जीजीआईसी में छात्राओं के लिए नहीं बैठने की कोई व्यवस्था

न बाउंड्रीवॉल, न ही स्कूल में कोई सुरक्षा

आसपास के लोगों ने घेर रखी है अधिकांश जगह

आगरा। स्कूल का दूसरा सीजन भी आधे से ज्यादा गुजर चुका है लेकिन अभी तक जीजीआईसी की छात्राओं के लिए सुविधाएं पूरी तरह से स्कूल विभाग नहीं जुटाई जा सकी। हैं। ग‌र्ल्स स्कूल की बिल्डिंग अभी पूरी तरह से अपनी पहचान भी नहीं बना पाई उससे पहले ही वह डैमेज होने की कगार पर भी पहुंचना शुरू हो चुकी है।

चारों ओर अवैध कब्जा

स्कूल के चारों ओर आस-पास के लोगों द्वारा अवैध रूप से अवैध कब्जा किया हुआ है। लकड़ी के गट्ठे पड़े हुए हैं, वहीं स्कूल के पिछले हिस्से में बने पुराने हॉस्टल में लोगों ने शौचालय बना रखा है। हालत यह है कि सुबह स्कूल की छात्राएं अपनी खिड़की पर खड़ी तक नहीं हो सकती हैं। चारों ओर लोग शौच करते हुए नजर आते हैं।

स्कूल में नहीं है बाउंड्री

स्कूल चारों ओर से ओपन है। जिस वजह से स्कूल को ऊपर की बिल्डिंग में शिफ्ट कर रखा है। स्कूल की छात्राओं की सेफ्टी के चलते सभी क्लास ऊपर के ही फ्लोर पर लगाए जाते हैं। कई बार आसपास के शरारती लोग स्कूल में पत्थर फेंक कर मार देते हैं जिससे कई बार स्कूल की छात्राओं को चोट भी लग चुकी है।

बिजली का कनेक्शन तक नहीं

स्कूल की बिल्डिंग बने दो साल बीत चुका है लेकिन स्कूल के लिए अभी तक बिजली का कनेक्शन नहीं मिला है। यही कारण है कि स्कूल की छात्राएं पिछले दो सालों से गर्मी के मौसम को झेलती आ रहीं हैं।

जमीन पर बैठकर होती है पढ़ाई

स्कूल में सभी छात्राओं को जमीन पर बैठकर ही पढ़ना होता है। सर्दी हो या फिर गर्मी हर मौसम में यहां पर सभी को जमीन पर प्राइमरी स्कूल की पट्टी पर बैठकर ही पढ़ना होता है। जिससे उन्हें लिखने में काफी दिक्कत होती है।

उखड़ने लगा प्लास्टर

स्कूल की बिल्डिंग बने हुए दो साल भी नहीं बीता कि उसकी बिल्डिंग में अभी से प्लास्टर झड़ना शुरू हो चुका है। स्कूल की सभी क्लासों से प्लास्टर पूरी तरह से उखड़ने लगा है। इसका एक कारण वहां की सीलन भी कहा जा सकता है।

प्रयोगशाला सिर्फ नाम के लिए

स्कूल में प्रयोगशाला है लेकिन सिर्फ नाम के लिए। स्कूल की छात्राओं ने बताया आज तक उसमें कोई प्रयोग नहीं करवाया गया। न ही उन्हें प्रयोगात्मक शिक्षा दी जाती है।

गेम्स रूम, लाइब्रेरी बनीं मजाक

गेम्स के लिए स्कूल में सिर्फ बैडमिंटन, कैरम की सुविधा हैं। बाकी किसी भी प्रकार के गेम्स की सुविधा नहीं है। इसका कारण एक प्रकार से गेम्स के लिए फील्ड न होना भी है। स्कूल में लाइब्रेरी है लेकिन स्कूल में किसी भी प्रकार की किताबें नहीं हैं।

कूड़े का ढेर दे रहा बीमारी

सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूल के आगे नगर निगम का कूड़ा है। जोकि बच्चों सहित टीचरों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। स्कूल की छात्राओं ने बताया कि बारिश के मौसम में इतनी ज्यादा बदबू आती है कि यहां पर स्कूल में पढ़ना भी मुश्किल हो जाता है। स्कूल में चार घंटे बैठने में दम सा घुटने लगता है। चारों ओर की खिड़कियों के शीशे टूटे होने के कारण बदबू और धूल आती है जिसके कारण उन्हें कई प्रकार से एलर्जी तक होने लगी है।

हफ्ते में तीन दिन आती हैं प्रिंसिपल

स्कूल की छात्राओं का कहना है कि स्कूल की हालत की वजह से ही स्कूल की खुद प्रिंसिपल ही हफ्ते में तीन दिन ही आती हैं। जिससे स्कूल की कई दिक्कतों से वह खुद भी वाकिफ नहीं हैं।

Posted By: Inextlive