एक्सक्लूसिव --------

-रेलवे कैंपस से निकलने वाले कूड़े से बनाएगा बिजली, ग्रिड से जुड़ेगी सप्लाई

-कैंपस में कूड़ा डिस्पोजल प्लांट, वेस्ट आइटम से बनाई जाएगी खाद

-5 टन कूड़ा रोज निकलता है स्टेशन परिसर से

- 3 जोन में स्टेशन परिसर को बांटकर होती है साफ-सफाई

- 3 एजेंसियों के जिम्मे है कैंपस की सफाई

- 1 करोड़ रुपये से प्लांट को बनान की है योजना

VARANASI

वह दिन दूर नहीं जब कैंट स्टेशन कचरे से बनी बिजली से रौशन होगा। इसके लिए रेलवे ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। यहां तक कि इसके लिए फंड भी जारी कर दिया गया है। अब कैंट स्टेशन पर निकलने वाला कूड़ा-कचरा कैंपस से बाहर नहीं फेंका जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में स्थित लखनऊ डिवीजन के इस बड़े स्टेशन पर अब जल्द ही प्लांट बनाकर कचरे का निस्तरण किया जाएगा और इससे बनने वाली बिजली को ग्रिड से जोड़कर स्टेशन परिसर को जगमग किया जाएगा। उसके बाद निकले कचरे के अवशेष से भी खाद बनाने की तैयारी है। इससे किसानों को भी काफी फायदा होगा। डिपार्टमेंट ने प्लांट लगाने के लिए जगह भी फाइनल कर लिया है।

लगेगा व‌र्ल्ड लेबल का प्लांट

कचरे से बिजली जेनरेट करने के लिए स्टेशन परिसर में व‌र्ल्ड लेबल का प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए रेलवे एक करोड़ रुपये खर्च करेगा। ऑफिसर्स के मुताबिक प्लांट पर खर्च होने वाले फंड को जारी कर दिया गया है। जल्द ही कार्य स्टार्ट भी हो जाएगा। प्लांट पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड व हाई फाई सिस्टम से लैस होगा। उदाहरण के तौर पर मशीन तक कूड़ा पहुंचाने वाली ट्राली भी रिमोट से ऑपरेट होगी।

स्टेशन के पूर्वी छोर पर जगह फाइनल

रेलवे ने कैंट के डेवलपमेंट के लिए वृहत खाका खींचा है। एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से इस प्रोजेक्ट को लेकर खास फोकस है। फॉरेन कंट्रीज की तरह स्टेशन कैंपस में ही कचरे का सही डिस्पोजल करने की तैयारी है। ऑफिसर्स के मुताबिक वर्तमान में जहां यार्ड है वहां नया प्लेटफॉर्म बनाया जाना है। ऐसे में पूर्वी छोर मुगलसराय साइड में ही प्लांट लगाये जाने पर लगभग मुहर लग गयी है। अगले महीने दिसंबर में कार्य स्टार्ट हो जाएगा।

वर्जन---

स्टेशन से निकलने वाले कचरे को रेलवे ने खुद डिस्पोज ऑफ करने का प्लॉन बनाया है। कैंट स्टेशन पर दुनिया भर से टूरिस्ट्स का आना-जाना है। ऐसे में यहां सबसे पहले इस तरह का प्लांट लगाने की योजना है।

सतीश कुमार, डीआरएम

लखनऊ डिवीजन, नार्दन रेलवे

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सफाई को लगी हैं तीन एजेंसी

स्टेशन कैंपस की सफाई को रेलवे ने तीन प्राइवेट एजेंसी को काम सौंपा है। पूरे स्टेशन कैंपस को तीन जोन में बांटा गया है। जोन ए-प्राइमस सॉल्यूशन, जोन बी-किंग सिक्योरिटी व जोन सी-एपकॉन इंडिया के जिम्मे हैं। एक एजेंसी सर्कुलेटिंग एरिया व प्लेटफॉर्म नंबर एक दूसरी एजेंसी के पास प्लेटफॉर्म नंबर दो, तीन, चार, पांच के अलावा कचरा उठाने की भी जिम्मेदारी है। इसी तरह तीसरी एजेंसी प्लेटफॉर्म नंबर छह, सात, आठ व नौ की सफाई करती है।

पांच टन से अधिक कूड़ा

कैंपस से निकलने वाले कूड़े के लिए आउटर पर दो डंपिंग ग्राउंड भी बनाए गए हैं। जहां कूड़े को इकट्ठा किया जाता है। यहां से डेली लगभग पांच टन कूड़ा बाहर फेंकने के लिए एजेंसी ले जाती है। इसके डिस्पोजल की जिम्मेदारी एजेंसी पर ही है। ऐसे में एजेंसी नगर निगम व अन्य स्रोतों पर निर्भर है। जहां स्टेशन से निकलने वाला कूड़ा खपाया जाता है।

ग्रिड से जुड़ेगी सप्लाई

स्टेशन के कूड़े से बनने वाली बिजली को ग्रिड से जोड़ा जाएगा। जहां से कैंपस को बिजली सप्लाई की जाएगी। यहां से बची बिजली को बाहर बेचने का भी प्लॉन है। जिससे भविष्य में इनकम भी होगी। हालांकि फ‌र्स्ट फेज में स्टेशन व रेलवे कॉलोनीज को ही सप्लाई होगी। बता दें कि कैंट स्टेशन कैंपस में सोलर प्लांट भी लगाया गया है। जिससे पैदा होने वाली बिजली को भी ग्रिड में जोड़ा गया है। फिलहाल इस बिजली से स्टेशन की एलईडी लाइट को सप्लाई हो रही है।

Posted By: Inextlive