-शासन की ओर से जारी नहीं हो पा रहे 33 करोड़, ठंडे बस्ते में प्रोजेक्ट

-जल निगम ने तैयार किया स्ट्रक्चर, पानी न मिलने से अधूरी पड़ी टेस्टिंग

Meerut : गंगाजल परियोजना के लिए शहर को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। सिंचाई विभाग ने परियोजना को पानी देने से स्पष्ट इंकार कर दिया है। सिंचाई विभाग के अड़ंगे के लगने से महत्वाकांक्षी योजना ठंडे बस्ते में पहुंच गई है। हाल यह है कि परियोजना के अंतर्गत अभी तक मेन लाइन की टेस्टिंग भी नहीं हो पाई है। जल निगम की मानें तो पानी के मिलने के बाद भी प्रोजेक्ट को शुरू होने में छह माह का समय लग जाएगा।

341.30 करोड़ का प्रोजेक्ट

जेएनएनयूआरएम मिशन के अंतर्गत वर्ष 2008-09 में मेरठ शहर में योजना की शुरुआत की गई थी। पेयजल पुनर्गठन योजना के लिए शासन ने 273.01 करोड़ के बजट को स्वीकृति प्रदान की थी। हालांकि बाद में फीडरमेन के एलाइनमेंट को संशोधित करते हुए बजट बढ़ाकर 341.30 करोड़ रुपए कर दिया गया था। नगर विकास मंत्रालय से स्वीकृत हुई यह धनराशि नगर निगम के माध्यम से जल निगम को दी जा चुकी है।

पांच साल लेट चल रही योजना

शहर के लिए महत्वाकांक्षी गंगाजल प्रोजेक्ट निर्धारित समय से पांच वर्ष लेट चल रहा है। जल निगम द्वारा योजना को लाने में तमाम अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। मलियाना रेल ओवरब्रिज के पास रेलवे ट्रेक के नीचे अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाने में रेलवे के अड़ंगे के चलते प्रोजेक्ट दो वर्ष डिले कर दिया गया। इसके बाद एनएच-235 पर पाइप लाइन बिछाने में एनएचएआई (नेशनल हाइवे अथार्टी ऑफ इंडिया) से एनओसी लेने में भी प्रोजेक्ट को दो वर्ष का इंतजार करना पड़ा। अब जबकि पूरा स्ट्रक्चर बनकर तैयार हो गया है, तो सिंचाई विभाग ने फंड न मिलने से आपत्ति लगा दी है।

चाहिए 33 करोड़

दरअसल, सिंचाई विभाग ने 43 क्यूसेक यानी 100 एमएलडी पानी के लिए जल निगम के सामने 50 करोड़ की डिमांड रखी थी। इस धनराशि से सिंचाई विभाग ने अपनी नहरों का मेंटीनेंस कराने की बात कही थी। जल निगम का कहना है कि यह रकम सिंचाई विभाग को शासन की ओर से जारी होनी है। अब काफी जद्दोजहद के बाद जल निगम केवल 17 करोड़ रुपए जारी करवा पाया है। जबकि 33 करोड़ रुपया अभी भी शेष बचा है।

टेस्टिंग भी अधूरी

जल निगम ने घर-घर गंगाजल पहुंचाने के लिए भोला झाल से मेरठ तक 21 किलोमीटर फीडर मेन (बड़ी लाइन), 14 किलोमीटर पंपिंग लाइन (छोटी लाइन) व 764 किलोमीटर वितरण प्रणाली (छोटी पाइप लाइन से हर घर में सप्लाई) लागू करनी है। पानी आपूर्ति के बाद पूरी तरह की टेस्टिंग में कम से कम 4 माह लगेंगे। जिसके बाद उसे नगर निगम को सौंप दिया जाएगा।

फैक्ट्स एंड फिगर

जल निगम ने बनाई ट्यूबवेल : 57

अंडर ग्राउंड टैंक्स : 4

नॉर्मल टैंक्स : 31

भोले की झाल पर डब्ल्यूटीपी : 100 एमएलडी क्षमता

मुख्य पाइप लाइन : 17.80 किमी

डिस्ट्रीब्यूशन लाइन : 759 किमी

पंपिंग लाइन : 14 किमी

फीडर लाइन : 21 किमी

प्रोजेक्ट कॉस्ट : 341 करोड़ रुपए

योजना के अंतर्गत पूरा स्ट्रक्चर तैयार कर दिया गया है। फंड ट्रांसफर न होने से सिंचाई विभाग की पानी नहीं छोड़ रहा है। पानी के मिलते ही टेस्टिंग कर दी जाएगी।

-मुन्ना सिंह, कार्यवाहक प्रोजेक्ट मैनेजर, जल निगम

बजट के अभाव में नहर में मेंटीनेंस आदि कार्य नहीं किए गए हैं। मेंटीनेंस कराकर पानी की बचत की जाएगी। ताकि पानी छोड़ा जा सके।

-आरके जैन, एक्सईएन सिंचाई विभाग

Posted By: Inextlive