- पैथोलॉजी डिवीजन के फाउंडेशन डे पर हुआ सेलिब्रेशन

- रिटायर्ड साइंटिस्ट का किया गया सम्मान, स्टूडेंट्स को बताए अचीवमेंट्स

बरेली : आईवीआरआई में फ्राइडे को डिवीजन ऑफ पैथोलॉजी में विज्ञान के ज्ञान की गंगा बही। वैज्ञानिकों ने एक से बढ़कर इंट्रेस्टिंग और नॉलेज भरी रिसर्च के बारे में बताया। साथ ही, यह भी बताया कि किस तरह से लगातार आईवीआरआई का पैथोलॉजी डिवीजन एक से बढ़कर एक रिसर्च कर रहा है। पशुओं में हो रहीं बीमारियों की डायग्नोसिस के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। चर्चा के लिए न्यू जनरेशन डायग्नोस्टिक्स फॉर एनिमल डिसीज सब्जेक्ट रखा गया। पीजी और पीएचडी के स्टूडेंट्स ने जहां एक ओर अपनी जिज्ञासाओं को सामने रखा तो वहीं, दूसरी ओर रिसर्च पर अपनी राय भी दी। शाम को कल्चरल प्रोग्राम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के संयुक्त निदेशक (शोध) डा। बीपी मिश्रा ने किया।

6 सितंबर, 1963 में हुई स्थापना

डिवीजन के एचओडी डा। केपी सिंह ने बताया कि पैथोलॉजी डिवीजन की स्थापना 6 सितंबर 1963 को हुई। इससे पहले मुक्तेश्वर में इसका केवल एक सेक्शन था। 13 साल से फाउंडेशन डे मनाया जा रहा है। इसे लेकर हर साल बच्चों और फैकल्टी में काफी उत्सुकता रहती है।

इन रिसर्च से मिली पहचान

डा। केपी सिंह ने बताया कि डिवीजन ने अब तक कई महत्वपूर्ण रिसर्च की हैं। आईबीआर, एमसीएफ, स्वाइन फ्लू, मारेक्स आदि बीमारियों का देश में सबसे पहले निदान किया गया। इस समय विभाग में कुल नौ रिसर्च प्रोजेक्ट चल रहे हैं। 1975 में भैंस और गायों में होने वाले मेलिंगनेंट कटारल फीवर की जांच कर इस बीमार का कंफर्मेशन किया गया। बोवाइन हरपीज जीवाणु का पता लगाया गया। यह बीमारी भी भैंसों और गायों में होती है। इसके अलावा, गाय, भैंस, बकरी और भेड़ में होने वाली बीमारी क्लेमडिया और मुर्गियों में होने वाली माइक्रो प्लाज्मा के बारे में पता लगाया गया। मुर्गियों की बीमारी मेरिड डिसीज लीपोसिस कैंसर के बारे में भी बड़ी खोज हुई। सुअरों में होने वाली कई गंभीर बीमारियों के बारे में जांच कर पता लगाया गया। इंसानी कैंसर के भी सैंपल जांचें जाते हैं। इतना ही नहीं, पशुओं के विषाक्त रोगों पर भी काम हुआ है।

प्रमुख रूप से हुए शामिल

डा। विद्या ने बताया कि रिटायर्ड साइंटिस्ट में डॉ। पी द्विवेदी, डॉ। आरबी राय, डॉ। आई वी मोगा, डॉ। एमएल मेहरोत्रा, डॉ। एसडी सिंह, डा। राजेंद्र सिंह, डा। रमेश सोमवंशी आदि को बुलाया गया था। रिसर्च में विशेष योगदान के लिए इनको सम्मानित किया गया। इन्होंने अपनी उपलब्धियों के बारे में बताया। कार्यक्रम में अन्य विभागाध्यक्ष व साइंटिस्ट भी मौजूद रहे।

पीजी-पीएचडी के स्टूडेंट्स हुए शामिल

फाउंडेशन डे के इस सेलिब्रेशन में पहले और दूसरे दोनों सेशन में पीजी और पीएचडी के स्टूडेंट्स ही शामिल हुए। इन्होंने साइंटिस्ट के विचार सुने। इनके लिए क्विज कॉम्पटीशन भी रखा गया था। इसके साथ ही, केस प्रजेंटेशन कॉम्पटीशन भी कराया गया। इसमें स्टूडेंट्स ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।

कल्चरल प्रोग्राम में बांधा समां

पीजी और पीएचडी के स्टूडेंट्स ने शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। एक से बढ़कर एक गानों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डांस प्रोग्राम में भी स्टूडेंट्स छा गए। इस दौरान संस्कृति की छटा देखने को मिली। खास बात यह रही कि अलग- अलग राज्यों सेस्टूडेंट्स होने की वजह से साउथ का भी कल्चर देखने को मिला।

Posted By: Inextlive