आप सोच रहे होंगे कि ये कैसी अनोखी बात है और भला गेंद और विकेट भी कुछ बोलते हैं। अब हम कहेंगे कि हांजी जब क्रिकेट में बल्‍लेबाज का बल्‍ला बोल सकता है तो गेंद और विकेट क्‍यों नहीं बोल सकते। कानपुर में इंडिया और न्‍यूजीलैंड के बीच चल रही वर्तमान सीरीज के पहले और भारत के लिए एतिहासिक 500वें मैच में ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला। मैच के दूसरे दिन भारतीय गेंदबाजों ने दो दो बार न्‍यूजीलैंड के खिलाड़ियों को आउट कराया पर फिर भी वो क्रीज पर जमे रहे क्‍योंकि कभी गेंद ने और कभी विकेट ने उनका साथ नहीं दिया। जानें कैसे हुआ ये कमाल।

कुछ ऐसा हुआ पहले मौके पर
भारत और न्यूजीलैंड के बीच चल रही तीन टेस्ट मैचों की वर्तमान सीरीज का पहला मैच कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेला जा रहा है। ये मैच भारत के लिए एतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि ये भारतीय टीम का पांच सौवां मैच हैं। इस मैच के दूसरे दिन जब न्यूजीलैंड की टीम बल्लेबाजी कर रही तो भारतीय गेंदबाजों को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में टीम के कप्तान विराट कोहली ने स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को गेंद थमायी। अश्विन जब बॉल फेंकने आये उस समय ओपनिंग बल्लेबाज टॉम लाथम और कप्तान केन विलियमसन क्रीज पर मौजूद थे। मैच के 32वें ओवर में अश्विन ने गेंद फेंकी और विलियमसन ने उसे स्वीप किया पर वह गेंद खेलने से चूक गए और यह उनके हेलमेट के पीछे लगी और फिर जाकर स्टंप्स से टकरा गई। अब अगर विकेट साथ देता तो विलियमसन आउट होकर मैदान के बाहर जाते दिखाई देते पर ऐसा हुआ नहीं। गेंद विकेट से टकराई तो गिल्लियां नहीं गिरीं और नियमानुसार बिना गिल्ली गिरे खिलाड़ी आउट नहीं माना जाता, तो अश्विन और भारत दोनों के हाथ मायूसी ही लगी।

ये था दूसरे मौके का नजारा
दूसरी बार भारत के हाथ मायूसी लगी जब गेंद ने लाथम को आउट नहीं होने दिया। दरसल उस समय रवींद्र जडेजा बॉलिंग कर रहे थे जब उनकी एक गेंद को लाथम ने ऑफ स्टंप के बाहर स्वीप करने की कोशिश की और गेंद उनके जूते से टकरा कर फारवर्ड शार्ट लेग पर खड़े फील्डर लोकेश राहुल के हाथों में चली गई। इसके बावजूद लाथम आउट नहीं हुए क्योंकि टीवी अंपायर के अनुसार गेंद कैच होने से पहले लाथम के हेल्मेट के ग्रिल से टकरा कर गयी थी। यानि बॉल और स्टंप के धोखे ने भारत को मायूस कर दिया।

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Posted By: Molly Seth