Varanasi: जिनिवा में बुधवार को गॉड पार्टिकल के खोजे जाने को लेकर दुनियाभर में एक शोर मचा हुआ था. ब्रह्मांड के रहस्य तत्वों के उजागर होने को लेकर सांइटिस्ट उत्साहित थे. इस खोज में इंडियन कनेक्शन के चलते हमारा जोश दोगुना था. इसमें भी बीएचयू में पढ़ीं डॉ. अर्चना शर्मा का हिस्सेदार होना हर बनारसी को सेलेबे्रटी होने का एहसास करा रहा था. लेकिन गुरुवार को अर्चना के गुरु ने यह कह कर सारा जोश ठंडा कर दिया कि यह पार्टिकल तो है पर गॉड नहीं. उनका साथ दे रहे हैं बीएचयू के कई और भौतिकविद. कौन हैं ये लोग और क्या कहते हैं वे जरा गौर से सुनिये...


कण को कैसे कह दें भगवान हिग्स बोसान पार्टिकल की खोज को दुनिया भर के साइंटिस्ट्स ने एक बड़ी खोज करार दिया है। इस पार्टिकल की खोज से ब्रह्मांड के निर्माण से जुड़ी बहुत सी बड़ी गुत्थियों से पर्दा उठाया जा सकेगा। सांइटिसट भले कह रहे हों कि यह पार्टिकल ही भगवान है लेकिन बीएचयू के एक्सपर्ट इसे वास्तविकता से कोसों दूर बताते हैं। उनका कहना है कि हिग्स बोसान जिसकी खोज का वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं वह बिगबैंग (महाविस्फोट) बाद पैदा हुए कई तरह के कणों में से सिर्फ एक प्रकार का पार्टिकल है। जिसकी विशेषता किसी भी दूसरे पार्टिकल के साथ जुड़ कर उसे मास द्रव्यमान देने की है।


फिजिक्स डिपार्टमेंट बीएचयू के सीनियर प्रो सीपी सिंह बताते हैं कि वैज्ञानिकों के सामने यह एक बहुत बड़ी समस्या था कि किसी भी वस्तु में मास (द्रव्यमान) कहां से आता है? ऐसी कौन सी चीज है जो वस्तु को मास से युक्त बनाती है। इसकी खोज में वैज्ञानिक बहुत दिनों से परेशान थे। एडिनबर्ग के साइंटिस्ट पीटर हिग्स ने एक ऐसे बोसान पार्टिकल की परिकल्पना प्रस्तुत की थी जिसमें दूसरे पार्टिकल्स को द्रव्यमान देने का गुण विद्यमान था। जिसका खुद का मास 125-130 गेगा इलेक्ट्रान वोल्ट अनुमानित था। वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत स्टैंडर्ड मॉडल में इस पार्टिकल की उपस्थिति अनिवार्य थी। इस हिग्स पार्टिकल कहीं से गॉड पार्टिकल का नाम दे दिया गया। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इसी पार्टिकल से सृष्टि का निर्माण हुआ। इस पार्टिकल का सृष्टि निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसलिए इस कण को भगवान कह देना गलत है। भगवान सिर्फ इसका नाम भर है। जादुई विशेषता है इस पार्टिकल में

प्रो। सिंह कहते हैं कि हिग्स बोसान पार्टिकल की यह विशेषता है कि यह दूसरे से पार्टिकल से जुड़ कर  कर उसमें मास क्रियेट करता है या उसका मास जीरो कर सकता है। इसकी इसी विशेषता के चलते इसे मैजिकल पार्टिकल कहा जा सकता है। यह दूसरे पार्टिकल से बहुत जल्दी इंटरैक्ट करता है और तुरंत दूसरे पार्टिकल कर निर्माण कर देता है। एडिनबर्ग के पीटर हिग्स ने इस बोसान पार्टिकल की परिकल्पना प्रस्तुत की थी इसलिए इसे हिग्स बोसान पार्टिकल का नाम दिया गया। वहीं बोसान की खोज का श्रेय भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र बोस का दिया जाता है। उन्होंने सर्वप्रथम 'बोसानÓ पार्टिकल्स की परिकल्पना प्रस्तुत की थी। लेकिन उनकी इस खोज को उतना तवज्जो नहीं दिया गया जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी खोज थी। सत्येन्द्र बोस ने अपने खोज से संबधित पेपर्स आईंस्टीन को भेजे थे। जिसका अनुवाद खुद आईंस्टीन ने किया था और अपने समय के प्रतिष्ठित जर्मन जर्नल में पब्लिश भी कराया था। 'हिग्स बोसान पार्टिकल को गॉड पार्टिकल का नाम देना एक तरह से अतिशयोक्ति है। वैज्ञानिकों ने भी इसे स्वीकार किया है। यह सिर्फ एक नाम भर है। पार्टिकल फिजिक्स में ऐसे बहुत से पार्टिकल्स की खोज की गई है जिनके नाम चार्म, ब्यूटी, कलर, ट्रुथ दिये गये हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इन कणों में नाम के अनुसार गुण भी मौजूद हों। यह सिर्फ एक नाम भर है। इस कण में किसी भी तरह की ईश्वरीय संवेदना जैसी कोई चीज नहीं है.'-प्रो। सीपी सिंह, पार्टिकल फीजिक्स एक्सपर्ट इन बीएचयू

