दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट संवाददाता ने रविवार की रात से लेकर सोमवार सुबह तक पौष पूर्णिमा स्नान पर फाफामऊ से संगम नोज तक का जो हाल देखा वह कुछ यूं रहा

01 बजे रात

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट संवाददाता ने फाफामऊ की तरफ से रात का यह सफर शुरू किया। उस तरफ बिल्कुल सन्नाटा था। लेकिन दारागंज आते-आते नजारा बदल चुका था। लोगों की कतारें दिखने लगीं। दारागंज से संगम तक लोगों का रेला लगा हुआ था। कल्पवासी सिर पर गठरी और मुंह से मां गंगा की जय-जय करते संगम की तरफ चले जा रहे थे।

04 बजे सुबह

स्नान के पावन मौके पर संगम क्षेत्र में पहुंचने के बाद रात और दिन का भेद मिट जाता है। अब तक सुना था, पहली बार महसूस भी किया। कुहरे की चादर बिछी हुई थी, लेकिन आस्था बलवान थी, लिहाजा ठंड बेअसर साबित हो रही थी। स्नानार्थी हर-हर गंगे बोलकर संगम में डुबकी लगा रहे थे और बला की ठंड को बाय-बाय बोल दे रहे थे।

4.30 बजे सुबह

अचानक से संगम पर भीड़ बढ़ने लगी। नहाकर निकलने वाले लोग घाटों पर ही जमे हुए थे। उधर नहाने आने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही थी। लाउडस्पीकर पर अनाउंस के बावजूद लोग घाटों से जल्दी-जल्दी नहीं हट रहे थे पुलिस ने मोर्चा संभाला। सीटियां बजनी शुरू हो गईं। किसी को समझाइस दी गई कि नहा चुके तो आगे बढ़ो। वहीं बाज न आने पर कुछ लोगों को घुड़की भी दी गई।

4.45 बजे सुबह

पुलिस के सक्त्रिय होने का असर यह हुआ कि जिस संगम नोज पर थोड़ी देर पहले सिर्फ लोगों के सिर ही सिर ही दिखाई दे रहे थे, वहां अचानक से पुलिस का मजमा नजर आने लगा। इसका असर यह हुआ कि जो लोग पीछे थे और घाट तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उन्हें सहूिलयत होने लगी।

5.30 बजे

संगम के उस पार भगवान सूर्य दस्तक दे रहे थे और इस पार जनमानस का सैलाब उमड़ता जा रहा था। आपसी समन्वय और तालमेल का अनोखा नजारा। किसी का किसी से कोई परिचय नहीं, फिर भी मुस्कुराकर एक-दूसरे को कपड़े रखने की जगह देने और आगे बढ़ने का रास्ता देने का सिलसिला चलता रहा।

6.00 बजे

भारतीय अध्यात्म को लेकर विदेशियों का क्त्रेज किसी से छुपा नहीं है। मेरी बगल में तस्वीरें उतार रहा एक परदेसी सज्जन अचानक कपड़े उतारने लगे। मुझे कहा, प्लीट टेक केयर दिस और डुबकी लगा आए। बोले इतने लोगों को नहाता देख सोचा मैं भी पुण्य ले लूं। इसी तरह विदेशियों का एक ग्रुप अपनी अलमस्ती में झूमता, हर-हर महादेव के नारे लगाता संगम स्नान के लिए चला आ रहा था। पीछे-पीछे चल रही एक युवती से मैंने पूछा, फ्रॉम िव्हच कंट्री? जवाब में मुस्कुराई और बोली, नॉट फ्रॉम एनी कंट्री, अराउंड द व‌र्ल्ड। यानी किसी एक देश से नहीं, दुनिया भर से।

7.00 बजे

लाउडस्पीकर पर अनाउसंमेंट का सिलसिला तेज होने लगता है। गुम हो जाने वालों की तादाद बढ़ने लगी है। प्रशासन द्वारा दिए जा रहे तमाम टिप्स भी काम नहीं आ रहे। खोया-पाया सेंटर पर खो जाने वालों की सूची लंबी होती जा रही है। कभी अनाउंस करने वाले तो कभी खुद गुम हुए लोग अपनी आवाज में अपनों को पुकार रहे हैं। सिलसिला शाम तक चलता रहा।

Posted By: Inextlive