Dehradun : एक्स प्राइम मिनिस्टर स्व. इंदिरा गांधी के सपना अधूरा रह गया. एफआरआई कैंपस में उनके द्वारा करीब 32 साल पहले रोपे गए रुद्राक्ष को पिछले साल आई आंधी ने उलट दिया. एफआरआई के साइंटिस्ट्स ने इंदिरा गांधी के इस पौधे को ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी के जरिए नया जीवनदान देने की कोशिश की थी लेकिन सबकुछ नाकामयाब रहा. इस समय पेड़ पूरी तरीके से सूख गया है और इसी की साथ पूर्व पीएम की इस निशानी पर भी खतरा मंडरा गया है.


खुले मैदान में किया था ट्रांसप्लांटएक्स प्राइम मिनिस्टर स्व। इंदिरा गांधी ने अपनी एफआरआई विजिट के दौरान 19 दिसंबर 1981 को कैंपस में रुद्राक्ष का पौधा रोपा था। इतने समय के बाद ये पौधा पेड़ बन चुका था, लेकिन पिछले साल 24 जून को आई तेज आंधी ने इस पेड़ को उखाड़ दिया। एफआरआई साइंटिस्ट्स ने जी-तोड़ मेहनत के बाद मेन बिल्डिंग के पीछे ओपन ग्राउंड में पेड़ को ट्रांसप्लांट भी करवा दिया। इस पेड़ को ट्रांसप्लांट करवाने में करीब छह घंटे लगे। पेड़ को ट्रांसप्लांट करवाने के लिए एफआरआई साइंटिस्ट डा। अर्जुन रावत की अगुवाई में कई साइंटिस्ट्स ने हेल्प की। लेकिन ये पेड़ सरवाइव नहीं कर पाया।नहीं मिला पुर्नजीवन
एक्स प्राइम मिनिस्टर स्व। इंदिरा गांधी की निशानी के तौर पर इस पेड़ का खासा ख्याल रखा जाता था। जड़ें बचाने के लिए साइंटिस्ट्स ने कैमिकल का भी यूज किया था। सभी साइंटिस्ट्स ने टेक्नोलोजी के जरिए इस पेड़ को ट्रांसप्लांट करवाने के साथ पुर्नजीवन देने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन इसमें सफलता हाथ नहीं लग पाई। फिलहाल, ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी से रुद्राक्ष के पेड़ को जीवनदान न मिल सकने के कारण इस मिशन में जुड़े सभी साइंटिस्ट्स भी सकते में हैं।

Posted By: Inextlive