'बहुत दिनों से साइंटिस्ट एक ऐसे पार्टिकल की खोज में थे जिसमें चलते पार्टिकल्स में मास का गुण आ जाता है। यह हिग्स बोसान पार्टिकल है। लेकिन इसमें गॉड जैसी कोई बात नहीं है। यह सिर्फ एक नाम भर है। यह ब्रह्मांड के निर्माण के लिए जिम्मेदार मूलभूत कणों से में एक हो सकता है। लेकिन इसे ही पूरे ब्रह्मांड की रचना का जिम्मेदार मान लेना थोड़ी जल्दीबाजी होगी। लेकिन इतना तो तय है कि यह एक बहुत बड़ी खोज है जो आने वाले समय में फिजिक्स के थ्योरीज  को गहराई से समझने में बहुत मदद करेगी.'-डॉ। बीपी मंडल, एसोसिएट प्रोफेसर फिजिक्स डिपार्टमेंट, बीएचयू'निश्चित ही हिग्स बोसान पार्टिकल की खोज अपने आप में बहुत बड़ी खोज है। इसे वैज्ञानिक बहुत से अनसुलझे रहस्यों पर से पर्दा उठा सकेंगे। इस पार्टिकल की खोज उसी तरह की है हमें भूख लगती है लेकिन हम उसे देख नहीं पाते। हमें प्यास का एहसास होता है लेकिन किसी ने भी प्यास को देखा नहीं है। ठीक इसी तरह किसी भी पार्टिकल को मास देने के लिए जिम्मेदार इस पार्टिकल को भी किसी ने देखा नहीं था। लेकिन इसकी परिकल्पना सभी के दिमाग में थी। लेकिन इस पार्टिकल को गॉड या भगवान मान लेना जिसके चलते जीव की उत्पत्ति आदि हुई कहना ठीक नहीं होगा। इस पार्टिकल को लोगों ने भगवान की तरह देखा नहीं था इसलिए इसे गॉड पार्टिकल कहा गया था.'-प्रो। आरपी मलिक, फिजिक्स डिपार्टमेंट बीएचयूपैर छूकर लिया था आशीर्वाद
सर्न से जुडी एकमात्र भारतीय वैज्ञानिक अर्चना शर्मा ने 1982 में बीएचयू से एमएससी किया था। फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रो सीपी सिंह ने उन्हें पढ़ाया था। बीएचयू में 2008 में हुए एक साइंटिफिक सेमिनार में भाग लेने आई अर्चना शर्मा ने प्रो सीपी सिंह से अपने प्रोजेक्ट में जुडऩे का भी आग्रह किया था। लेकिन दूसरे प्रोजेक्ट में व्यस्त रहने के कारण प्रो सिंह उनका आग्रह स्वीकार नहीं कर सके थे। प्रो सिंह 1976 से 1998 के बीच तकरीबन छह बार स्विट्जरलैंड स्थित सर्न लैब जा चुके हैं। 1991 में सर्न विजिट के दौरान अर्चना शर्मा से मुलाकात हुई थी। प्रो सिंह बताते हैं कि मैं सर्न के कैंटीन में जा रहा था तब एक दुबली पतली लड़की ने आकर मेरा पैर छुआ। मैंने उस लड़की को पहचाना नहीं। फिर उसने अपना नाम अर्चना गौड़ बताया। तब मुझे याद आया कि अरे, ये तो मेरी स्टूडेंट है। अर्चना अपने काम के प्रति पूरी तरह डिवोटेड रहने वाली लड़की थी। उसके उसी डिवोशन ने उसे सर्न तक पंहुचाया.  मुझे वहां देखकर वह बहुत खुश हुई। हिग्स बोसान जैसा है यह पार्टिकल सर्न की प्रयोगशाला में खोज गये पार्टिकल हिग्स बोसान पार्टिकल जैसा है। उसमें कुछ गुण हिग्स पार्टिकल से मिलते जुलते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने अभी तक पूरी तरह से इसे हिग्स बोसान पार्टिकल के रूप में मान्यता नहीं है। अभी पाये गये पार्टिकल के बहुत से गुणों का अध्ययन बाकी है।

Posted By: Inextlive