राजेश केडिया बताते हैं कि उनकी वाइफ पढ़ी-लिखी हैं। ऐसे में घर पर खाली बैठने से बेहतर है कि कोई काम किया जाए। उन्होंने कहा कि यही सोचकर उन्होंने अपना बिजनेस स्टार्ट किया। अपना बिजनेस करने वाली दूसरी महिलाओं और उनके फैमिली मेंबर्स की भी कुछ ऐसी ही सोच है। ममता अग्रवाल ने कहा की राजस्थान से होने के नाते उन्हें राजस्थानी हैंडिक्राफ्ट में काफी इंटरेस्ट था। उन्होंने कहा कि  शादी के बाद लगा कि इधर-उधर की बातों में रहने से बेहतर है कि कोई काम किया जाए और यही सोचकर बिजनेस की शुरुआत की।

'मैं पिछले सात सालों से अपना बिजनेस कर रही हूं। इससे हुई अर्निंग से ही घर से ही चलाती हूं। इससे आमदनी के साथ दूसरों को रोजगार और सेल्फ सटिस्फेक्शन भी भी मिल रहा है.' 
-ममता अग्र्रवाल

Report by: jamshedpur@inext.co.in

Posted By: Inextlive