Ganesh Chaturthi 2023 : पुणे का श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर में भारत के प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है। यहां आज गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन 35000 से अधिक महिलाओं ने 'अथर्वशीर्ष' का पाठ किया। जानें इस मंदिर के स्थापना के पीछे की कहानी...


पुणे (एएनआई)। Ganesh Chaturthi 2023 : गणपति महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार की सुबह श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर का परिसर पवित्र मंत्रों से गूंज उठा, क्योंकि यहां साै दो साै नहीं बल्कि 35,000 से अधिक महिलाएं गणपति 'अथर्वशीर्ष' प्रार्थना करने के लिए एकत्र हुईं। श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर ट्रस्ट ने गणेश चतुर्थी समारोह के दूसरे दिन ऋषि पंचमी के अवसर पर गणपति 'अथर्वशीर्ष' का पाठ का आयोजन कराया। इस भव्य प्रार्थना देखने के लिए रूसी नागरिकों के एक समूह को भी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। पारंपरिक पाठ में भाग लेने के लिए, शहर भर से महिलाएं पारंपरिक पोशाक में सुबह-सुबह पंडाल के पास एकत्र हुईं और प्रार्थना में शामिल हुईं।प्रसिद्ध गणेश मंदिराें में है दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर
दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर भव्य के भव्य व प्रसिद्ध गणेश मंदिराें में से एक है। यह पवित्र दगडूशेठ हलवाई मंदिर पुणे, महाराष्ट्र में स्थित है। श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति पुणे शहर के गौरव और सम्मान का प्रतीक हैं। हर साल यहां पूरे भारत और दुनिया भर से भक्त भगवान गणेश की पूजा करने के लिए इस भव्य मंदिर की यात्रा करते हैं। दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि प्लेग महामारी में अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद, श्री दगडूशेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की। यहां हर साल भव्य गणेश पूजा होती है। यह त्योहार हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैवहीं गणेश चतुर्थी, जो मंगलवार को शुरू हुई, 10 दिवसीय त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है। इस दाैरान कई भक्त त्योहार के दौरान अनुष्ठान करने के लिए भगवान गणेश की मूर्ति अपने घर लाते हैं। पूरे देश में बड़े पैमाने पर सामुदायिक 'पूजा' भी आयोजित की जाती है। यह त्योहार हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें हजारों भक्त भगवान गणेश के दर्शन के लिए मंदिरों और पंडालों में इकट्ठा होते हैं। 10 दिवसीय उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। इस दिन गणेश प्रतिमा को पानी जैसे नदी या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है, जिसे विसर्जन कहा जाता है।

Posted By: Shweta Mishra