गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार गणेशोत्सव की शुरुआत 22 अगस्त से हो रही है। चूंकि इस बार कोरोना संकट के चलते बड़ा उत्सव हो नहीं सकता। ऐसे में घर पर इको फ्रेंडली गणेश उत्सव बेहतर रहेगा। बाॅलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर ने इस पहल की शुरुआत कर दी है।

नई दिल्ली (एएनआई)। गणेश चतुर्थी का पर्व काफी नजदीक है। ऐसे में एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर ने लोगों से आग्रह किया है कि वे घर पर गणपति की मूर्तियों को बनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल तरीके चुनें, जिससे हमारी प्रकृति को लाभ हो। इस बार गणेशोत्सव की शुरुआत 22 अगस्त से हो रही है। पेडनेकर, जो पर्यावरण संरक्षण में हमेशा आगे रही हैं। उनका मानना ​​है कि लोगों को इस बार स्वंय घर पर गणपति की मूर्तियों को बनाना चाहिए। इन मूर्तियों को बनाने का तरीका ऐसा हो, जो पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचाए।'

त्यौहार मनाने के इको फ्रेंडली तरीके
भूमि पेडनेकर कहती हैं, 'यह मेरा सबसे पसंदीदा त्योहार है और हम अपने परिवार में वर्षों से गणपति का उत्सव मना रहे हैं। जब से मैं जलवायु संरक्षण की मुहिम के साथ जुड़ी हूं। मैंने महसूस किया है कि इस त्योहार को मनाने के बेहतर तरीके हैं, जो इको फ्रेंडली हैं।' 31 वर्षीय भूमि अपने फैंस को पर्यावरण के प्रति हमेशा जागरुक करती रहती हैं। वह फिल्मों के माध्यम से भी पर्यावरण की भलाई का संकेत देती रही हैं।

View this post on Instagram

For me Dattadri Kothur aka Datta is a true #ClimateWarrior and innovator! He has come a long way in discovering his love for making Ganesha idols. Datta believes that the Ganesh festival is the celebration of nature and strongly supports the cause of environment-friendly celebrations. His creation, the @treeganesha is made up of red soil, organic fertilizer, natural colour and seeds… from the elements of nature… and this unique idol is designed to dissolve and grow into a tree. He says "Saving Environment is an Indirect worshiping of Lord Ganesha". #ClimateWarrior #GaneshChaturthi

A post shared by Bhumi 🌻 (@bhumipednekar) on Aug 16, 2020 at 10:35pm PDT

मूर्तियों के अंदर रख दें बीज
आने वाले त्यौहार के मद्देनजर, 'पति, दिशा और वो' स्टार ने इस महत्वपूर्ण संदेश को फैलाने के लिए महाराष्ट्र के मूर्तिकार और पर्यावरण कार्यकर्ता दत्ताद्री से हाथ मिलाया है। दत्ताद्री पेड़ से गणपति की मूर्तियाँ बनाने में माहिर हैं। वह इन मूर्तियों के अंदर बीज भी रख देते हैं। उत्सव समाप्त होने के बाद मूर्ति को मिट्टी के बर्तन में विसर्जित किया जा सकता है और फिर बीज एक नए पेड़ को जन्म देता है।'

लोगों को करना होगा जागरुक
इस विचार के बारे में बात करते हुए, पेडनेकर ने कहा, "मुझे वास्तव में उम्मीद है कि इन जैसी अवधारणाओं को घर पर नागरिकों द्वारा अगली पीढ़ियों तक पारिस्थितिक संरक्षण के संदेश को फैलाने के लिए अपनाया जाता है। मुझे आशा है कि लोग इस तरह के पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को कार्य करने और चुनने के लिए प्रेरित होते हैं।' भूमि ने कहा, "हमें लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए काम करना होगा और उन्हें यह महसूस कराना होगा कि आप त्योहारों को सभी धूम धाम से मना सकते हैं, लेकिन आप उन्हें सबसे अधिक पर्यावरणीय रूप से भी मना सकते हैं।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari