- रोडवेज बसेज में बैन का बावजूद कैरी किए जाते हैं पार्सल

- बिना चेकिंग और पूछताछ के ही स्टाफ ले लेता है पार्सल

- पार्सल कैरी करने के एवज में वसूलते हैं मोटी रकम

- पैसेंजर्स की सेफ्टी से खिलवाड़, पार्सल में हो सकता है बॉम्ब

देहरादून।

रोडवेज बसेज में पैसेंजर्स की सेफ्टी की कोई गारंटी नहीं है। मोटी कमाई के लालच में बस का स्टाफ कोई भी पार्सल बिना सिक्योरिटी चेक के कैरी कर लेता है। ये इलीगल तो है ही, डेंजर भी है। किसी भी पार्सल में ऐसी वस्तु हो सकती है, जिससे पैसेंजर्स की जान जोखिम में पड़ जाए। आतंकी ऐसी वारदात को आसानी से अंजाम दे सकते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम द्वारा किए गए रियलिटी चेक में ये लालच और लापरवाही सामने आई।

दाऊद का पार्सल

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने रोडवेज बसेज में पैसेंजर्स की सिक्योरिटी को चेक करने के लिए एक फेक पार्सल तैयार किया। एक पैकेट में टेबल क्लॉक रखी, उसे सील किया और बाहर से एड्रेस लिखा दाऊद। ऐसा पार्सल को संदिग्ध बनाने के लिए किया गया। ये पैकेट दिल्ली जाने वाले रोडवेज की बसेज के कंडक्टर्स को दिया और डिलीवर करने की बात कही। ड्राइवर-कंडक्टर बिना क्वेरी के ही पार्सल कैरी करने के लिए तैयार हो गए।

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अवैध पार्सल का मोटा चार्ज

ड्राइवर-कंडक्टर किसी भी पार्सल को कैरी करने के लिए मोटा चार्ज भी वसूलते हैं। जब हमारी टीम ने कंडक्टर्स को दिल्ली में डिलीवरी के लिए पैकेट दिया तो उन्होंने 200 रुपए की डिमांड की। हमारी टीम ने पैकेट कैरी करने के लिए 10 रुपए पे किये तो पैकेट लौटा दिया गया।

पैकेट की पड़ताल तक नहीं की

ताज्जुब की बात यह है कि मोटा चार्ज लेकर पार्सल कैरी करने के लिए कई बसेज के ड्राइवर-कंडक्टर राजी तो हुए, लेकिन किसी ने भी ये क्वेरी नहीं की, कि पैकेट में है क्या? दाऊद है कौन? ऐसा तब है जब कि दाऊद इब्राहिम मुंबई का कुख्यात गैंगस्टर रहा है और कई वर्षो से फरार है। ये इतना सेंसेटिव नाम है कि देश का बच्चा भी इस नाम से वाकिफ है। ऐसे में जाना जा सकता है कि रोडवेज बसेज के ड्राइवर-कंडक्टर मोटी कमाई के लालच में किस तरह की जानलेवा लापरवाही कर रहे हैं।

मोटी रकम देकर कुछ भी कीजिए पार्सल

आलम यह है कि रोडवेज बसेज के जरिए किसी भी डेस्टिनेशन के लिए कुछ भी पार्सल किया जा सकता है। शर्त एक ही है, इसके बदले में ड्राइवर-कंडक्टर की मोटी कमाई हो रही हो। फिर चाहे आप बॉम्ब ही क्यों न पार्सल कर दें। पार्सल को चेक कराने की या उसके बारे में पूछताछ की जरूरर भी स्टाफ नहीं समझता।

ये है तरीका

बस ड्राइवर-कंडक्टर मोटी रकम लेकर पार्सल कैरी करते हैं। जिस व्यक्ति को पार्सल डिलीवर करना होता है, उसका कॉन्टेक्ट नंबर पार्सल पर लिखवा देते हैं और उसे एक टाइम देकर बस टर्मिनल पर आने को कहते हैं। पार्सल सेंडर को बस का रजिस्ट्रेशन नंबर और उसमें मौजूद स्टाफ का मोबाइल नंबर अवेलेबल कराया जाता है ताकि वे अपने पार्सल की क्वेरी कर सकें।

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मुंबई, जयपुर बस ब्लास्ट बडे़ केस

- 28 जुलाई 2003 में मुंबई में एक बस में बॉम्ब ब्लास्ट हुआ था। मामला मुम्बई में लाल बहादुर शास्त्री मार्ग घाटकोपर का था। एक व्यक्ति बस में पार्सल बॉम्ब छोड़कर भाग गया और विस्फोट हो गया। वारदात में 4 की मौत और 32 घायल हुए थे।

- दूसरा केस जयपुर का है। 13 मई 2008 में एक बदमाश बस में लगेज छोड़कर चला गया। इसमें आरडीएक्स भरा हुआ था। किसी ने लगेज चेक नहीं किया और इस लापरवाही का नतीजा बस में बलास्ट के रूप में सामने आया।

सिर्फ पैसेंजर्स के साथ लगेज की परमिशन

रोडवेज बसेज में सिर्फ पैसेंजर के साथ लगेज अलाउ किया जाता है। किसी तरह का पार्सल कैरी करना बसेज में बैन है। अगर ऐसा किया जाता है तो ये इलीगल है। रोडवेज बस पैसेंजर बसेज में पार्सल सर्विस मुहैया नहीं कराती।

रोडवेज बसेज में पार्सल सर्विस है ही नहीं। पर्सनल रिलेशन के आधार पर लोग अक्सर सामान भिजवाते हैं। पैसेंजर ही अपने साथ लगेज ले जा सकते हैं।

- दीपक जैन, जीएम (संचालन), उत्तराखंड परिवहन निगम

Posted By: Inextlive