'कदम चूम लेती है खुद आ कर मंजिल मुसाफिर अगर अपनी हिम्‍मत ना हारे.' किसी ने ऐसे ही यह नहीं कहा है. जब भी आप किसी सक्‍सेस स्‍टोरी पर रिसर्च करेंगे तो यह बात साबित होगी. दरअसल सफलता के चार सूत्र हैं. इन सबकी डोर आपके हाथ ही होती है. बस आपको धैर्य पूर्वक इन्‍हें कंट्रोल करना होता है. आइए जानते हैं क्‍या हैं ये चार सूत्र और कैसे कंट्रोल करें...


पहले लक्ष्य तय करेंसफलता की फसल के लिए जरूरी है कि सबसे पहले हम एक जमीन तैयार करें. बोले तो अपनी रुचि के अनुसार लक्ष्य तय करें कि जीवन में क्या करना है. ऐसा करेंगे तो प्रयास में मन लगा रहेगा और हम उसे बोझ समझ कर नहीं करेंगे बल्कि पूरे उत्साह और लगन के साथ उस काम को करेंगे. किसी और के बनाए लक्ष्य पर काम करेंगे तो परिणाम वही ढाक के तीन पात. उस काम या पढ़ाई को हम बोझ की तरह निपटाएंगे. जबकि यही काम अपनी रुचि का होगा तो हम उसे ज्यादा समय देंगे. इससे हम उस काम में पारंगत हो जाएंगे या फिर दूसरों से ज्यादा जानते रहेंगे.दूसरा समर्पण का भाव
हम जो भी करें उसे समर्पित भाव से करें. लगातार करें. ऐसा नहीं कि दो दिन जिम गए फिर तीसरे दिन टाल दिया. फिर धीरे-धीरे जाना छोड़ दिया. जिम का तो एक उदाहरण है ऐसा किसी भी काम को लेकर हो सकता है. कहने का मतलब यह है कि जिस काम का बीड़ा उठाया जाए उसे निरंतरता के साथ लगातार करें. ताकि हम उसकी कमियों को जान कर लागातार सुधार ला सकें. ऐसा करके हम खेल, काम या फिर अपनी पढ़ाई को बेहतर बना सकते हैं. सफलता के लिए यह बेहद जरूरी है. आपने तो सुना ही होगा अधजल गगरी छलकत जाए. किसी भी चीज में पूर्णता बहुत जरूरी है और यह निरंतरता से ही आती है.तीसरा सहयोग जरूरीऐसा नहीं कि लक्ष्य तय करने के बाद लगातार काम करने से ही सफलता मिल जाती है. ऐसा नहीं होता. इसमें आसपास के माहौल और लोगों का सहयोग बहुत जरूरी होता है. फर्ज करें कि कोई पढ़ना चाहता हो और उसी टाइम उसके घर में और लोग टीवी देख रहे हों तो उसका पढ़ना मुश्किल है. इसलिए हम अपने आसपास ऐसा माहौल बनाए रखें कि दूसरे भी आपका सहयोग करें. यह तभी संभव है जब हमारा व्यवहार दूसरों के प्रति मृदु और संयमित हो. हम किसी से ऐसा व्यवहार कतई ना करें जो हमें खुद पसंद ना हो. दूसरों से मेलजोल बना कर रखें. कब कौन कहां काम आ जाए और कौन कब कहां आपका बुरा कर डाले यह कहा नहीं जा सकता. इसलिए सबसे अच्छा व्यवहार रखें. ऐसे में कोई आपका अच्छा नहीं कर सकने की स्थिति में होगा तो बुरा भी तो नहीं सोचेगा.चौथा 'भाग्य' पर भरोसा


बहुतों को यह कहते सुना होगा कि बहुत मेहनत की लेकिन सफलता नहीं मिली. फलां को थोड़ी सी मेहनत में ही आसमान मिल गया. दरअसल यह चीज एकदम ऐसी नहीं है जैसा बताया जाता है. कुछ कमी रहती है जो हमें पता नहीं चलती और लगातार मेहनत करने पर अपने आप दूर हो जाती है. उसे ही लक कहते हैं. अब इसे एक दूसरे उदाहरण से समझते हैं. दो लोग अलग-अलग जगह के लिए बस का इंतजार कर रहे हैं. पहले वाले की बस जल्दी आ गई और दूसरे वाले की बस रास्ते में पंचर हो गई. इसका मतलब यह नहीं कि उस जगह की बस नहीं जाएगी. आधे घंटे बाद वह व्यक्ति निराश होकर वापस चला गया. उसके जाने के पांच मिनट बाद ही वह बस आ गई. लेकिन वह तो यही कहेगा कि आज बस नहीं आई. सफलता के लिए जरूरी है कि आप निरंतर लगे रहें क्योंकि फल आपको किस स्टेज पर मिलेगा यह तय नहीं है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh