मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपी के एनजीओ का रजिस्ट्रेशन किया गया रद। अन्य गैर सरकारी संगठनों के निबंधन को भी खंगाला जा रह।

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मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर नकेल कसने लगी है। सीबीआई के फंदे के बाद निबंधन विभाग ने ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ के निबंधन को रद कर दिया है। समाज कल्याण विभाग ने इस बारे में निबंधन विभाग को पत्र भेजा था। ब्रजेश के जिस एनजीओ को रद किया गया है, वह सेवा संकल्प के नाम से निबंधित था। इस बारे में विभाग ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी को पत्र भी भेजा है।
डीएम से मांगी गई रिपोर्ट
समाज कल्याण विभाग ने निबंधन विभाग को पत्र लिखकर यह जानकारी दी थी कि ब्रजेश के सेवा संकल्प एनजीओ ने अपनी नियमावली का उल्लंघन किया है। कई गैर कानूनी काम भी संबंधित एनजीओ ने किया है। विभाग ने इसे काली सूची में डाल दिया है। इसी आलोक में रजिस्ट्रेशन रद हुआ। ब्रजेश के दूसरे एनजीओ के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। इस बारे में मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी से भी रिपोर्ट मांगी गई है। उन लोगों का पता ठिकाना भी मुजफ्फरपुर के डीएम को उपलब्ध कराया गया है जो ब्रजेश के एनजीओ के पदाधिकारी हैं।
इस तरह रद होता है रजिस्ट्रेशन
निबंधन विभाग गैर सरकारी संगठनों का निबंधन तो करता है पर सीधे-सीधे निबंधन रद करने का अधिकार नहीं है। अगर किसी विभाग से संबंधित एनजीओ के बारे में कोई रिपोर्ट आती है कि वह बाइलॉज से अलग काम कर रहा या फिर भ्रष्टाचार की सूचना दी जाती है तो उस रिपोर्ट के आधार पर निबंधन रद किया जाता है। रद करने का एक आधार एनजीओ द्वारा प्रतिवर्ष ऑडिट की रिपोर्ट नहीं भेजना भी है।
ब्रजेश को मिले प्रोजेक्ट भी रद
ब्रजेश ठाकुर को बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा मिले सभी छह प्रोजेक्ट को रद कर दिया गया है। ब्रजेश की राजदार और वामा शक्ति संस्था की सर्वेसर्वा मधु से सोसाइटी से मिले फंड का दुरुपयोग करने के आरोप में स्पष्टीकरण मांगा गया है। उसे जवाब के लिए तीन दिनों की मोहलत दी गई है। बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी की परियोजना निदेशक करुणा कुमारी की अध्यक्षता में बुधवार को कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें समाज कल्याण विभाग के निर्देश के आलोक में ब्रजेश के सभी छह प्रोजेक्ट को रद करने का फैसला किया गया। उसकी सभी संस्था को निर्गत होने वाले फंड पर भी रोक लगा दी गई है।
आयकर की भी टिकी निगाह
मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीडऩ कांड के मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर और उसके सभी एनजीओ अब आयकर विभाग के रडार पर हैं। आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त केसी घुमरिया ने कहा कि विभाग की अन्वेषण शाखा ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ को प्रदत्त 12ए प्रमाण के दुरुपयोग की जांच करेगा। केसी घुमरिया ने कहा कि विभाग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लिया है।
पुलिस अफसर से हुई पूछताछ
सीबीआई ने पुलिस अधिकारियों की पूछताछ बालिका गृह प्रकरण में जांच के लिए गुरुवार को सीबीआई के डीआइजी मुजफ्फरपुर पहुंचे। सर्किट हाउस में एसएसपी हरप्रीत कौर व केस की पूर्व आइओ ज्योति कुमारी से पूछताछ कर विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी ली। करीब एक घंटे बाद एसएसपी वहां से निकल गईं।

हम सिस्टम को करेंगे दुरुस्त : कृष्णनंदन

मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद गुरुवार को कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने समाज कल्याण मंत्री का पदभार संभाल लिया। मंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले वर्मा ने कुर्सी के प्रति अपना आदर प्रकट करते हुए उसे प्रणाम किया। पद संभालते ही कहा कि उनके विभाग पर जो कलंक है, उसे दूर करना उनकी प्राथमिकता होगी। क्योंकि इस तरह की घटना देश के अन्य राज्यों में भी हुई है।
एनजीओ की होगी समीक्षा
समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के कामकाज की कड़ी समीक्षा की जाएगी ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग का ध्यान एनजीओ के कामकाज पर नहीं था। वे नया सिस्टम बनाएंगे। वर्मा के पास पहले से शिक्षा और विधि विभाग का प्रभार है। उन्होंने कहा कि समाज कल्याण मंत्री का पद जल्द ही किसी योग्य व्यक्ति को सौंपा जाएगा। वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि महिलाओं व नाबालिग बच्चियों के शेल्टर होम का संचालन अब राज्य सरकार खुद करेगी। वर्मा के पदभार ग्रहण के समय विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद और निदेशक राजकुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
दो कोर्ट में केस, ऊहापोह की स्थिति
बालिका गृह मामले में कानूनी प्रक्रिया ऊहापोह की स्थिति पैदा करनेवाली है। मामला दो कोर्ट में केस चल रहा है। दोनों विशेष कोर्ट हैं। पुलिस में दर्ज मामले की सुनवाई विशेष पॉक्सो कोर्ट में चल रही है तो सीबीआई की ओर से दर्ज केस विशेष सीबीआइ कोर्ट में है। हालांकि, सीबीआई कोर्ट में फिलहाल इस मामले की प्राथमिकी ही सौंपी गई है। इस केस को दर्ज किए सीबीआई को 12 दिन हो गए, लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि आगे किस कोर्ट में इसकी सुनवाई होगी। कानूनविदों की राय में यह कानूनी दृष्टिकोण से सही नहीं है।

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Posted By: Mukul Kumar