दवा व्यापारी नही ले रहे इंट्रेस्ट, शहर में एक भी आवेदन नही

छह माह में केवल तीन दुकानों का जारी हुआ लाइसेंस, सब देहात के

डॉक्टर लिखेंगे भी तो दवाओं के लिए भटकेंगे मरीज

ALLAHABAD: डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने का केंद्र सरकार का आदेश फिलहाल हवा-हवाई साबित हो रहा है। केंद्र सरकार ने सस्ती जेनेरिक दवाओं की बिक्री के लिए जिन जन औषधि केंद्रों को खोलने को कहा है, उसके लेनदार ही नही मिल रहे हैं। दवा व्यापारियों के रुचि नही लेने से पिछले छह माह में शहरी एरिया में एक भी आवेदन नही आया है। ग्रामीण एरिया में जरूर कुछ लोग आगे आए हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो जाता है कि डॉक्टर दवा लिखते भी हैं तो मरीज इसे खरीदने कहां जाएंगे।

हर ब्लॉक में एक दुकान होना जरूरी

नियमानुसार किसी भी जिले के एक ब्लॉक में कम से कम एक प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र होना जरूरी है। फिलहाल ग्रामीण इलाकों में केवल तीन आवेदन ही आए हैं। जबकि शहर से एक भी आवेदन नही किया गया है। ड्रग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जरूरी शर्ते पूरी करने के बाद कोई भी जेनेरिक स्टोर खोल सकता है। फार्मासिस्ट होना जरूरी शर्त है।

लाखों की आबादी में 1200 भी कम

जिले में दवाओं की खपत कितनी अधिक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुल मेडिकल स्टोर की संख्या जिले में 1200 है और यह भी कम है। इलाहाबाद की जनसंख्या 65 लाख के आसपास और इसके लिहाज से इतनी संख्या भी कम है। बता दें कि एक साल पहले जिले में 1700 मेडिकल स्टोर थे, जिनमें से पांच सौ बंद हो गए हैं। जबकि यूपी में जन औषधि केंद्रों की संख्या महज 160 है, जो जनसंख्या के मुकाबले काफी कम है।

फार्मासिस्ट भी तो नही हैं

दूसरी सबसे बड़ी समस्या फार्मासिस्ट की कमी है। इनकी संख्या इतनी कम है कि नए मेडिकल स्टोर खोलना तो दूर सत्यापन में पुराने बंद होते जा रहे हैं। ऐसे में जन औषधि केंद्र खोलने के लिए फार्मासिस्ट कहां से आएंगे, यह बड़ा सवाल है। यह भी बता दें कि जबसे मेडिकल स्टोर सत्यापन की प्रक्रिया ऑनलाइन हुई है, तब से फर्जीवाड़े के चलते कई स्टोर बंद करा दिए गए हैं।

अभी तक केवल ग्रामीण एरिया के तीन लाइसेंस दिए गए हैं। शहर में एक भी आवेदन नही आया है। इसका एक कारण प्रचार प्रसार में कमी भी हो सकता है। लोगों को जानकारी नही है। दूसरे फार्मासिस्ट भी यूपी में काफी कम है।

केजी गुप्ता,

असिस्टेंट ड्रग कमिश्नर, इलाहाबाद मंडल

जिले में जितने भी मेडिकल स्टोर हैं, वह जनसंख्या के लिहाज से कम हैं। फार्मासिस्ट पर्याप्त होते तो अभी पांच सौ से अधिक नए मेडिकल स्टोर की जरूरत है। दवा की खपत दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

परमजीत सिंह,

महामंत्री, इलाहाबाद ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन

Posted By: Inextlive