Bareilly : अपने एपीयरेंस से भले ही ये सॉफ्ट और सोफिस्टिकेटेड नजर आएं पर उनके तेवर कतई कम नहीं हैं. टू व्हीलर राइडिंग के मामले में तो कुछ ऐसा ही दिखा. सिटी की 95 फीसदी से ज्यादा गल्र्स स्कूटर-बाइक राइडिंग करते समय हेलमेट पहनना पसंद नहीं करतीं. ये जानने के लिए किसी सर्वे की जरूरत नहीं बस एक घंटा किसी चौराहे पर ठहर जाएं. हकीकत दिख जाएगी. हाई पिकअप वाली ऑटोगियर स्कूटर पर फर्राटा भरती गल्र्स भला अपनी सेफ्टी और ट्रैफिक रूल्स को इग्नोर क्यों कर रही हैं. ब्वॉयज ब्रिगेड के बाद बारी है गल्र्स ब्रिगेड से सवाल करने की. आप भी जानिए सिटी की गल्र्स के गजब एक्सक्यूजेज.


Teenagers में नहीं awarenessहेलमेट से हमेशा दूरी बनाने वाली यंग गल्र्स में से ज्यादातर स्कूल-कोचिंग जाने वाली टीनेजर्स हैं। 18 साल के एज बार को क्रॉस न करने के बावजूद टीनेजर्स गियर वाले स्कूटर दौड़ाती दिखती हैं। इन्हें ट्रैफिक रूल्स की प्रॉपर जानकारी तक नहीं है। हेलमेट न पहनने के सवाल पर 11-12वीं क्लास में पढऩे वाली कुछ टीनेज गल्र्स ने यहां तक कहा कि उन्हें हेलमेट के रूल्स की जानकारी नहीं है। ज्यादातर टीनेजर्स को डीएल, आरसी, हेलमेट और बाकी डॉक्यूमेंट्स न होने पर चालान की बात ही पता नहीं थी। कभी ख्याल ही नहीं आया


राइडिंग के दौरान हेलमेट को इग्नोर करने की सबसे मासूम वजह ज्यादातर गल्र्स ने यही बताई। उनका कहना था कि कभी हेलमेट पहनना जरूरी लगा ही नहीं। इसलिए कभी ख्याल तक नहीं आया। अगला सवाल था हेलमेट पहनने की जरूरत कब होती है। कुछ गल्र्स तो हंसकर ही रह गईं। वहीं कुछ ने संजीदगी के साथ कहा कि जब पता हो कि आगे चेकिंग और चालान दोनों हो रहा है। इस बीच शॉकिंग बात ये रही कि काफी गल्र्स ऐसी थीं, जो पिछले 3-4 साल से राइडिंग कर रही हैं और एक बार भी उनकी चेकिंग नहीं हुई।Helmet spoils hairstyle

कई गल्र्स ने राइडिंग के दौरान हेलमेट पहनने को फैशन में रोड़ा माना है। कई ने सफोकेशन के चलते मेकअप खराब होने की बात कही। हालांकि यह वजहें बताने में गल्र्स ने काफी सावधानी बरती, ताकि उनसे सेफ्टी के आगे स्टाइल प्रिफर करने की वजह न पूछ ली जाए। और चालान पर attitudeबिना हेलमेट और प्रॉपर डॉक्यूमेंट्स के राइडिंग करने वाली शहर की यंग गल्र्स का एक और मजेदार पहलू है। कभी-कभार होने वाले ट्रैफिक अभियान में पकड़े जाने पर ये पुलिस अफसरान से ही सवाल-जवाब शुरू कर देती हैं। हमें ही क्यों पकड़ा, वो जो सामने से जा रहे हैं उन्हें क्यूं छोड़ रहे हो, परेशानी नहीं देखतेजैसे गल्र्स के इन जुमलों से पुलिस का सामना होता है। बिना प्रॉपर डॉक्यूमेंट्स और डीएल के चालान होने पर गल्र्स एटीट्यूड दिखाने से भी नहीं बचतीं। मोबाइल से पेरेंट्स या रिलेटिव्ज को कॉल कर पुलिस से तुरंत बात करवाने का देसी अंदाज इनमें भी घर कर चुका है।सुरक्षा से परहेज

हेलमेट को लेकर ज्यादातर गल्र्स का रिएक्शन था हेलमेटनो वे। लगा जैसे एग्जाम में सिलेबस के बाहर का कोई सवाल पूछ लिया गया हो। कुछ ने चौंककर सवाल दोहराया, तो किसी ने हंसते हुए मुंह फेर लिया। कुछ ऐसी भी थीं, जिनके चेहरे पर आए एक्सप्रेशंस उनकी दुविधा बयां कर रहे थे। कुछ भी हो पर गल्र्स की सेफ्टी के परपज से पूछा गया ये सवाल कइयों को काफी ऑकवर्ड लगा। कई ने इस पर जवाब देने के बजाए चुप रहना बेहतर समझा।'अक्सर जल्दबाजी में हेलमेट पहनना भूल जाती हंू। कोचिंग जाने पर हेलमेट पहनने की याद नहीं रहती। हेलमेट से सफोकेशन बहुत होता है। फ्री फील नहीं होता इसलिए अवॉइड करती हूं.' - तरूषी टंडन, 17 साल, 12वीं स्टूडेंट'गर्मी की वजह से अब तक कभी हेलमेट नहीं पहना। इससे बहुत अनइजीनेस फील होती है। तीन साल से राइडिंग कर रही हूं, लेकिन अभी तक हेलमेट नहीं खरीदा.'  - मनी शर्मा, स्टूडेंट'गल्र्स और महिलाएं न के बराबर हेलमेट पहनती हैं। ज्यादातर टीनेज और यंग गल्र्स बिना हेलमेट और डीएल के ही राइडिंग करती हैं। कई बार चेकिंग में गल्र्स के पास एक भी डॉक्यूमेंट नहीं मिलता.वहीं चालान करने पर कई गल्र्स एटीट्यूड दिखाती हैं। टीनेजर्स तक ऐसे बात करते हैं जैसे वो कोई ऑफिसर हों.' - रजनी द्विवेदी, सिविल लाइंस चौकी इंचार्ज

Posted By: Inextlive