RANCHI: कोई विधायक बनने का सपना लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। कोई मंत्री बनने का ख्वाब पूरा करने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए है, तो कोई मुख्यमंत्री बन कर राज्य की बागडोर अपने हाथ में लेने के लिए सर्दी में भी पसीना बहा रहा है। यह भी तय है कि विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद कोई विधायक, कोई मंत्री, तो कोई मुख्यमंत्री बन जाएगा। लेकिन इस चुनावी प्रक्रिया में पर्दे के पीछे कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जिनके कंधों पर सफलतापूर्वक विधानसभा चुनाव संपन्न कराने की अहम जिम्मेवारी है। ये हैं स्टेट चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर पीके जाजोरिया, एडिशनल चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर कमल किशोर सोन और हिमानी पांडेय। राज्य के ये तीनों सीनियर ब्यूरोक्रेट लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव कराने के लिए एक बार फिर मोर्चे पर हैं। ऐसे में ये लोग चुनाव को किस रूप में ले रहे हैं, यह जानने के लिए आई नेक्स्ट आपको रूबरू करा रहा है, इस त्रिमूर्ति से।

1. अहले सुबह से रात दो बजे तक काम कर रहे हैं जाजोरिया

सुबह 6 बजने के साथ ही राज्य के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर पीके जाजोरिया की दिनचर्या शुरू हो जाती है। एक तरफ जहां उनके मोबाइल पर कॉल आनी शुरू हो जाती हैं, वहीं उनके मेल पर भी ढेरों मैसेज आ जाते हैं। सबकी कॉल का जवाब देना, जरूरी निर्देश देने के साथ ही चुनाव में कहां क्या हो रहा है, यह जानकारी लेने वह अपने ऑफिस पहुंच जाते हैं। वहां चुनाव अधिकारियों के साथ मीटिंग करने के साथ ही राज्य भर के निर्वाचन अधिकारियों और आब्जर्वर से वह लगातार बातें करते हुए चुनाव पर पैनी नजर बनाए रखते हैं। सुबह से देर रात तक उनका यही रूटीन होता है। झारखंड विधानसभा चुनाव को फ्री एंड फेयर कराने की चुनौती उनकी दिनचर्या में शामिल हो गई है। राज्य में लोकसभा चुनाव को सफलतापूर्वक कराने की जिम्मेदारी भी जाजोरिया के हाथ में थी और उसमें वह सफल भी हुए थे। अपने दो सहयोगियों आईएएस ऑफिसर कमल किशोर सोन और हिमानी पांडेय के साथ मिलकर उन्होंने शांतिपूर्वक चुनाव करवाया था। विधानसभा चुनाव में भी यही तीनों लोग एक बार फिर साथ हैं। श्री जाजोरिया कहते हैं कि फ्री एंड फेयर चुनाव करवाना उनका कर्तव्य है। अपने सहयोगियों के साथ मिलकर वह इसके लिए काम भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब से वह राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बने हैं, तब से उनका एक ही लक्ष्य है कि राज्य में अच्छे से चुनाव हो और लोकतंत्र के इस उत्सव में राज्य भर की जनता की भागीदारी बिना डर-भय के हो और मतदान का रिकार्ड बने। हालांकि इसमें वह काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं।

फैमिली के लिए समय निकालना मुश्किल

झारखंड सरकार के कई प्रमुख विभागों में सचिव रह चुके पीके जाजोरिया बताते हैं कि सिविल सर्विस में आने के बाद बिजी तो रहना ही पड़ता है, लेकिन झारखंड का मुख्य निर्वाचन अधिकारी बनने के बाद व्यस्तता और बढ़ गई है। मुश्किल से फैमिली के लिए टाइम निकाल पाते हैं। हालांकि कोशिश जरूर होती है कि खाना परिवार के साथ ही खाएं।

नहीं भूल पाता खेलगांव की घटना

झारखंड सरकार में कई विभागों में अपने काम से अलग पहचान बना चुके श्री जाजोरिया राज्य के एक बेहद ईमानदार और मेहनती अधिकारी माने जाते हैं। इसीलिए इन्हें झारखंड राज्य का मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बनाया गया है। हर जगह अपने काम की इन्होंने अलग छाप छोड़ी है। लेकिन यह भी मानते हैं कि निर्वाचन आयोग से जुड़कर चुनाव करवाने की जिम्मेदारी संभालना एक चुनौतपूर्ण काम है। लोकसभा चुनाव के दौरान खेलगांव में ईवीएम बदले जाने की घटना को याद करते हुए वह बताते हैं कि उस समय कुछ लोगों की गलतफहमी के कारण जो घटना घटी, वैसी दोबारा घटना नहीं होनी चाहिए। उस समय आयोग पर कुछ लोगों ने अंगुली उठाने की भी कोशिश की, लेकिन जांच में सबकुछ पाक-साफ पाया गया और आयोग की गरिमा बनी रही। लोगों का आयोग पर विश्वास भी बना रहा।

काम को लेते हैं चुनौती के रूप में

पीके जाजोरिया को जो भी जिम्मेदारी मिली है, उसे वह चुनौती के रूप में लेते हुए सफलता पूर्वक रिकॉर्ड बनाते रहे हैं। बात चाहे रांची डीसी के तौर पर पंचायत चुनाव करवाने की हो या लातेहार डीसी के तौर पर नक्सल प्रभावित गांवों में पहुंचकर लोगों के दुख-दर्द को समझने और उसे दूर करने की हो, उनका काम हमेशा सराहनीय रहा है।

Posted By: Inextlive