-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में सबने रखी अपनी बात

-बिजनेसमैन, सर्विसमैन, आम आदमी और गृहणी को आम बजट से है काफी उम्मीद

ALLAHABAD: हर-बार की तरह इस बार के आम बजट से भी हर-वर्ग के लोगों ने काफी उम्मीदें लगा रखी हैं। बिजनेसमैन, सर्विसमैन, आम आदमी के साथ ही गृहणियों की अलग-अलग अपेक्षाएं हैं। बुधवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने शहर के व्यापारियों व आम नागरिकों के साथ आम बजट पर चर्चा की तो लोगों ने खुलकर अपेक्षाएं बताई

कृषि प्रधान देश में बजट मिडिल क्लास के साथ ही किसानों की बेहतरी पर आधारित होना चाहिए। सरकार कुछ ऐसा कदम उठाए, जिससे पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में हो रही बेतहाशा वृद्धि पर अंकुश लग सके।

-संतोष पनामा

शिक्षा के मामले में सरकार दोहरी नीति अपना रही है। किताबों को जहां कर मुक्त की श्रेणी में रखा गया है। वहीं कॉपी पर 12 प्रतिशत टैक्स लगाया है। यह पूरी तरह से गलत है।

-विपिन अग्रवाल

प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री विदेशों की तरह शिक्षा व्यवस्था करने की बात करते हैं। यूके में इंटर तक का एजुकेशन फ्री है। इंडिया की बात करें तो यहां मुफ्त शिक्षा सपना है।

-संजीव बजाज

जीएसटी लगने के बाद व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। आए दिन नियमों में हो रहे बदलाव से व्यापारी और व्यापार स्थिर नहीं हो पा रहा है। सरकार को अपने निर्णय पर अडिग रहना चाहिए।

-सतीश चंद्र केसरवानी

टैक्सेशन सिस्टम की खामी का ही परिणाम है कि दो राज्यों में एक ही प्रोडक्ट का अलग-अलग रेट है। एमपी में सीमेंट सस्ता है, वहीं यूपी के करीब नौ जिलों में वही सीमेंट अधिक दाम में बेचा जा रहा है।

-रामकृष्ण अग्रवाल

कंपोजिशन स्कीम में अधिक से अधिक व्यापारी शामिल हो सकें, इसलिए कंपोजिशन का दायरा डेढ़ करोड़ से अधिक करने के साथ ही आधा परसेंट टैक्स लगना चाहिए, जो अभी एक प्रतिशत लग रहा है।

-लखन केशरी

सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। भ्रष्टाचार चरम पर है। लेन-देन के बगैर किसी विभाग में कोई काम नहीं हो रहा है। सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए।

-राजकुमार केसरी

केंद्र सरकार ने एक देश एक कर की बात कही थी। इसके बाद भी मंडी समिति क्यों नहीं हटाई जा रही है। मंडी समिति पर अलग टैक्स लगाया जाता है।

-गया प्रसाद केसरवानी

सोलर और एलईडी प्रोडक्ट पर जो टैक्स के दायरे से बाहर थे, उन्हें टैक्स के दायरे में लाना गलत है।

-बाल कृष्ण अग्रवाल

सरकारी कर्मचारी की तरह व्यापारी भी टैक्स वसूल कर सरकार को देता है, लेकिन बदले में व्यापारी को कोई सुविधा नहीं मिलती है। वैट में व्यापारी को पांच लाख रुपए दुर्घटना बीमा मिलती थी। लेकिन जीएसटी में यह भी नहीं है।

-श्याम जी अग्रवाल

लोकल स्तर पर तैयार ज्यादातर प्रोडक्ट में एमआरपी के नाम पर कमीशन का जबर्दस्त खेल चलता है। सरकार को इस खेल पर अंकुश लगाने के लिए एमआरपी तय करने की व्यवस्था करनी चाहिए।

-दिलीप केसरवानी

सिगरेट और पान मसाला को छोड़ दिया जाए तो बीड़ी उद्योग से लाखों गरीब जुड़े हुए हैं। सरकार को उन गरीबों के बारे में सोचना चाहिए।

-गुलाम अहमद

सरकार ने फर्टिलाइजर पर पांच प्रतिशत का टैक्स लगा रखा है। देश के अन्य राज्यों में जहां खाद 295 रुपए बोरी बिक रही है। वहीं यूपी में इसकी कीमत 327 रुपए है।

-केके अग्रवाल

व्यापारी और व्यापार जगत को इस बार आम बजट से जीएसटी के बोझ से छुटकारा चाहिए। जीएसटी पर विशेष चर्चा के साथ सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की उम्मीद व्यापारियों ने लगा रखी है।

-अतुल कुमार अग्रवाल

जिन लोगों ने होम लोन लिया हुआ है, या जो अपना घर खरीदना चाहते हैं, उनके लिए सरकार को इनकम टैक्स में छूट का दायरा बढ़ाना चाहिए।

-अरुण अग्रवाल

छोटे निवेशकों खास कर नौकरी पेश लोगों के लिए सरकार को सरकारी स्कीम में सालाना निवेश की आय सीमा बढ़ानी चाहिए।

-विजय श्रीवास्तव

नोटबंदी के बाद जीएसटी की वजह से उद्योग धंधे काफी प्रभावित हुए हैं। इसलिए इस बार आम बजट में मेक इन इंडिया के तहत इंडस्ट्री के लिए सरकार को पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।

-कैलाश बिहारी अग्रवाल

Posted By: Inextlive