यूरोप ने अपने इतिहास के अपने सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों में से एक 'गेया' का प्रक्षेपण कर दिया है.


74 करोड़ यूरो (62 करोड़ पाउंड) की इस ऑब्जर्वेटरी यानी वेधशाला ने फ्रेंच गुयाना के सिनामरी परिसर से गुरुवार को छह बजकर 12 मिनट पर उड़ान भरी.'गेया' एक अरब से भी ज़्यादा सितारों की सटीक स्थिति और दूरी का पता लगाएगा. इससे हमें अपनी आकाशगंगा 'मिल्की वे' के निर्माण की वास्तविक तस्वीर मिल पाएगी. 'गेया' पर लगे उपकरण से हजारों अनदेखे ग्रहों और एस्ट्रॉयड से हमारा परिचय कराएंगे.सितारों की सटीक स्थितियूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) उपग्रह को सोयूज रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा गया. इसे अपने गंतव्य तक पहुंचने में एक महीने का समय लगेगा.' गेया' को बनाने का काम 20 साल से भी अधिक समय से चल रहा है. यह उपग्रह आकाशीय पिंडों की स्थिति और गति को मापने का काम करेगा.


इसके लिए इसमें दो टेलीस्कोप लगाए गए हैं. ये टेलीस्कोप एक अरब पिक्सेल की क्षमता वाले उस विशाल कैमरे पर रोशनी डालेंगे जो उपकरणों से जुड़ा होगा.'गेया' इस अति स्थिर और अति सूक्ष्मग्राही ऑप्टिकल उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए सितारों की स्थिति का सही सही पता लगाएगा.पांच साल तक अपने लक्ष्य की निरंतर निगरानी करने के दौरान गेया जिन-जिन तारों को देखेगा उन सबकी पूरी प्रोफाइल बनाएगा.आकाशगंगा के विकास का सुराग

तारों की दूरी का पता लगाने के साथ ही साथ यह उपग्रह आकाश में उनके चलने-फिरने और घूमने का भी अध्ययन करेगा.तारों के भौतिक गुणों के बारे में विस्तृत जानकारी को भी सूचीबद्ध किया जाएगा. इन जानकारियों में तारों की चमक, तापमान, रचना, उम्र और दूरी सहित सटीक निर्देशांक से जुड़ी जानकारियां भी शामिल होंगी.धरती की ओर या धरती से आसमान की ओर क़रीब 15 करोड़ तारों की गति क्या हो सकती है, 'गेया' इसका भी पता लगाएगा.'गेया' द्वारा जुटाई गई इन जानकारियों से वैज्ञानिकों को तीन आयामी मार्कर का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी और इसके ज़रिए वे आकाशगंगा के विकास का सुराग लगा सकते हैं.अनचिन्हे और अनदेखे आकाशीय पिंड 'गेया' हर उस चीज को खोज निकालेगा जो इसमें लगे कैमरा डिटेक्टर के दायरे से गुजरेगा. इसलिए यह संभव है कि 'गेया' अनचिन्हे और अनदेखे रह गए असंख्य आकाशीय पिंडों को देखे.धूमकेतु, एस्ट्रॉयड, सौरमंडल के बाहर के ग्रह, 'मृत' तारे, और यहां तक कि वैसे हल्के गर्म तारे भी जो अपने जीवन में कभी नहीं चमके, इन सबके बारे में 'गेया' के ज़रिए जानकारी हासिल की जा सकेगी.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर जेर्री गिलमोर का कहना है, "ऐसा पहली बार होगा कि हम आकाशगंगा के बारे में जान सकेंगे कि उसमें क्या चीजें मौजूद हैं और वे कहां कहां हैं. यह सचमुच एक परिवर्तनकारी अभियान है."'गेया' में एक ऐसा सनशील्ड लगा है जो अपने ऑप्टिक्स को तापमान में आने वाले किसी भी छोटे मोटे बदलाव से बचाता है. यह सनशील्ड आकलन कार्य में आने वाली किसी परेशानी से भी बचाएगा.विशाल आंकड़ेऐसी संभावना है कि दशक के अंत तक 'गेया' के पास संग्रहित आंकड़ें एक पेटाबाइट (10 लाख गीगाबाइट) तक पहुंच जाएंगे. ये आंकड़े सूचनाओं से लैस करीब 200,000 डीवीडी के बराबर हो सकते हैं.ये आंकड़ें इतने विशाल हैं कि पेशेवर खगोलविद दशकों तक इन पर माथापच्ची करने में व्यस्त रहेंगे.'गेया' बड़े पैमाने पर किए गए औद्योगिक प्रयासों का परिणाम है.  फ्रांस के टुलूज़ में एस्ट्रियम सैटेलाइट्स के नेतृत्व में 50 कंपनियों ने इसे बनाने में मेहनत की है. इस कंसोर्शियम में यूरोप की 47 और उत्तरी अमरीका की तीन कंपनियां शामिल हैं.

Posted By: Bbc Hindi