-सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का हुआ निर्वाह, गाजी मियां के आस्ताने पर लगा मेला

-हजारों लोगों ने दरगाह पर पहुंच कर लगायी हाजिरी

VARANASI (18 May): बड़े अरमानों के साथ बेचारे गाजी मियां दूल्हा बने थे। ख्वाहिश थी कि इस बार तो चाहे कुछ भी हो जाये शादी कर के ही रहेंगे। लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। हर बार की तरह इस साल भी वही हुआ जिसका डर था। बेचारे सैय्यद सलार मसूद गाजी मियां के ख्वाहिशों पर पानी फिर गया और वे कुंवारे रह गये। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि अचानक घराती और बाराती किसी बात को लेकर आपस में भिड़ गये। नतीजा यह हुआ कि गाजी मियां को दुल्हन का मुंह देखना नसीब नहीं हुआ। शादी अगले साल तक के लिए टाल दी गयी है। सारी तैयारियां धरी की धरी रह गयीं। गाजे बाजे और आतिशबाजी के नजारे फीके पड़ गये। बेचारे बाराती भी मायूस हुए। उनकी सारी सजधज बेकार हो गयी।

हिन्दू भी हुए शामिल

गाजी मियां की शादी न होने की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। जिसका निर्वाह इस साल भी रविवार को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया। गाजी मियां की शादी का आयोजन हुआ, लेकिन शादी नहीं हो सकी। हर साल की तरह इस बार भी जैनपुरा (जैतपुरा) से गाजी मियां की प्रतीकात्मक बारात सलारपुर स्थित उनके आस्ताने पर पहुंची थी। सलारपुर में हर साल की तरह मेले का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और गाजी मियां की दरगाह पर हाजिरी लगायी। मेले में मुस्लिमों के अलावा बड़ी संख्या में हिन्दू भी शामिल हुए, जो इस मेले की एक खासियत है। हिन्दू और मुसलमान दोनों ही वर्गो ने मनौती पूरी होने पर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया। आस्ताने पर मुर्गे का प्रसाद चढ़ाया गया।

हेल्थ की हुई जांच

मेले में विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से कैंप लगाये गये थे। सुल्तान क्लब की ओर से बड़ी बाजार बुनकर मार्केट में दो दिवसीय प्रशासनिक सहायता व स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। कैंप का इनॉगरेशन क्लब के अध्यक्ष डॉ। एहतेशामुल हक ने किया। बतौर स्पेशल गेस्ट डॉ। रेयाज भी कार्यक्रम में उपस्थित हुए। कैंप में पहले दिन म्भ्ब् लोगों के हेल्थ की जांच की गयी। कैंप को सफल बनाने में डॉ। नदीम अंसारी, डॉ। अजय शुक्ला, जावेद अख्तर, डॉ। मुहम्मद अरसद, महबूब आलम, खलील अहमद, अजय वर्मा आदि का योगदान रहा। गेस्ट्स का वेलकम एच हसन ने किया।

Posted By: Inextlive