व‌र्ल्ड अर्थ डे पर विशेष

-संसाधनों के अतिदोहन ने बिगाड़ा प्रकृति का संतुलन, लगातार गंभीर हो रही समस्या

-ग्लोबल वार्मिग से जूझ रही दुनिया, मेरठ में पांच साल में दोगुना हो गए वाहन और एसी

akhil.kumar@inext.co.in

Meerut : मेरठ, दिल्ली के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सबसे बड़ा शहर है। घट रही सीमाओं पर आबादी का बोझ दिनोंदिन बढ़ रहा है, और कम हो रहे हैं संसाधन। 2001 की जनगणना के अनुसार मेरठ की आबादी 11 लाख 61 हजार थी तो 2011 में बढ़कर 14 लाख 24 हजार हो गई। दस साल में 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी जनसंख्या हो रही है तो वहीं संसाधन सिकुड़ते जा रहे हैं। विश्व के तमाम शहरों की तरह मेरठ ग्लोबल वार्मिग, पॉल्यूशन, पॉल्यूटेड वाटर, सॉयल कन्टामिनेशन आदि समस्याओं से जूझ रहा है। व‌र्ल्ड अर्थ डे की पूर्व संध्या पर खास खबर

बड़ी चुनौतियां

-जनसंख्या बोझ: दुनिया की आबादी अभी 6.91 अरब है। वर्ष 2050 तक यह 9.15 अरब हो जाएगी। यही रफ्तार रही तो अगले 40 साल में 10 में से सिर्फ एक को ही भरपेट भोजन मिल पाएगा तो वहीं मेरठ की आबादी हर दस साल में 22 से 25 प्रतिशत बढ़ रही है।

-तपती धरती: ग्लोबल वार्मिंग से धरती का तापमान 1880 के बाद करीब एक डिग्री बढ़ चुका है। इसकी बड़ी वजह है, कार्बन उत्सर्जन। वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा नवंबर 1958 में 313.34 पा‌र्ट्स पर मिलियन थी। यह 2009 में करीब 387.41 पा‌र्ट्स पर मिलियन हो गई। मेरठ में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या तीन लाख है, जिसमें 50 हजार एसी वेहिकल भी शामिल हैं। पांच साल में वाहनों की संख्या से दोगुना इजाफा हुआ है। करीब दो लाख एसी मेरठ में हैं, 2011 में यह संख्या एक लाख थी।

पिघलते ग्लेशियर: ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। आर्कटिक धु्रव पर सिर्फ 27 ग्लेशियर ही बचे हैं। जबकि 1990 में 150 थे। इससे सदी के अंत तक समुद्र के पानी का स्तर 7 से 23 इंच बढ़ जाएगा। कई तटीय क्षेत्र डूब जाएंगे।

घटते जंगल: अर्थ ऑब्जरवेटरी नासा के मुताबिक वर्तमान में हर साल करीब 3.5 करोड़ एकड़ जंगलों की कटाई होती है। जंगल कटने से फल, फाइबर, कागज, तेल, मोम, औषधि आदि की कीमतें बढ़ रही हैं। भारत को हर साल करीब 4 लाख करोड़ का नुकसान हो रहा है।

बिन पानी: दुनिया में आज करीब एक अरब लोगों को पीने लायक पानी नहीं मिलता। 2050 तक करीब तीन अरब लोग बिन पानी या कम पानी में गुजारा कर रहे होंगे। 2025 तक भारत के करीब 60 फीसदी भूजल स्त्रोत पूरी तरह सूख चुके होंगे। मेरठ में भूजल स्तर 180 से 200 फीट है। पांच साल पहले यह 120 फीट था।

मैं क्या कर सकता हूं?

-अगर देश के 40.50 करोड़ युवा ही हर महीने सिर्फ एक पौधा लगाएं तो स्थिति बदल सकती है। हरा-भरा मेरठ बंजर हो रहा है, पौधा लगाकर इसे बचा सकते हैं।

-घर या ऑफिस में अक्सर कंप्यूटरए टीवी, फ्रिज जैसे उपकरण स्टैंड बाई मोड पर रहने से करीब 10 फीसदी बिजली बर्बाद होती है। इन उपकरणों को मेन स्विच से बंद कर ऊर्जा बचाई जा सकती है।

- पुराने बल्ब और ट्यूबलाइटों की जगह सीएफएल और एलईडी का इस्तेमाल करें।

- गीजर में 60 डिग्री तापमान सेट होता है। जबकि नहाने लायक पानी सिर्फ 40 डिग्री पर ही गर्म हो जाता है। गीजर को इस हिसाब से सेट कर सालाना प्रति गीजर 172 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन कम कर सकते हैं।

- एयरकंडीशनर को 25.26 डिग्री के आसपास औसत तापमान पर नियमित रखें। सामान्य तौर पर एसी 22 डिग्री से ऊपर तापमान की सेटिंग पर प्रति डिग्री 3 से 5 फीसदी ऊर्जा की बचत करते हैं।

-ऊर्जा की बचत करने वाले स्टार रेटेड उपकरणों की खरीद और इस्तेमाल से 2013 तक 5.700 करोड़ यूनिट बिजली की बचत की जा सकती है। करीब 50 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन रुक सकता है।

कहीं आफत

ग्लोबल वार्मिग के खतरे की जद में आपका मेरठ है। यहां पिछले कुछ सालों में तापमान नार्मल से अधिक है। बरसात के दिनों में कमी गंभीर संकट की ओर इशारा कर रही है। वाटर लेवल मेरठ का तेजी से घट रहा है।

डॉ। यूपी साही, मौसम एवं कृषि वैज्ञानिक

कहीं राहत

यूपी में वन क्षेत्र बढ़ा है। भारत सरकार के निमित्त फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा सेटेलाइट डाटा सर्वे में निकलकर आया कि गत एक वर्ष में यूपी में 21 किमी फॉरेस्ट कवर बढ़ा है। बेशक फॉरेस्ट एरिया कम हुआ होगा किंतु फॉरेस्ट कवर बढ़ना खुशखबरी है। यूपी सरकार जुलाई माह में 5 करोड़ पौधे एक साथ रोपकर कीर्तिमान बनाने जा रही है।

मुकेश कुमार, मुख्य वन संरक्षक, वेस्ट जोन, मेरठ

Posted By: Inextlive