- जेल में बंद होने के दौरान बेटे की सदमे से हुई मौत

LUCKNOW : लखनवाइट्स के जेहन में बसी दागदार मित्र पुलिस की छवि को सुधारने के लिए अधिकारी भले ही दिन रात एक कर रहे हों, लेकिन उनकी मेहनत पर मातहत पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पुलिस अफसर अपराध से संबंधित सूचना देने वाले को भले ही ईनाम देने की घोषणा करते हैं, लेकिन मित्र पुलिस सूचना देने वाले को ही सलाखों के पीछे डाल रही है। ऐसा ही एक मामला गाजीपुर थाने का सामने आया है, जहां पुलिस ने सूचना देने वाले बुजुर्ग को सलाखों के पीछे डाल दिया। यह हादसा तेलीबाग के सुभानी खेड़ा के एक बुजुर्ग के साथ हुआ।

किराए पर दी थी अपनी गाड़ी

तेलीबाग के सुभानी खेड़ा निवासी शमीम अहमद (55) ने परिवार के पालन पोषण के लिए एक हाफ डाला गाड़ी खरीद थी। इस गाड़ी को वह किराए पर चलवा कर परिवार को पाल रहे थे। 14 जुलाई 18 को इंदिरा नगर के मेट्रो स्टेशन से सरिया उठाने के लिए कुछ लोगों ने उनसे गाड़ी किराए पर ली थी। शमीम ने बताया कि उन लोगों ने किराये पर हाफ डाला ले जाने के लिए एडवांस रकम दे दी। बुकिंग होने के बाद शमीम ने ड्राइवर रंजीत को उनके साथ भेज दिया।

खुद 100 नंबर पर दी थी सूचना

शमीम का आरोप है कि कुछ ही देर बाद उनके पास ड्राइवर रंजीत का फोन आया। उसने डाले से चोरी का माल ढोने की बात बताई। यह सुनते ही शमीम ने यूपी 100 पर फोन कर इसकी जानकारी दी और हाफ डाला का नंबर नोट कराया। इसकी डिटेल भी उनके पास है। मौके पर पुलिस के पहुंचते ही चोर फरार हो गये। पीआरवी के जवानों ने ड्राइवर रंजीत को पकड़ गाजीपुर पुलिस के हवाले कर दिया। इसके बाद मालिक शमीम को थाने पर पूछताछ के लिए बुलाया जाता है।

दो महीने तक काटी जेल

शमीम का आरोप है कि उसके थाने पर पहुंचते ही दोनों को लॉकअप में बंद कर दिया जाता है जबकि उन्होंने डाला बुक कराने वालों का मोबाइल नंबर तक पुलिस को मुहैया करा चुका था। अगले दिन सुबह होते ही उनसे एक पन्ने पर हस्ताक्षर करा कोर्ट के सामने पेश कर जेल भेज दिया गया। करीब दो महीने तक जेल में रहने के बाद शमीम को जमानत मिल गई।

जेल में रहते मिली बेटे के मौत की सूचना

शमीम दो हाफ डाला किराये पर चलवाकर घर का खर्चा चलाता था, लेकिन उसके जेल जाने पर बेटे मोहम्मद सलाउद्दीन की पढ़ाई छूट गई। वह बीमार रहने लगा। परिजनों ने उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। जेल में बंद शमीम को जैसे ही बेटे की मौत की सूचना मिली वह पूरी तरह से टूट गए। शमीम का आरोप है कि उसके बेटे की मौत के लिए गाजीपुर पुलिस जिम्मेदार है क्योंकि उन्हें झूठे मुकदमें में फंसाकर जेल भेज दिया था।

बेबस पिता एक साल से काट रहा चक्कर

जेल से छूटने के बाद शमीम खुद को बेकसूर साबित करने के लिए पुलिस के आलाधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। उनका हौसला उस दौरान चकनाचूर हो गया जब एसएसपी कार्यालय द्वारा मामले की जांच उस थाने को ही दी गई जहां से उन्हें जेल भेजा गया था। इसके खिलाफ वह एक साल से डीजीपी से लेकर एसएसपी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही। वहीं गुरुवार को शमीम ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों से भी शिकायत की है। शमीम का कहना है कि पुलिस के दिये इस दर्द के बाद उसे कोई काम तक नहीं देता है। बीमार पत्नी का इलाज कराने के लिए उसे एक डाला तक बेचना पड़ा।

कोट-

इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। अगर कोई आरोप है तो इस मामले में जांच कराई जाएगी। अभी तक किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है।

अमित कुमार, एएसपी ट्रांसगोमती

Posted By: Inextlive