इंट्रो-

जीवन की कठिनाइयों ने भी कभी उनके मंसूबों को पीछे नहीं होने दिया। हर कदम पर नई प्रेरणा और नए संकल्प के साथ शहर की कुछ महिलाओं ने सफलता का वो मुकाम हासिल किया, जिसके पीछे संघर्षो की अथक कहानी है। जिसने जीवन के हर मौके में त्याग और ममता की मूर्ति के साथ हसरतों की नई पटकथा लिखी। महिला दिवस पर ऐसी ही कुछ महिलाओं की कहानी जिन्होंने संघर्षो की बुनियाद पर सफलता की ऐसी मीनार खड़ी की। जहां पर हर किसी का उन पर नाज है।

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जीवन की हर चुनौतियों का किया डटकर सामना

- शास्त्रीनगर में कोजी स्पा ब्यूटी सेंटर का संचालन कर रहीं आनित

- संघर्षो के दिनों में की थी छोटी मोटी नौकरी, अब दे रहीं दूसरों को नौकरी

'कैचियां क्या पर कतरेंगी, हमारे हम पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान भरते हैं'

Meerut। जी हां राहत इंदौरी का शेर शास्त्रीनगर निवासी आनित के जीवन पर बिल्कुल मुफीद हैं। आनित की जिंदगी में मुश्किल कभी कम नहीं हुई। लेकिन उन्होंने हर चुनौती में सफलता के नए मापदंड स्थापित किए। तकरीबन 10 साल पहले पति की आकस्मिक मौत ने आनित को जिंदगी का सबसे बड़ा झटका दिया था। आनित बताती हैं कि उन दिनों वे बिल्कुल अकेली हो गई थीं। बेटे और बेटी भी छोटे थे। लिहाजा उनकी चिंता उन्हें हर पल सताती थी। लेकिन उन्होंने जिंदगी की इस कठिनाई का डटकर सामना किया। पहले कुछ दिनों तक उन्होंने एक इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी की। फिर उसके बाद साल 2013 में कोजी स्पा ब्यूटी सेंटर का संचालन शुरू किया। अपनी कठिन मेहनत और दृढ़इच्छाशक्ति की बदौलत उन्होंने सफलता हासिल की। अब वे खुद ही 20 लोगों को जॉब मुहैया करा रही हैं। इनमें 50 फीसदी लड़कियां हैं। आनित बताती हैं कि उन्होंने जीवन की हर चुनौती का डटकर सामना किया। संघर्ष को ही जीवन का सच माना। अब उनका बेटा विदेश में पढ़ाई कर रहा है और बेटी इन दिनों मेडिकल की पढ़ाई करके अपनी मम्मी के सपने को पूरा करना चाहती है।

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- हेडिंग-

परिवार को संभाला लेकिन खुद नहीं की शादी

- 17 साल की उम्र में हो गई थी पिता की मौत

- दो छोटे भाइयों को पढ़ाया- लिखाया, अब दूसरों को भी बना रही स्वावलंबी

मेरठ। जीवन में अगर दृढ़इच्छाशक्ति हो और संकल्पों को पूरा करने का जज्बा हो तो जीवन की हर परिस्थति में नए मानदंड स्थापित किए जा सकते हैं। सुभाषनगर निवासी रीना पटेल की कहानी भी कुछ ऐसी हैं। जिनके त्याग और मेहनत की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई है। 17 साल की उम्र में रीना के पिता की मौत हो गई थी। उस दौरान दोनो भाई भी छोटे थे। लिहाजा समूचे परिवार की जिम्मेदारी रीना पर आ गई। पिताजी का टेंट का बिजनेस था। लेकिन टेंट के बिजनेस को कोई लड़की संभाले ये भी समाज में एक नई चुनौती थी। लेकिन रीना ने हार नहीं मानी और जीवन की हर चुनौती का सामना किया। पहले दोनों भाइयों को पढ़ाया-लिखाया और फिर दोनो भाइयों की शादी करवाई। कठिनाई के दौर में परियोजना अधिकारी अतुल सिंह चौहान प्रेरणा पुंज साबित हुए। पहले डूडा की मदद से ब्यूटी पार्लर का संचालन किया। अब तक तकरीबन दो हजार लड़कियों को स्वावलंबी बनाने के लिए ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। जीवन में संघर्षो की इस दौड़ में रीना ने बखूबी अपने परिवार को संभाला। लेकिन उन्होंने खुद शादी नहीं की। जीवन की हर चुनौती का आज भी वो डटकर सामना कर रही हैं। और बेटियों को स्वावलंबन की सीख दे रही हैं।

Posted By: Inextlive