शनिवार की रात 12 बजे के बाद लागू हुआ इंट्रा स्टेट ई-वे बिल

ALLAHABAD: शनिवार की रात 12 बजे के बाद से उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में इंटर स्टेट ई-वे बिल के बाद अब इंट्रा स्टेट ई-वे बिल सिस्टम लागू हो चुका है। जीएसटी लागू होने के बाद अभी तक जो व्यापारी रिटर्न फाइलिंग के साथ अन्य नियमों का पालन करते हुए बिजनेस कर रहे थे अब उन्हें भी अपनी दुकान से 50 हजार से अधिक मूल्य का माल भेजने के लिए ई-वे बिल जेनरेट करना होगा।

अभी 24 सामान पर था जरूरी

स्टेट ई-वे बिल प्रदेश में 31 मार्च 2018 तक लागू था। लेकिन, दायरा सीमित था। इसके अंतर्गत लोहा, फर्नीचर के साथ ही अन्य कैटेगरी के सामान मिला कर 24 सामानों को भेजने और उनकी कीमत 50 हजार रुपये से अधिक होने पर ई-वे बिल जेनरेट करना होता था। अब जिन सामानों पर भी टैक्स लगता है यदि उनका बिल 50 हजार से अधिक है तो ई-वे बिल जेनरेट करना अनिवार्य होगा। कर मुक्त सामानों को इससे दूर रखा गया है।

ये हैं ई-वे बिल नियम -138

50 हजार से अधिक के माल की जानकारी पोर्टल पर देनी होगी। इसके आधार पर यूनिक नंबर जेनरेट होगा।

जॉब वर्कर और प्रिंसिपल अलग राज्यों में हैं और प्रिंसिपल द्वारा माल जॉब वर्कर को भेजा जा रहा है तो ई-वे बिल प्रिंसिपल या जॉब वर्कर बनाएगा।

हैंडीक्राफ्ट मॉल का अंतर राज्य परिवहन हो रहा है तो उसका मूल्य कुछ भी हो, उसका ई-वे बिल बनेगा।

50 हजार के कंसाइनमेंट मूल्य जिस पर ई-वे बिल बनेगा, उसके मूल्य का निर्धारण सभी टैक्स, सरचार्ज, सेस आदि को जोड़ कर किया जाएगा।

माल किसी पंजीकृत व्यक्ति द्वारा कंसाइनर या रिसीवर के रूप में अपने निजी वाहन, किराए पर लिए गए वाहन, रेलवे, जलयान द्वारा परिवहित किया जा रहा है तो वह व्यक्ति कॉमन पोर्टल पर पार्ट बी की जानकारी को पूरा करते हुए ई-वे बिल बनाएगा।

पंजीकृत व्यक्ति द्वारा माल का परिवहन किसी ट्रांसपोर्टर द्वारा सड़क मार्ग से कराया जा रहा है तो ई-वे बिल का पार्ट ए पंजीकृत व्यक्ति द्वारा भरा जाएगा

एक ही राज्य के भीतर व्यापारी के व्यापार स्थल से माल परिवहन के लिए ट्रांसपोर्टर के गोदाम तक जा रहा है और व्यापार स्थल से ट्रांसपोर्टर के गोदाम तक की दूरी 50 किलोमीटर से कम है तो ई-वे बिल के पार्ट बी को भरने की आवश्यकता नहीं है।

माल की आपूर्ति अपंजीकृत आपूर्तिकर्ता द्वारा पंजीकृत व्यक्ति को की जा रही है तो प्राप्तकर्ता पंजीकृत व्यक्ति ई-वे बिल बनाएगा।

ई-वे बिल बनने के पश्चात ढेर सारी कंसाइनमेंट के लिए ट्रांसपोर्टर कंसालिडेटेड ई-वे बिल बना सकता है।

ई-वे बिल बना लिया गया है और माल का परिवहन नहीं हो सका है तो 24 घंटे के अंदर उस ई-वे बिल को कैंसिल किया जा सकेगा। यदि किसी सचल दल इकाई ने उस ई-वे बिल को वेरीफाई कर दिया है तो उसे कैंसिल नहीं किया जा सकेगा।

यदि किसी कारणवश निर्धारित समय में ट्रांसपोर्टर द्वारा माल को नहीं पहुंचाया जा सका है तो ट्रांसपोर्टर एक अन्य ई-वे बिल के पार्ट- बी में अपडेट करके बना सकेगा।

इन परिस्थितियों में नहीं लागू होगा

नॉन वोटर वाहन या फिर अनेक्सर 138-14 में दी गई वस्तुओं पर जब माल पोर्ट, एयरपोर्ट, एयरकारगो, कस्टम स्टेशन से इनलैंड कंटेनर डिपो को या कस्टम क्लियरेंस के लिए जा रहा हो।

शराब, डीजल, पेट्रोल, नैचुरल गैस, मोटर स्परिट, एविएशन टरबाइन फ्यूल, करेंसी, आभूषण, प्रयोग किए जा चुके व्यक्तिगत एवं घर सामान के परिवहन पर।

Posted By: Inextlive