- गंगा जागरण यात्रा के दूसरे दिन होटल चाणक्या में 'गंगा संसद' का आयोजन

- खत्म होती गंगा को बचाने की मुहिम में कई एक्सप‌र्ट्स ने शेयर किए अपने व्यूज

PATNA: गंगा जागरण यात्रा के दूसरे दिन होटल चाणक्या में शनिवार को 'गंगा संसद' का आयोजन किया गया। तीन सेशन में आयोजित इस प्रोग्राम के दौरान गंगा की अविरल धारा को बरकरार रखने एवं प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए स्पीकर्स ने कंबाइंड इनिशिएटिव पर जोर दिया।

हर कोई तलाशता है अपना मौका

भागीरथ सत्र में दिनेश कुमार मिश्र ने कहा कि गंगा को सोसायटी का हर क्लास अपने-अपने तरीके से देखता है। गांधीवादी एक्टिविस्ट अपने तरीके से सोचता है। इंजीनियर इसमें बिजली जेनरेट करने की क्षमता के तौर पर देखते हैं। बिजनेसमैन गंगा किनारे होटल के लिए बिजनेस के मौके तलाशते हैं। समाजसेवी नदी किनारे धर्मशाला खोलकर अपने लिए समाजसेवा के अवसर के रूप में देखते हैं। सबको अपना नजरिया रखने का राइट है, पर गंगा पर कोई प्लान बनाने से पूर्व सोसायटी के सभी क्लास के साथ डायलॉग करना चाहिए। प्रत्येक सौ किलोमीटर पर गंगा पर बैराज बनाने से पहले इसके परिणामों पर विस्तार से चर्चा करनी चाहिए। पूर्व में भी कई अस्पष्ट योजना के कारण करोड़ों खर्च हुआ, पर रिजल्ट शून्य रहा।

जमीन पर काम करना चाहिए

गंगा के वर्तमान स्थिति के लिए कोई बाहरी लोग नहीं, हम सभी जिम्मेवार हैं। हमें किताबों में चिंता करने के बजाय जमीन पर कार्य करना चाहिए। विकास में नदियों का महत्वूपर्ण स्थान है। नदियों की जिंदगी ही हमारी जिंदगी है। जीवनदायनी नदियों की सुरक्षा नहीं हुई, तो हमारा जीवन संकट में पर जाएगा। गंगा की गंदगी से भी बड़ी समस्या इसके जलस्तर में लगातर गिरावट है। पानी रहेगा, तभी तो इसकी पवित्रता का सवाल उठता है। आज हम कचरे के पानी को गंगा का पानी मान चुके हैं। दो दशक बाद गंगा ख्भ् गुनी प्रदूषित हो जाएगी। दुनिया में जल विज्ञान को किनारे कर सिर्फ आस्था के भरोसे नहीं जिया जा सकता। चीन, अमेरिका आदि डेवलप मॉडल पर ध्यान देते हैं, पर इनके वॉटर मैनेजमेंट मॉडल पर पद हम ध्यान नहीं देते, जिसकी आज के समय में डिमांड है। शव, फूल-माला, मूर्ति विसर्जन को आसानी से रोका जा सकता है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल कंपनियों से निकलने वाला कचरा है।

गंगा सबके लिए जीवनदायनी

डॉलफिन मैन आरके सिन्हा ने कहा कि गंगा सबके लिए जीवनदायनी है। गंगा के प्रदूषण से एक ओर इक ो सिस्टम को नुकसान पहुंच रहा है। बची-खुची डॉल्फिन, कछुआ, मगरमच्छ के अवैध शिकार के कारण जल प्रदूषण बढ़ रहा है। पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने कहा गंगा नदी ही है, जो देवी के रूप में भी हमारे लिए पूज्य है। सरकार गंगा को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कठोर कानून बनाकर उसे लागू किया जाए। तीन महीने के अंदर प्रदूषण फैलाने पर रोक लगाई जाए। एक साल के भीतर प्रदूषण पर रोक नहीं लगाने वालों को आर्थिक दंड एवं इसके बाद प्रदूषण बंद करने तक मालिक को जेल की व्यवस्था हो।

गंगा के पानी से नहाना भी खतरनाक

निलय उपाध्याय ने तुलसी रचित शोहर के साथ अपने संबोधन में कहा कि आज गंगा पराजित नहीं हुई है, बल्कि हमारी सभ्यता पराजित हुई है। देश के कई हिस्सों में गंगा इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि इसके पानी से स्नान करना भी खतरनाक है। गंगा की वर्तमान दुर्दशा के लिए चार मुख्य कारक जिम्मेदार है। पहला बांध बनाकर नदियों को बांधना, नदियों का विभाजन, प्रदूषण एवं गाद है। बाढ़ की मुख्य वजह नदियों में जमा होने वाला गाद है। गंगा का संदर्भ व्यापक है। सरकारों के लिए गंगा सफाई का मतलब कमाई से रह गया है। संस्कृति कर्मियों को नेतृत्व लेना होगा, तभी देश बचेगा।

सैकड़ों प्रजातियां लुप्त हो चुकी

सुरसुरि सत्र में सफदर इमाम ने गंगा एक्शन प्लान की सफलता के पीछे मुख्य कारणों को गिनाया। उन्होंने कहा कि बीस हजार करोड़ रुपया बर्बाद हो गया। बिना किसी स्पष्ट नीति व बार-बार योजना काल में उसकी रूपरेखा में बदलाव के कारण गंगा एक्शन प्लान फेल हो गया। गंगा मुक्ति आंदोलन के राजीव ने गंगा के प्रदूषण के लिए पश्चिमी कृषि तकनीक, अधिक उर्वरक व पेस्टीसाइड के उपयोग को मुख्य वजह माना। आज कृषि काफी खर्चीला हो गया है। आज हमारी नदियों से सैकड़ों प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जाने-माने कवि आलोक धन्वा ने गंगा के प्रति कबीर, उस्ताद बिसमिल्ला खां, लामा इकबाक के जीवन में आस्था पर प्रकाश डाला। एक अंग्रेजी जर्नल के अनुसार गंगा में करीब क्भ्0 मछलियों की प्रजातियां पाई जाती थीं, जिसमें से वर्तमान में मात्र ख्0 प्रजातियां ही बची हैं।

Posted By: Inextlive