RANCHI : आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। खतरे में पड़ रहे पर्यावरण को बचाने की कवायद हर जगह जोर-शोर से चल रही है। लेकिन इस बीच रांची का पर्यावरण खतरे के उस अलार्मिग सिचुएशन को दर्शा रहा है, जहां आने वाले दिनों में कई गंभीर परिवर्तन झेलने पड़ सकते हैं। जैसा कि पिछले छह महीनों में रांची के मौसम में कई अजीबो-गरीब बदलाव हुए, उससे कई सालों के रिकॉर्ड भी टूटे। इन घटनाओं को आंकते हुए मौसम विभाग से लेकर पर्यावरणविद तक रांची के लिए इसे डेंजर सिचुएशन मान रहे हैं।

वेस्टर्न डिस्टरवेंस ने किया ज्यादा डिस्टर्ब

मौसम विभाग के पूर्वानुमान पदाधिकारी आरके महतो बताते हैं कि पिछले पांच महीने में यहां का मौसम सबसे ज्यादा जिस कारण से प्रभावित रहा, वो है वेस्टर्न डिस्टरवेंस। फिर चाहे वो 1 जनवरी को लगातार कई घंटों तक हुई बारिश हो या मार्च की तपती दोपहरी के बीच अचानक पड़ने वाले ओले। इन सबमें वेस्टर्न डिस्टरवेंस की अहम भूमिका रही है। उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों से हो रहे साइक्लोनिक सर्कुलेशन और बंगाल की खाड़ी में हो रहे वेस्टर्न डिस्टरवेंस की वजह से इस बीच कई बार बारिश हुई। पहले मकर संक्रांति के बाद हर साल तापमान में वृद्धि होती थी, वहीं इस बार मार्च अंत तक ओले पड़े।

इस साल कम होगी बारिश

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस साल देर से मानसून आएगा। केरल में पहले ही पांच दिन का डिले हो चुका है। इसके बाद 18 से 19 जून तक अब झारखंड में मानसून आने की संभावना है। साथ ही इस साल मार्च से लगातार हो रही ओलावृष्टि तथा बेमौसम बारिश भी मानसून देर से आने के जिम्मेवार माने गए हैं। मौसम वैज्ञानिक डॉ। ए वदूद ने बताया कि इस बार पूरे भारत में लंबी अवधि के रेनफॉल के सिर्फ 88 प्रतिशत की ही संभावना है। हाल ही में आईआईटीएम पुणे में हुए सेमिनार में यह स्पष्ट किया गया कि इस साल अलनीनो के कारण बारिश कम होगी, जिसका असर रांची में भी देखने को मिलेगा।

मौसम ने तोड़ डाले कई रिकॉर्डस

- उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगातार हो रहे बदलाव के कारण झारखंड का मौसम भी हो रहा प्रभावित

- हर बार फरवरी अंत में ठंड खत्म हो जाती थी, लेकिन इस बार अप्रैल के शुरुआत में भी लोग सिहरे।

- - मार्च से बारिश के साथ ओले पड़ने की शुरुआत हुई

- अचानक बादलों के घिरते ही 60 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली तूफानी हवा

- - लोकल डेवलपमेंट बार-बार रहा एक्टिव। इस कारण मार्च अंत से दबाव होने के कारण ओले पड़े

- - मार्च अंत में ही अचानक 38 डिग्री से 26 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच गया

- - पिछले चार सालों में पहली बार मार्च अंत में हुई बारिश, रांची में 10 मिमी और कांके में 8 मिमी रैनफॉल

- - मौसम विभाग ने मार्च महीने में बारिश को लेकर पहली बार जारी किए अलर्ट, ओले, तूफान, बारिश व ठनका गिरने के कारण रांची समेत पूरे झारखंड में 11 लोगों की मौत हो गई

- - सालों बाद रांची समेत झारखंड में मार्च के महीने में ही बारिश और ओले के कारण 40 प्रतिशत फसल हो गई बर्बाद

- एक महीने के अंतराल में दो बार आए भूकंप के झटके। 4.2 मैग्नीट्यूड हुआ रिकॉर्ड

- अप्रैल 15 तक गर्मी की जगह 26 डिग्री अधिकतम तापमान रहा और न्यूनतम 19 डिग्री

- - अप्रैल में ही साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण 19.6 मिमी बारिश सिर्फ रांची में हुई

- रांची के मौसम को उत्तराखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, बांग्लादेश, ओडि़शा और सीमावर्ती क्षेत्रों ने लगातार किया प्रभावित

- - अप्रैल के बाद रांची के ऊपर से गुजरी टर्फलाइन। इस कारण मौसम में फ्लकचुएशन देखने को मिला

- बेमौसम बारिश की संभावना को देखते हुए मौसम विभाग की ओर से 23 अप्रैल को अलर्ट जारी कियागया। इसके बाद 15 मिमी बारिश हुई। तूफान आया।

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12 मई को टूटा 1975 का रिकॉर्ड

- 12 मई को सन् 1975 के बाद पहली बार महज दो घंटे में ही जहां 47 मिमी बारिश हुई, वहीं 50 मिमी के ओले भी पड़े। वहीं 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से रांची में हवा चली, जबकि कांके में सिर्फ 5 किलोमीटर के रेडियस में बारिश के साथ 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली। इसको देख मौसम विभाग भी हैरान रहा गया।

मुश्किल भरा है आने वाला समय

मौसम वैज्ञानिक डॉ। ए वदूद ने बताया कि रांची में ग्लोबल व लोकल वार्मिग का असर अब ज्यादा होने लगा है। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, पेड़ों की लगातार कटाई, अंडरग्राउंड वाटर का दोहन, रेन वाटर हारवेस्टिंग का इस्तेमाल न होना, नदी और तालाबों का दूषित होना, कचरा फैलने के कारण भी रांची का मौसम तेजी से प्रभावित हुआ है। यहां के तापमान को भले ही अब अफॉर्डेबल कहा जाए, लेकिन इसे कंफर्टेबल नहीं कह सकते। यहां लगतार अब वेस्टर्न डिस्टरवेंस का असर दिख रहा है। वहीं सालों के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। 1960 के दशक के मुकाबले यहां के तापमान में अब अंतर आ गया है। यहां अब गर्मी ज्यादा पड़ रही है। उस वक्त यहां का अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक रहता था, जबकि आज 45 डिग्री तक तापमान चला जा रहा है। हालांकि इस बार एक इंटरमिशन का भी सिचुएशन चल रहा, जिस कारण गर्मी के साथ बारिश भी हो रही। लेकिन बेमौसम बारिश का होना और मानसून में इसका कमजोर होना आने वाले समय के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है।

Posted By: Inextlive