बनारस में पांच साल में शहरी इलाकों में घटा तो गांवों में बढ़ा बेटियों का अनुपात

जिले के ग्रामीण इलाकों में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ को लेकर जागरूक हुए लोग

VARANASI:

बात जब भी शहर और गांव के बीच समझदारी की होती है तो अक्सर शहर का पलड़ा भारी रहता है। लेकिन इस बार जब बात बेटियों को बचाने की आई है तो इसमें गांव वाले बाजी मार ले गए हैं। जी हां, ये सच है और ये सच्चाई हम नहीं वे सरकारी आंकड़ें बता रहे हैं जो एक सर्वे में सामने आए हैं। इस सर्वे की मानें तो सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के अमल में आने के बाद गांवों में बेटे और बेटियों के अनुपात में बेटियों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी हुई है तो शहर में ये आश्चर्यजनक रूप से कम हो गई हैं।

पांच साल का देखा रिकार्ड

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16)) की रिपोर्ट के अनुसार बनारस में ओवरआल तो रिकार्ड बेहतर हुआ है, लेकिन जब शहर और गांव को अलग किया जाता है तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जिले में एक हजार बेटों के सापेक्ष बेटियों की संख्या 939 से बढ़कर 951 हो गई है। शहर में एक हजार बेटों के सापेक्ष बेटियों की संख्या 968 से घटकर जहां 936 रह गई है, वहीं गांवों में ये संख्या 920 से बढ़कर 963 हो गई है।

गांव वाले हुए अधिक जागरूक

बेटी बचाने और पढ़ाने को लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों मे जागरुकता बढ़ी है। केन्द्र सरकार की 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना के तहत बनारस में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए जा रहे जागरुकता कार्यक्रम से ग्रामीण क्षेत्र के लोग अधिक जागरुक हुए हैं। यही कारण है कि अब वे बेटी पैदा करने के साथ उसे अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए भी पूरा प्रयास कर रहे हैं।

शहर वाले पिछड़ गए

शहरी क्षेत्र में स्थिति में अभी बहुत सुधार नहीं है। शहर में प्रति 1000 बेटों पर अब भी सिर्फ 936 बेटियां ही हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि पांच साल पहले यहां बेटियों का आंकड़ा 968 के करीब था। सीधे तौर पर कहें तो यहां प्रति हजार बेटों पर 32 बेटियां कम हो गई हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति हजार 43 बेटियां बढ़ गई हैं।

कैसे बढ़ी बेटियां

बनारस में बेटियों का ग्राफ बढ़ने की सबसे बढ़ी वजह पीएम मोदी की बेटी बचाओ, बेटे पढ़ाओ मुहिम है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से पिछले कई सालों से लगातार चलाई जा रही जन जागरुकता का असर है कि आज लोग बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं समझ रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा वर्कर, एएनएम और आंगबाड़ी कार्यकत्री द्वारा लगातार डोर टू डोर विजिट ने यहां के लोगों को बेटियों के प्रति शहर से कही ज्यादा विश्वास जगाया है।

फैक्ट फाइल

शहर में पांच साल पहले वर्तमान में

968 936

गांव में पांच साल पहले वर्तमान में

920 963

951

बेटी प्रति हजार बेटों पर पूरे जिले में

939

बेटी प्रति हजार बेटों पर पांच साल पहले पूरे जिले में

बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग बेहद गंभीर है। यह खुशी की बात है कि यहां बेटियों की संख्या बढ़ रही है। शहर के लोगों को अभी और जागरुक करने की जरुरत है। हालांकि यह रिपोर्ट 2015-16 की है। अब सुधार हो रहा है।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ

Posted By: Inextlive