आंखें पथरा गई थी इंतजार में

बॉडी आते ही दिल का दर्द बाहर निकला

आगरा। 'चिट्ठी न कोई संदेश न जाने कौन सा है वो देश जहां तुम चले गए' इस गाने की इन लाइनों को सुनकर हर कोई भावुक हो जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा अंसल कोर्टयार्ड में शुक्रवार को उस समय दिखाई दिया, जब युगांडा में बदमाशों की गोली का शिकार हुए गगन पंजाबी की बॉडी उनके घर पहुंची। बॉडी देखकर लोगों की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रही थीं। गमगीन माहौल के बीच शव का अंतिम संस्कार करा दिया गया।

परिजन कर रहे थे इंतजार

अंसल कोर्टयार्ड में गगन पंजाबी के परिवार व ससुराल के लोग सुबह से ही बॉडी आने के इंतजार में बैठे थे। आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। हर कोई गगन पंजाबी के आखिरी दर्शन करने को बेसब्री से इंतजार करता दिखाई दिया।

सरकार को कुछ करना चाहिए

जोधपुर निवासी मृतक गगन पंजाबी के ससुर राम चंद ज्ञानानी का कहना था कि वह भारत सरकार से रिक्वेस्ट करेंगे कि इस घटना को मामूली न मानें, यहां की सरकार को चाहिए कि युगांडा में वहां की गर्वनमेंट से कहें कि हमारे देश के लाल को मारने वाले आखिर कौन लोग थे। क्या वह नक्सली थे या बॉर्डर पार से आए थे। उन्होंने कहा कि वहां की सरकार छानबीन करे। बताए घटना कैसे हुई। उनका कहना था कि वह यूएन में पीस कीपर था। यह सरकार डिसाइड करे कि उसे क्या दर्जा देना चाहिए। भारत सरकार तय करे कि उसे शहीद का दर्जा मिले या नहीं।

फेसबुक से पता चली घटना

मृतक के पटना निवासी बहनोई अंशुल जैन ने बताया कि घटना की जानकारी सबसे पहले फेसबुक के माध्यम से पता पड़ी थी। दरअसल मृतक के कोंगो में रहने वाले गुजरात निवासी मित्र हितेन चंदूलाल ने इस घटना को फेसबुक पर डाल दिया था। वह सभी से फेसबुक फ्रेंड पर जुड़ा हुआ है। 31 तारीख की घटना थी। एक तारीख को फेसबुक पर डाली गई थी। इसी के बाद घटना की जानकारी के लिए फोन घनघना उठे थे।

जिंदा दिल दोस्तों का दोस्त था

मृतक के तीन घनिष्ठ मित्र हैं। जिसमें जयपुर निवासी अश्वनी, अजय और नरेश हैं। दोस्तों ने बताया कि वह 2004 से 2008 तक कोंगो में उनके साथ रहा था। इसके बाद नरेश और अश्वनी चले आए थे। उस दौरान 2011 तक वह अजय के साथ रहा। वह उसका रूम मेट भी था। दोस्तों का कहना था कि गगन जिंदा दिल इंसान था। वह हंसमुख था, वह जिससे भी बात करता उसे अपना बना लेता था।

लोगों से जुड़े थे दिल के तार

दोस्तों ने बताया कि वह जिसके साथ भी रहा उसके दिल के तार उससे जुड़ जाते थे। वह नेक दिल इंसान था। वह वहां के लोगों को भी प्यार करता था। 2011 में गगन का कनंगा में ट्रांसफर हो गया था। 2012 में वह आगरा आ गया था। इसके बाद उसने युगांडा में ज्वाइन किया था। दोस्तों का कहना था कि उसकी मौत की खबर से सभी शॉक्ड हो गए थे। जानकारी होने के बाद फिर सभी दोस्तों को इंफोर्म कर दिया था।

Posted By: Inextlive