-कई अधिकारियों को अर्दब में लेने के बाद एसएसपी को भी झांसे में लेने की कर रहा था कोशिश

- शक होने पर एसएसपी ने कराई जांच, गिरफ्तार करने के बाद की जा रही पूछताछ

- लाल बत्ती और सेना के फर्जी नम्बर प्लेट लगी गाड़ी से चलता था

-फर्जी आईडी, दस्तावेज, लैपटॉप, सीडी समेत कई सामान बरामद

KANPUR : शहर में एक संदिग्ध युवक पिछले कई दिनों से आला अधिकारियों को अर्दब में लेकर खुफिया जानकारी जुटा रहा था। वो सेना के फर्जी नम्बर और लाल बत्ती लगी कार से सरकारी ऑफिस जाता था और वहां पर खुद को रॉ ऑफिसर बताकर गोपनीय दस्तावेज जुटा रहा था। उसने यहीं हथकंडा एसएसपी पर इस्तेमाल किया तो एसएसपी को उस पर शक हो गया। उन्होंने सच्चाई जानने के लिए पड़ताल कराई तो उनका शक यकीन में बदल गया। जिसके बाद उसको गिरफ्तार कर लिया गया। अब उससे पूछताछ कर ये पता लगाया जा रहा है कि वो किसके इशारे पर गोपनीय सूचना और दस्तावेज जुटा रहा था। कहीं उसके संबंध किसी आतंकी संगठन से तो नहीं? उससे पूछताछ करने के लिए आईबी समेत अन्य जांच एजेंसी के अधिकारी देर शाम को संबंधित स्थान पहुंच गए।

ये है फर्जी अफसर की हकीकत

पुलिस समेत अन्य सरकारी दफ्तर में जाकर गोपनीय जानकारी जुटाने वाले इस शख्स की पहचान नौबस्ता के शंकराचार्य नगर निवासी आशुतोष त्रिपाठी के रूप में हुई है। उसके पिता महेंद्र रिटायर्ड टीचर हैं। उसके दो बहनोई राहुल द्विवेदी और स्वर्णदत्त तिवारी हैं। जिसमें राहुल अगरतला रेजीमेंट फ्0क् में कर्नल हैं, जबकि स्वर्णदत्त टाटामोटर में डीजीएम है। उसको चाचा सुरेंद्र ने गोद ले रखा था। उनके मरने के बाद करीब क्0 लाख रुपए की सम्पत्ति आशुतोष को मिली थी। जिसके बाद से उनका रहन-सहन बदल गया।

पीआरओ भी रखता था साथ

पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि आशुतोष चार साल पहले बहनोई राहुल के घर गया था। वहां राहुल से मिलने कई अधिकारी आते थे। जिन्हें देखकर वो अधिकारियों के तौर-तरीके सीख गया। जिसके बाद से वो खुद को आईआरएस के ए-ग्रेड का अफसर बताने लगा। वो अधिकारियों को झांसा देने के लिए लाल बत्ती लगी इंडिगो कार से चलता था। जिसमें सेना के फर्जी नम्बर की प्लेट लगी थी। उरई निवासी राजकुमार पाण्डेय, धीरेन्द्र सिंह और पुष्पेंद्र तिवारी भी उसके साथ चलते थे। जिसमें राजकुमार ड्राइवर और धीरेन्द्र नौकर था, जबकि पुष्पेंद्र पीआरओ का काम देखता था। वो जब किसी ऑफिस में जाता था तो पुष्पेंद्र पीआरओ की तरह वहां जाकर आशुतोष के आने के बारे में बताता था। वो आशुतोष का परिचय रॉ अधिकारी के रूप में देता था। जिससे सामने वाले अधिकारी अर्दब में आ जाता था।

