1327 लाख रुपये खर्च हुए हैं महज तीन साल में

14121 चेंबर बनाने की थी योजना बीते तीन साल में

850 चेंबर्स का ही हुआ निर्माण अभी तक

6000 के करीब लाइनों की कनेक्टिविटी पूरी होनी थी।

1225 लाइनों की कनेक्टिविटी का काम अभी तक है बाकी

270 के करीब नालों की सफाई व

बाउंड्री के निर्माण का कार्य हुआ

18 करोड़ रुपये अवस्थापना निधि से खर्च हुए पूरी कवायद में

14.38 करोड रुपये से शहर के 24 नालों की बाउंड्री वॉल बनाने का काम

सड़क व नालों की सफाई से लेकर कूड़ा उठाने की गाडि़यों में खर्च कर दिया करोड़ों का बजट

सफाई और प्लास्टिक वेस्ट मैटेरियल के निस्तारण में फेल निगम

Meerut। शहर की सफाई और शहरवासियों को साफ-सुथरा माहौल देने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। ऐसा भी नहीं है कि निगम के पास बजट या संसाधनों की कमी है। इस सबके बावजूद निगम अपनी जिम्मेदारी किस लापरवाही से निभा रहा है उसका अंदाजा शहर की सड़कों को देखकर लग जाता है। इसे निगम की लापरवाही ही कहेंगे कि शहर की साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सड़कों पर कूडे़ के ढेर लगे हैं।

सफाई व मरम्मत का बजट

तीन माह पहले नगर निगम ने शहर के नालों की सफाई और उनकी मरम्मत के लिए अभियान शुरू किया था। इसके तहत सैंकड़ों नालों की सफाई कर सिल्ट को बाहर निकाला गया। साथ ही नालों की बाउंड्री वॉल को रिपेयर किया गया लेकिन आज भी नालों में गंदगी जस की तस है।

संसाधनों की स्थिति

75 लाख रुपये की लागत की रोड क्लीन स्वैप मशीन की खरीद।

करीब 5.48 करोड़ रुपये की 90 टाटा ऐस यानि छोटा हाथी खरीदे।

छोटी व संकरी गलियों में नालियों की सफाई के लिए करीब 35 लाख की पोर्कलेन मशीन और 17 ट्रालियां खरीदीं।

करीब 20 लाख की 1 सीवर जेट मशीन व करीब सवा करोड़ के 22 ट्रेक्टर खरीदे।

करीब 90 लाख की 3 जेसीबी पहले से ही मौजूद है।

प्लास्टिक कचरा निस्तारण नहीं

एक अंदाजे के अनुसार शहर से रोजाना निकलने वाले 800 से 900 मीट्रिक टन कूडे़ में से करीब 200 टन से अधिक रोजाना प्लास्टिक कचरा या पॉलीथिन निकलती है। इसके साथ ही शहर के नालों की सिल्ट में सबसे अधिक जलभराव का कारण भी पॉलीथिन ही है। ऐसे में निगम के पास प्लास्टिक कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था ना होने के कारण कई सालों से डंपिंग ग्राउंड में पॉलीथिन का ढेर बढ़ता जा रहा है। इस समस्या के निस्तारण के लिए निगम ने प्लांट से कंपोस्ट खाद के साथ-साथ प्लास्टिक, टीन, लोहा आदि चीजों को अलग-अलग करके बेचने की योजना भी बनाई थी। हालांकि यह योजना भी अभी अधर में है।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

शहर की सीवरेज व्यवस्था सुधारने के उद्देश्य से तीन साल पहले वर्ष 2015-16 में शुरू की गई सीवरेज ट्रीटमेंट व्यवस्था आज तीन साल बाद भी अधर में है। योजना के तहत निगम को अभी तक बजट की मात्र 30 प्रतिशत राशि का आवंटन होने से कारण काम रुका हुआ है। जिस कारण से निगम की सीवरेज व्यवस्था केवल शहर की आउटर और वीआईपी कालोनियों तक सीमित है। शहर के अधिकतर पुराने इलाकों में अभी भी सीवरेज अधर में हैं या वह जाम हैं।

18 करोड़ के वाहन

नगर निगम ने छह माह पहले अवस्थापना निधि से करीब 18 करोड़ रुपये खर्च कर नगर की सफाई के लिए वाहनों की खरीद की थी। फिर भी शहर में जगह-जगह कूड़ा और नालों में भरी सिल्ट की सफाई नहीं हो पा रही है। कुल-मिलाकर निगम के ये वाहन अब सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।

निगम की सभी योजनाओं को बजट के अनुसार समय से पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। कूड़ा निस्तारण में निगम को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा था लेकिन उनका निस्तारण किया जा चुका है।

अली हसन कर्नी, अपर नगरायुक्त

Posted By: Inextlive