- गंगा जागरण यात्रा का बड़ा पड़ाव साबित होगा गंगा संसद विमर्श का आयोजन

-गंगा संसद, भगीरथ सत्र, सुरसरि सत्र, जाह्नवी सत्र में प्रसिद्ध गंगा विशेषज्ञ रखेंगे विचार

PATNA: गंगा जागरण यात्रा के एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में 19 जुलाई को होटल चाणक्य में राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया है। गंगा संसद नामक यह विमर्श कार्यक्रम होटल चाणक्या के दरबार हॉल में सुबह 10 से शाम 5 बजे तक आयोजित होगा।

10 बजे : मां सरस्वती, संस्थापक स्व। पूर्णचन्द्र गुप्त और पूर्व प्रधान सम्पादक स्व। नरेन्द्र मोहन के चित्र पर माल्यार्पण।

10.15 बजे : दीप प्रज्ज्वलन

10.15 बजे : पटना वीमेंस कॉलेज की छात्राओं द्वारा गंगा स्तुति नृत्य नाटिका।

10.30 बजे : स्वागत भाषण - श्री सुनील गुप्त, निदेशक, जागरण समूह।

10.35 बजे : संसद का उद्देश्य - श्री प्रशांत मिश्र, राजनीतिक संपादक, दैनिक जागरण।

10.40 बजे : जागरण और जनसरोकार - श्री शैलेंद्र दीक्षित, संपादक (बिहार व पश्चिम बंगाल)

10. 45 बजे : इनॉगरेशन भाषण - माननीय न्यायमूर्ति अजय त्रिपाठी, पटना उच्च न्यायालय

भगीरथ सत्र

अपराह्न 11.15 से 1.45 बजे

सत्र संचालन : राघवेन्द्र दुबे

विषय : बंदी गंगा अभियांत्रिकी अदूरदर्शिता, खामियां और समाधान

11. 30 बजे- 11.50 बजे

वक्ता : डॉ दिनेश कुमार मिश्र

( डॉ दिनेश कुमार मिश्र ने इम्पैक्ट ऑफ फ्लड कंट्रोल पॉलिटिक्स ऑन द पीपुल्स ऑफ सहरसा डिस्ट्रिक्ट ऑफ नार्थ बिहार विषय पर पीएचडी की है। 1985 से बिहार की नदियों, बाढ़, सिंचाईं और प्रदूषण आदि पर निरतंर कार्य जारी है। वाटर एक्टिविस्ट डॉ। मिश्र के शोध पत्र और पुस्तकें मिलाकर कुल 100 से ज्यादा प्रकाशन हैं.)

विषय : जीवन मूल्य, परम्परा, साझा विरासत, आधुनिक व विवेक सम्मत लोकतंत्र के व्यापक संदभरें में गंगा से सहजीवन।

समय : 11:50 से 12:10 बजे

वक्ता : निलय उपाध्याय

(निलय उपाध्याय ने गंगा व उसके किनारे बसे शहरों का सच जानने के लिए 5 नवंबर 2013 से फरवरी 2014 तक गंगोत्री से गंगासागर तक की यात्रा (गंगा परिक्रमा) की है। इस यात्रा में वे गंगा को मानवीकृत कर उससे बतियाते चलते हैं और अन्तत: गंगा का सारा द़ुख उनका अपना हो जाता है.)

विषय : कैसे होगी गंगा अविरल और निर्मल? भविष्य का स्वप्न और सुलगता सवाल, समाधान

समय : 12.10 से 12.30 तक

वक्ता : अनिल प्रकाश

(अनिल प्रकाश के कई शोध-पत्र गंगा को लेकर प्रकाशित हो चुके हैं। फिलवक्त नदियों की मुक्ति के लिए पूर्णकालिक एक्टिविस्ट हैं। वे कहते हैं कि गंगा की लहरों ने तो मुझे 1982 में ही खींच लिया। गंगा मेरे लिए मात्र नदी नहीं सभ्यतामूलक संवाद (सिविलाइजेशनल डायलॉग) का तरल प्रवाह और करोड़ों के जीवन- यापन का आधार है.)

विषय : राष्ट्रीय जल नीति: राष्ट्रीय संपदा होने की कसौटी पर गंगा

समय : 12.30 से 12.50 बजे तक

वक्ता : जगदानंद सिंह

(जगदानंद सिंह 15 वषरें तक बिहार के जल संसाधन मंत्री, नदी एवं जल से जुड़े विभिन्न मसलों पर लगातार सक्रिय रहे। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में राष्ट्रीय जल नीति बनाने के लिए गठित कमेटी के सदस्य रहे। इन्होंने प्राथमिकताओं में पेयजल के बाद दूसरी प्राथमिकता पर्यावरण व इकोलॉजी को रखने की जोरदार वकालत की है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बाढ़, बांध से उत्पन्न समस्या, प्रदूषण और गंगा में कम जल राशि से उत्पन्न समस्या पर लगातार लेखन)

विषय : गंगा और जलजीवन

समय : 12.50 से 01.10 बजे तक

वक्ता : आरके सिन्हा

(डॉल्फिन मैन के नाम से प्रख्यात आरके सिन्हा ने गांगेय इको सिस्टम को लेकर काफी काम किया है। उन्हीं के प्रयासों से मीठे पानी की डॉल्फिन राष्ट्रीय जीव घोषित की गई.)

