- हर गली नुक्कड़ में 100 से 500 रुपये में बिक रही गांजे की पुडि़या

- पुलिस की सरपरस्ती में लखनऊ में फल फूल रहा नशे का कारोबार

LUCKNOW:

राजधानी में गांजा का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। कभी नशे का धुआं पंजाब को उड़ा रहा था, लेकिन अब आंकड़ों पर नजर डालें तो यह यूपी की हवा में पूरी तरह से घुल गया है। हो भी क्यों न जब नशे के कारोबार की सरपरस्ती खुद खाकी करने लगे तो इसका बढ़ना भला कैसे रोका जा सकता है। सब कुछ जानने के बावजूद पुलिस एवं नारकोटिक्स डिपार्टमेंट नशे को लेकर खामोश है। गांजा का कश लगाने वाले में गरीब ही नहीं हाई सोसाइटी के युवा भी शामिल हैं। गांजा राजधानी की गई खास गलियों में खुलेआम बेचा जा रहा है।

क्या है यूपी का डेटा

नशे पर हुए राष्ट्रीय सर्वेक्षण बताते हैं कि देश में करीब 73 लाख लोग गांजा और भांग की लत से ग्रसित हैं। इसमें 28 लाख लोग यूपी के हैं। हेरोइन और अफीम के नशे की बात करें तो 77 लाख लोग इससे बुरी तरह से प्रभावित हैं। इनमें करीब 11 लाख लोग यूपी से हैं। वहीं पंजाब में इनकी संख्या करीब 7 लाख है।

क्या कहते हैं लखनऊ पुलिस के आंकड़े

मादक पदार्थ बरामदगी

गांजा 363 केजी

मारफीन 4.500 केजी

स्मैक 11.724 केजी

नशीला पाउडर 37.854 केजी

चरस 5.515 केजी

डाइजापाम 655

हेरोइन 0.050 केजी

भांग 1.250 केजी

पोस्ता (डोडा) 120.2 केजी

(1 जनवरी से 31 नवंबर 19 तक)

एनडीपीएस की कार्रवाई का आंकड़ा

दर्ज केस गिरफ्तारी

400 417

(1 जनवरी से 31 नवंबर 19 तक)

ओडिशा से हो रही तस्करी

गांजा की सबसे बड़ी खेप ओडिशा से सप्लाई हो रही है। ऐसा नहीं है कि इस पर रोक लगाने के लिए पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। कई बार एसटीएफ और लोकल पुलिस ने गांजा की बड़ी खेप बरामद की है। जिसमें अब तक पचास कुंतल से ज्यादा गांजा पकड़ा जा चुका है। वहीं नेपाल से भी राजधानी में गांजा अा रहा है।

बड़ी मछली िगरफ्त से दूर

कहने को तो पुलिस गांजा के धंधे में लिप्त लोगों को गिरफ्तार करती है लेकिन सिर्फ छोटी मछली यानि सप्लाई करने वाले कैरियर और बिक्री करने वाले ही गांजा की खेप के साथ पकड़े जाते हैं। इस पूरे खेल के मास्टर माइंड कभी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं। गांजा की सप्लाई के लिए महिलाओं, बुजुर्गो को यूज किया जाता है, वहीं इसकी सप्लाई पब्लिक ट्रांसपोर्ट से की जाती है।

कई जगह होती है बिक्री

राजधानी के कई इलाकों में गांजा की खुलेआम बिक्री होती है। गुंडबा थाने के पीछे भट्टे के पास चार लोग गांजा बेचते हैं। वहीं ठाकुरगंज पंपिंग स्टेशन बंधा व बंधे के किनारे तीन-चार महिलाएं गांजा व स्मैक बेंचती हैं। चिनहट स्थित फैजाबाद हाईवे पर एक गुमटी में गांजा बेचा जाता है। कृष्णा नगर में कब्रिस्तान के पास, हसनापुर, मवैया, पारा, महानगर, कैंट के सदर इलाके, लालकुआं, नाका और तालकटोरा में भी इसकी बिक्री की जाती है।

पुडि़या एक, रेट अनेक

गांजा की पुडि़या का रेट और क्वालिटी पर भी धंधेबाजों का पूरा ध्यान रहता है। सौ रुपये से इसकी पुडि़या की शुरुआत होती है। सौ रुपये की पुडि़या में 5 ग्राम, 150 रुपये की पुडि़या में करीब 10 ग्राम व पांच सौ की पुडि़या में 25 ग्राम गांजा होता है। जिसे पीने वाले सिगरेट व ओसीबी (खास तरह की पन्नी) में इसे भर कर पीते हैं।

बढ़ती जा रही लत

गांजे का नशा कॉलेज में पढ़ने वाले कई स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल संस्थान में पढ़ने वाले बहुत से स्टूडेंट के साथ-साथ अलग-अलग फील्ड में जॉब वाले भी बड़ी संख्या में कर रहे हैं।

पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा कारोबार

गांजा का कारोबार कृष्णानगर में ही नहीं कई अन्य इलाकों में भी पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा है। हाल ही में नारकोटिस सेल ने कैंट इलाके में पुलिस लाइन में तैनात एक सिपाही को गिरफ्तार किया था, जो गांजा व चरस की बिक्री करता था। उसने नशे के लती और रिक्शा चालकों को ही अपना कैरियर बनाया था।

Posted By: Inextlive