वाहनों के शोर से बहरी हो रही ट्रैफिक पुलिस
वाहनों का शोर टै्रफिक पुलिस को बना रहा बहरा
- शहर में 99 टै्रफिक पुलिसकर्मियों को है बहरेपन की शिकायत - शहर की सड़कों पर लगातार बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण Meerut: शहर में ट्रैफिक का शोर यातायात पुलिस को लगातार बहरेपन का शिकार बना रहा है। चौराहों पर जाम के चलते 99 टै्रफिक पुलिसकर्मियों को बहरेपन की शिकायत है। डॉक्टरों के अनुसार लगातार मेलब्रेन हिलने के चलते यह समस्या उत्पन्न होती है। यातायात पुलिस के जवान हर समय शोर में रहते हैं, जिसे सहन करने की कानों की सीमा खत्म हो जाती है। कहां कितना रहा ध्वनि पॉल्यूशन स्थान कैंट अस्पताल 65.8 डेसीबलरेलवे रोड 66.4
थापर नगर 61.2 बेगमपुल 67.8कलेक्ट्रेट 60.9
शास्त्रीनगर 52.4 कैंटोनमेंट 48.2 पल्लवपुरम 55.8 हापुड़ अड्डा 70.3 रेलवे रोड चौराहा 71.8 बेगमपुल चौराहा 75.3 जीरो माइल चौराहा 76.4 साकेत चौराहा 66.5 ये आंकड़े पाल्यूशन बोर्ड के अनुसार हैं 60 डेसीबल से ज्यादा शोर असहनीयवरिष्ठ कान रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव अग्रवाल बताते हैं कि मनुष्य के लिए से 60 डेसीबल का शोर ही सहनीय है। लगातार 70 या उससे ज्यादा डेसीबल के शोर से कान का मेंब्रेन हिलना शुरू हो जाता है.मेंब्रेन के लगातार हिलते रहने से कान का पर्दा तक फट सकता है। जिसके चलते कान बहना शुरू हो जाता है। यही कारण है कि 60 डेसीबल से ज्यादा के शोर से बहरेपन की शिकायत हो जाती है।
ये बीमारियां भी पनपती हैं कान बहने से समूचा तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ना, दिल की बीमारी, चिड़चिड़ापन, जी घबराना जैसी घातक बीमारियां हो सकती है। फैक्ट एंड फीगर -शहर में टै्रफिक पुलिस की कुल संख्या 75 - बहरेपन की शिकायत 75 क्या कहना है इनका जब ड्यूटी के बाद घर जाते हैं, तो कानों में टै्रफिक का शोर गूंजता रहता है। साथ ही धीमा बोलने से आवाज साफ नहीं आती। डॉक्टर शोर में ना रहने के परहेज बताते हैं., लेकिन नौकरी में ये संभव नहीं है। नदीम, टीएसआई दिनभर भर टै्रफिक शोर सुनते-सुनते कान पक जाते हैं। घर में कोई धीरे से आवाज देता है तो सुनाई नहीं देता। टै्रफिक की नौकरी में कान पर तो इफेक्ट पड़ता ही है। डीडी दीक्षित, टीएसआई --------