RANCHI: रिम्स में सीटी स्कैन मशीन के खराब होने से न केवल मरीजों को परेशानी हो रही है। बल्कि प्रबंधन को भी अबतक 4 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का नुकसान हो चुका है। इतना ही नहीं, पढ़ाई करने वाले पीजी स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल की क्लास पूरी तरह से ठप पड़ी है। जिससे कि वे पढ़ाई तो कर रहे हैं लेकिन प्रैक्टिकल नॉलेज उनके लिए सिर दर्द बना हुआ है। अब विवादों के चक्कर में मशीन की सप्लाई भी अटक गई है, जिससे यह साफ है कि प्रबंधन को किसी की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है। तभी तो एक साल से खराब मशीन बनवाने को लेकर प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखाई।

प्राइवेट सेंटर वालों की कमाई

हॉस्पिटल में हर दिन ओपीडी में 2000 के लगभग मरीज आते हैं। इनमें से 200 मरीज न्यूरो के होते हैं। उनमें से कुछ मरीजों को सीटी स्कैन कराने की सलाह दी जाती है। वहीं कई बार ऑर्थो, ट्रामा केस और मेडिसीन वालों को भी सीटी स्कैन लिख दिया जाता है। ऐसे में 70-80 मरीज हर दिन सीटी स्कैन कराने के लिए पहुंचते थे। लेकिन एक साल से मशीन खराब होने के कारण ये मरीज हेल्थमैप और प्राइवेट सेंटर में जा रहे हैं। इससे रिम्स को होने वाली इनकम उनके खाते में जा रही है।

मरीजों को होती राहत, रिम्स को इनकम

हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज फ्री में होता है। लेकिन यहां किए जाने वाले टेस्ट के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट के रूल्स लागू होते हैं। ऐसे में मिनिमम रेट पर ही मरीजों का टेस्ट किया जाता है। वहीं सीटी स्कैन के लिए 1000-5000 रुपए तक चार्ज निर्धारित है। यही चार्ज प्राइवेट सेंटरों में जाने पर दो से तीन गुना तक बढ़ जाता है। जिससे कि मरीजों की जेब भी खाली हो रही है। जबकि रिम्स को भी होने वाली कमाई बंद पड़ गई है। अगर ये पैसे रिम्स के खाते में आ जाते तो डेवलपमेंट का कुछ काम हो जाता। वहीं मरीजों की परेशानी भी कम हो जाती।

Posted By: Inextlive