एफएसएसआई ने एथिलीन गैस को बताया स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित

केला, पपीता, आम पकाने के लिए हो रहा काबाईड का इस्तेमाल

ALLAHABAD: डॉक्टर्स के साथ ही हेल्थ एक्सपर्ट स्वस्थ रहने के लिए फल खाने की सलाह देते हैं। लेकिन साथ ही ऐसे फल खाने से मना करते हैं, जो कैल्शियम कार्बाइड से पकाए जाते हैं। अब लोग क्या करें, क्योंकि मार्केट में जो फल बिक रहे हैं, उनमें ज्यादातर फल कैल्शियम काबाईड से ही पकाए जा रहे हैं। जबकि एफएसएसआई ने फलों को पकाने के लिए एथिलीन गैस का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इस पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है। इसके बाद भी इलाहाबाद में एक भी एथिलीन गैस चैम्बर नहीं बना है।

एथिलीन है पूरी तरह से सुरक्षित

फलों को पकाने में कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर होने वाले असर को देखते हुए सरकार ने एथिलीन के प्रयोग के नियम को लागू कर दिया है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने फल व्यापारियों से एथिलीन गैस का ही इस्तेमाल करने की अपील की है।

बागवानी बोर्ड का मानक

इसे लेकर राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने एथिलीन के इस्तेमाल का मानक तैयार किया है। फलों को पकाने के लिए जरूरी एथिलीन की मात्रा, तापमान के स्तर और अन्य संबंधित परिस्थितियों का मानक तैयार किया जा चुका है।

कार्बाइड के मुकाबले महंगा

राष्ट्रीय बागवानी विभाग से यदि सब्सिडी न मिले तो एक टन फल को पकाने वाला एथिलीन गैस चैम्बर बनाने के लिए करीब एक लाख रुपये खर्च आएगा। यानी पंद्रह टन के लिए पंद्रह लाख रुपये। एथिलीन गैस का प्रयोग करते हुए चैम्बर बनाना महंगा होने के कारण ही फल व्यापारी कैल्शियम काबाईड का इस्तेमाल कर रहे हैं। एथिलीन गैस के इस्तेमाल के लिए नियंत्रित तापमान वाले चैंबर या कोठरियां बनाई जाती हैं। इनमें पकाए जाने वाले फलों को रख कर एथिलीन का इस्तेमाल किया जाता है। कोठरी निर्माण पर बागवानी बोर्ड सब्सिडी देता है।

कार्बाइड पर है प्रतिबंध

कैल्शियम काबाईड गैस फलों को पकाने में एथिलीन की तरह ही काम करता है। 'प्रीवेंशन ऑफ फूड एडल्ट्रेशन रूल, 1955 की धारा 44 एए' के तहत एसिटिलीन गैस से फलों को पकाने पर प्रतिबंध है।

फल मंडी में हो रहा इस्तेमाल

इस समय केला का मौसम है। काबाईड पर प्रतिबंध के बाद भी केला काबाईड से ही पकाए जा रहे हैं। हालांकि सख्ती को देखते हुए फल विक्रेताओं ने इसके इस्तेमाल का तरीका थोड़ा बदल दिया है। केला को काबाईड के घोल में डूबोकर एक ऐसे कमरे में रखा जा रहा है, जहां एसी लगाया गया है। एसी चैम्बर बनाकर केला पकाने से वह जल्दी खराब नहीं होता है और बहुत ज्यादा पीला भी नहीं होता है।

कई बीमारियां फैलाता है

अब तक फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक और फास्फोरस पाया जाता है। ये वातावरण में मौजूद नमी से प्रतिक्रया कर एसिटीलीन गैस बनाता है, जिसे आम बोलचाल में कार्बाइड गैस कहा जाता है। कैल्शियम काबाईड का दिमाग, स्नायुतंत्र, फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है।

कार्बाइड के इस्तेमाल पर बहुत पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इलाहाबाद में फिलहाल कार्बाइड का इस्तेमाल किए जाने की जानकारी नहीं है। फल व्यापारी फलों को पकाने के लिए अब एथिलीन का ही रूप एथेफान गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे लेकर कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है।

डीपी सिंह, डीओ

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Posted By: Inextlive