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जैसे भगवान के मंदिर में पाप करने वाला जाने से घबराता है वैसे ही न्याय के मंदिर में अपराध करने वाला जाने से डरता है। तभी तो जब वो अपराध करता है तो पुलिस उसको पकड़कर वहां ले जाती है। अपराधी को पता होता है कि उसके अपराध का उसको वहां दंड मिलेगा। लेकिन न्याय के मंदिर के अंदर प्रवेश करके कोई अपराधी अगर अपराध करता है तो फिर बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है, क्योंकि वहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। मुज्जफरनगर कोर्ट में गैंगस्टर की हत्या के बाद आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कानपुर कोर्ट की सुरक्षा का रियलिटी चेक किया तो स्थिति आंखें खोल देने वाली थी।

वेपन लगाकर मैटल डिटेक्टर से चला गया युवक

आई नेक्स्ट की टीम दोपहर में क्ख्.फ्0 बजे कोर्ट बिल्डिंग में जजों के इंट्री करने वाले गेट पर पहुंची तो वहां पर एक युवक मैटल डिटेक्टर के पास खड़ा था। वो कमर में रिवाल्वर लगाए था। आई नेक्स्ट के फोटोग्राफर ने उसकी तस्वीर कैद कर ली। वो मैटल डिटेक्टर को क्रास कर बिल्डिंग के अन्दर चला गया और गेट पर तैनात पुलिस कर्मी को उसकी भनक तक नहीं लगी। इसी तरह अन्य लोग भी वेपन लगाकर कोर्ट बिल्डिंग में आते जाते रहते हैं।

दरोगा भी तोड़ रहे थे नियम।

कोर्ट बिल्डिंग में पुलिस कर्मियों को भी वेपन लेकर जाने में प्रतिबंध है। आई नेक्स्ट की टीम कोर्ट बिल्डिंग के फ‌र्स्ट फ्लोर में पहुंची तो वहां पर एक दरोगा वेपन लगाकर कोर्ट के बाहर घूम रहे थे। आई नेक्स्ट की टीम ने उन्हें रोककर बात करने की कोशिश की, लेकिन वो नजर बचाकर चले गए।

भगवान भरोसे है कचहरी की सुरक्षा

कानपुर कचहरी और कोर्ट बिल्डिंग की सुरक्षा भगवान भरोसे है। कचहरी में इंट्री करने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा रास्ते हैं, लेकिन किसी भी गेट में न तो मैटल डिटेक्टर है और न ही चेकिंग का कोई इन्तजाम। जिससे कोई भी कचहरी में आसानी से हथियार लेकर अन्दर जा सकता है। आई नेक्स्ट की टीम कचहरी में गई तो वहां पर पुलिस, वकील से लेकर अन्य लोग लाइसेंसी वेपन लगाए थे। कुछ तो वेपन का खुला प्रदर्शन कर रहे थे। हालात तो ये है कि यहां पर कई बदमाश अवैध असलहा लगाकर चले जाते हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं पकड़ता।

कोर्ट बिल्डिंग में भी नहीं होती है चेकिंग

आई नेक्स्ट की टीम कोर्ट बिल्डिंग में गई तो वहां पर सुरक्षा के नाम पर खानापूरी हो रही थी। कोर्ट बिल्डिंग में छह इंट्री प्वाइंट है। जिसमें सिर्फ दो गेट में सुरक्षा कर्मी थे और वे भी ड्यूटी के नाम पर खानापूरी कर रहे थे। वे बैंच पर बैठे आराम कर रहे थे। वे न तो गेट से इंट्री करने वाले की चेकिंग कर रहे थे और न ही उसकी इंट्री दर्ज कर रहे थे। जिसका फायदा उठाकर कोई भी हथियार लेकर अन्दर जा सकता है। बिल्डिंग के अन्य गेट का हाल तो इससे भी खराब था। वहां पर कोई सुरक्षा कर्मी ही नहीं था। वहां से कोई भी हथियार समेत अन्य अवैध सामान लेकर बिल्डिंग के अन्दर जा सकता है।

एक मैटल डिटेक्टर से हवाले है बिल्डिंग की सुरक्षा

कोर्ट बिल्डिंग में छह रास्ते है। करीब सात साल पहले सुरक्षा के लिहाज से हर गेट पर मैटल डिटेक्टर लगाए थे, लेकिन अब बिल्डिंग में सिर्फ एक ही मैटल डिटेक्टर लगा है। वो भी ज्यादातर बन्द रहता है। यह मैटल डिटेक्टर जजों के इंट्री करने वाले गेट पर लगा है।

बन्द हो गया वेपन जमा करने वाला काउन्टर

करीब तीन साल पहले तत्कालीन जिला जज सुधीर कुमार अग्रवाल ने हाईकोर्ट के आदेश पर कोर्ट बिल्डिंग में असलहा ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसमें पुलिस कर्मी भी शामिल है, जो गवाही समेत अन्य कामकाज से कचहरी आते है। तत्कालीन जिला जज ने कोर्ट बिल्डिंग में असलहा जमा कराने की व्यवस्था भी की थी। जिसके लिए एक दरोगा और सिपाही की ड्यूटी लगाई गई थी। वो कोर्ट बिल्डिंग में इंट्री करने वाले पुलिस कर्मी, वकील, वादकारी समेत अन्य लोगों का असलहा जमा करते थे। इसके लिए उन्हें एक अलमारी दी गई थी, लेकिन अब यह काउन्टर भी गायब हो गया। आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक करते हुए कई वकीलों से बात की, तो उन्होंने बताया कि काउन्टर बन्द हो गया। जिससे वे मजबूरी में वेपन लगाकर कोर्ट बिल्डिंग में जाते है।

पुलिस खुद ही नियम का पालन नहीं करती

कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है, लेकिन पुलिस ही कानून तोड़े तो उसे देखकर अन्य लोग भी कानून तोड़ेंगे। कोर्ट बिल्डिंग में पुलिसकर्मियों को भी वेपन लगाने में प्रतिबन्ध है। इसके बाद भी पुलिस कर्मी धड़ल्ले से वेपन लगाकर कोर्ट बिल्डिंग में जाते हैं। हालांकि वे कोर्ट के अन्दर वेपन लगाकर नहीं जाते है। वे कोर्ट के बाहर साथी को वेपन थमा देते हैं।

इनकी तो तलाशी लेने में भी डरते है

कचहरी में वकीलों की दबंगई के बारे में तो सभी को मालूम है। कचहरी कैम्पस और कोर्ट बिल्डिंग में वकील की तलाशी करने से बचते है। एक पुलिस कर्मी ने बताया कि वे वकील से तलाशी या असलहा न लेने के लिए कहते है तो वकील उनसे भिड़ जाते है। कचहरी में उनका संख्या बल ज्यादा है। वे हड़ताल कर देते है। इसलिए वे वकीलों से कचहरी और कोर्ट बिल्डिंग में कुछ भी कहने से बचते है।

Posted By: Inextlive