एसएसपी को मामू बनाने में फंसा

पुलिस के हत्थे चढ़ा फर्जी रॉ अफसर आशुतोष एसएसपी केएस ईमेनुएल को भी शीशे में उतराने के लिए उनसे मिलने पहुंच गया। उसके पीआरओ पुष्पेंद्र ने कॉल करके एसएसपी से मिलने का टाइम लिया। जिसके बाद वो उनके बंगले पहुंच गया। उसने एसएसपी को उनका नाम लेकर सम्बोधित किया, तो एसएसपी को शक हुआ कि इस तरह से कोई भी अधिकारी दूसरे अधिकारी को सम्बोधित नहीं करता है। एसएसपी ने शक होने पर आशुतोष से पूछा कि वो किस बैच के हैं, तो उसने बेखौफ होकर बताया कि वो ख्00म् बैच का। उसके जाने के बाद एसएसपी ने ख्00म् बैच के अधिकारियों से उसके बारे में पड़ताल की, तो सभी ने आशुतोष को जानने से मना कर दिया। जिसके बाद एसएसपी ने आईबी से उसके बारे में पूछताछ की, तो उनका शक यकीन में बदल गया। जिसके बाद उन्होंने उसको गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।

थाना, क्राइम ब्रांच, कंट्रोल रूम के लगा रहा था चक्कर

फर्जी रॉ अधिकारी आशुतोष पिछले तीन दिन से पोस्टमार्टम हाउस, स्वरूपनगर थाने, क्राइम ब्रांच, कंट्रोल रूम और एसएसपी ऑफिस के चक्कर लगा रहा था। उसने पोस्टमार्टम हाउस में खुद को रॉ अफसर बताकर संबंधित अधिकारी से बीते छह महीने में पोस्टमार्टम होने वाले बॉडी की लिस्ट और फोटो मांगी थी। वो स्वरूपनगर थाने की पुलिस से किसी के मौत होने की पुष्टि कर रहा था, लेकिन अभी तक ये पता नहीं चल पाया कि वो किसकी मौत होने की पुष्टि कर रहा था। इस बारे में क्राइम ब्रांच, आईबी समेत अन्य एजेंसी पूछताछ कर रही हैं। इसके अलावा उसने क्राइम ब्रांच और कंट्रोल रूम से पिछले छह महीने की बड़ा चौराहे की सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी मांगी थी। उसने ये फुटेज क्यों मांगी थी, इस बारे में भी पूछताछ की जा रही है।

फर्जीवाड़े की पूरी दुकान है वो

एसएसपी का निर्देश मिलते ही पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया। उसके कब्जे से छह एटीएम, फिक्स टेलीफोन, कैमरा, लैपटॉप, तीन मोबाइल, आईकार्ड, भारत सरकार व सेना की नकली मोहर, सीडी समेत कई गोपनीय दस्तावेज बरामद हुए हैं। उसके पास कई लोगों की मार्कशीट समेत अन्य दस्तावेज भी मिले हैं। जिससे माना जा रहा है कि वो जॉब लगवाने का झांसा देकर लोगों को ठग लेता था। कुछ लोगों ने कोतवाली में जाकर इसकी पुष्टि भी की है। साथ ही पता चला कि उसने खुद को रॉ अधिकारी बताकर एक अच्छे परिवार में शादी भी तय कर ली थी।

नौकरों को भी सच्चाई का पता नहीं था

पुलिस के हत्थे चढ़ा फर्जी रॉ अधिकारी और उसके साथियों को कोतवाली में हिरासत में रखा गया। आई नेक्स्ट ने उसके ड्राइवर, नौकर और पीआरओ से बात की तो तीनों ने खुद को बेकसूर बताया। तीनों का कहना है कि उन्हें भी आशुतोष की सच्चाई के बारे में नहीं मालूम था। वे खुद उसको रॉ अधिकारी समझते थे। आशुतोष उनको महीने की शुरुआत में तय सेलरी देता था। जिससे उनको कभी शक नहीं हुआ।

'पुलिस ने एक संदिग्ध युवक को गिरफ्तार किया है। वो खुद को रॉ अधिकारी बताकर जानकारी जुटा रहा था। वो किसके लिए जानकारी जुटा रहा था या वो ये फर्जीवाड़ा क्यों कर रहा था। इसके बारे पूछताछ की जा रही है। फिलहाल उसके खिलाफ ब्ख्0, ब्क्9, क्70, ब्म्8 आईपीसी की धारा में रिपोर्ट दर्ज की गई है.'

केएस ईमेनुएल, एसएसपी

Posted By: Inextlive