विषय : गंगा और धर्मशास्त्र

समय : 01.10 से 01.30 बजे तक

वक्ता : आचार्य किशोर कुणाल

(बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष किशोर कुणाल राज्य में ऐतिहासिक मंदिरों के पुनरुद्धार को लेकर विशेष रूप से प्रयासरत हैं। श्री कुणाल पूर्व आइपीएस हैं। महावीर मंदिर न्यास के माध्यम से वे सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्त्रमों से जुड़े रहते हैं। धर्मशास्त्र व लोकजीवन के विशेषज्ञ माने जाते हैं.)

प्रश्नोत्तर काल : 1.30 से 1.45 बजे तक

स रसरि सत्र

2.15 बजे

सत्र संचालन : शशिभूषण

विषय - गंगा के साथ अन्याय, उसके पुनर्जीवन (रेस्टोरशन) की अब तक की योजनाएं और सरकार की पहल।

समय : 2.25 बजे

वक्ता : सफदर इमाम कादरी

(गंगा को अविरल बहने दो के लेखक। 1987 में गंगा मुक्ति आंदोलन के तहत कुर्सेला से पटना तक उल्टी धारा में गंगा में नौका यात्रा। उनका मानना है कि गंगा नार्दन इंडिया के बड़े समाज की जीवन धारा है। उर्दू साहित्य में गंगा पर या उसे ही संबोधित कर खूब लिखा गया है। इकबाल से लेकर नजीर बनारसी तक इसके उदाहरण हैं.)

विषय : गंगा बस अपने-अपने हिस्से की याद, किसानों और श्रमजीवियों का शोकगीत।

समय : 2.45 से 3.10 बजे तक

वक्ता - रंजीव

(भागलपुर में गंगा मुक्ति आंदोलन के संगठनकर्ता। एक्टिविस्ट पत्रकार हेमंत के साथ सहलेखन में चर्चित पुस्तक- जब नदी बंधी, जो नदी जल प्रबंधन के इतिहास और उसकी बिडंबनाओं का रेखांकन है। मरता पानी मारता पानी पुस्तक बाढ़ के बाद के बिहार की बदली सामाजिकी- सांस्कृतिकी और आर्थिकी का मूल्यांकन है.)

विषय : स्मृतियों और वांगमय में गंगा

समय : 3.10 बजे

वक्ता : आलोक धन्वा

(हिन्दी के प्रख्यात कवि)

प्रश्नोत्तर

3.30 से 3.40 बजे

जाह्नवी सत्र : 53.50 बजे

विषय : मरता पानी-मारता पानी

समय : 3.50 से 4.00 बजे तक

वक्ता : डॉ सुभाष चंद्र सिंह

(फिलवक्त राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के चेयरमैन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य। एकेडमी ऑफ जूलॉजी, जूलॉलिकल सोसायटी ऑफ इंडिया व इन्टोमोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के फेलो.)

4.00-4.10

वक्ता - डॉ नवीन कुमार

(राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के साइंटिस्ट। बक्सर से बाढ़ तक गंगा के पानी पर शोध.)

4.10 से 4.20 बजे तक

डॉ जितेंद्र कुमार सिंह

(प्रख्यात कैंसर रोग विशेषज्ञ। महावीर कैंसर संस्थान के डायरेक्टर.)

4.20 से 4.30 बजे तक

वक्ता : अविनाश प्रताप सिंह

(पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय संस्था तरु मित्र और ग्रीन क्लब के संयोजक। जीरो बजट प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और गंगा बचाओ अभियान में सक्रिय.)

4.30 से 4.45 बजे तक

वक्ता : विकास चन्द्र उर्फ गुड्डु बाबा

(गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 21 जुलाई 2000 में पटना हाईकोर्ट में पहली जनहित याचिका दाखिल की। इस पर 16 मार्च 2001 को हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि गंगा में कोई लावारिश लाश न फेंकी जाए। वर्ष 2003 में दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट के आदेश पर तीनों विद्युत शवदाह गृह चालू.)

4.45 से 4.55 बजे तक

वक्ता : डॉ अशोक घोष

(पर्यावरण और जल प्रबंधन विभाग-एएन कॉलेज के प्रोफेसर। गंगा के तटवर्ती जिलों में आर्सेनिक प्रदूषण पर विशेष शोध। जल प्रदूषण पर किये गये शोध के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित.)

ब्.भ्भ् बजे

धन्यवाद ज्ञापन : आनंद त्रिपाठी (मुख्य महाप्रबंधक दैनिक जागरण )

Posted By: Inextlive