- अक्षय तृतीया के मौके पर ज्वैलरी मार्केट में ऑफर्स और स्कीमों की बहार

- ईएमआई पर भी मिल रहे गहने, एक्सपर्ट्स का कहना, बैलेंस स्कीम ज्यादा फायदेमंद

Meerut : अक्षय तृतीया पर ज्वैलरी मार्केट में ढेर सारी स्कीम्स और ऑफर्स छाए हैं। मगर, सोने-चांदी की कीमतों में जिस तरह उतार-चढ़ाव हो रहा है, ऐसे में 'ईएमआई' यानी साल भर की किश्तों पर ज्वैलरी खरीदना समझदारी नहीं है। ज्वैलरी बिजनेस से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिन ग्राहकों के पास गहने खरीदने के लिए एकमुश्त रकम नहीं है। उनके लिए 'बैलेंस स्कीम' फायदे का सौदा साबित होगी।

एक साल की किश्तें

सर्राफा बाजार में फेस्टिव सीजन में 'ईएमआई' यानि किश्तों पर जमकर ज्वैलरी की खरीददारी होती है। इसमें ग्राहकों को एकमुश्त रकम अदा नहीं करनी पड़ती। इसे 'क्क् प्लस क्' स्कीम भी कहा जाता है। इसमें ग्राहकों को क्क् या क्0 महीने तक निश्चित धनराशि (क् हजार या ज्यादा) ज्वैलर के पास जमा करनी होती है। साल की आखिरी एक या दो किश्त ज्वैलर अपने पास से लगाता है।

रकम वही, सामान कम

ज्वैलरी मार्केट से जुड़े एक्सपर्ट्स के अनुसार सोने-चांदी के रेट स्टेबल नहीं है। ऐसे में ईएमआई स्कीम में इनवेस्टमेंट पर घाटा तय है। इस वक्त सोना ख्म् से ख्7 हजार रुपए तोला के बीच में बिक रहा है। इस प्राइस पर ब्.फ्7 ग्राम की अंगूठी क्ख् हजार की होती है। अगले साल इसी दिन सोना ख्9 हजार तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में इतने वजन की अंगूठी क्फ् हजार में मिलेगी। अगर ग्राहक एक हजार महीने की स्कीम के हिसाब से क्क् महीने पेमेंट कर भी दे। तब भी वह साल के अंत में मैक्जिमम क्क् हजार की ज्वैलरी ही खरीद सकता है। ऐसे में कस्टमर को एक साल पहले पसंद की हुई अंगूठी के लिए 700 रुपए एक्स्ट्रा अदा करने पड़ेंगे।

पैसा ब्लॉक, सामान नहीं

एक साल में जितनी कीमती ज्वैलरी खरीदने का आप प्लान बनाते हैं। उसी हिसाब से क्क् या क्0 महीनों तक ज्वैलर को लगातार पेमेंट करते रहते हैं। बुलियन ट्रेडर्स के अध्यक्ष रवि प्रकाश अग्रवाल के अनुसार इस स्कीम में ग्राहक का पैसा तो ब्लॉक हो जाता है, लेकिन सामान नहीं। साल के अंत में जितना पैसा इकट्ठा होता है।

साल भर का झंझट नहीं

ईएमआई स्कीम में ग्राहक को अनिवार्य रूप से क्0 या क्क् महीनों तक किश्त अदा करनी पड़ती है। मगर, बैलेंस स्कीम में ऐसा कुछ भी सिस्टम नहीं है। इसमें ग्राहक अपनी मर्जी से किसी भी दिन या तारीख पर ज्वैलर को पेमेंट कर सकता है। इसके लिए कोई फिक्स टाइम फ्रेम नहीं है, ना ही ज्वैलर्स अपनी तरफ से ग्राहक पर कोई दबाव ही डालते हैं।

पहली पेमेंट ज्यादा

बैलेंस स्कीम में कस्टमर को पहली पेमेंट थोड़ी ज्यादा करनी होती है। उदाहरण के लिए अगर एक गोल्ड चेन की कीमत ख्भ् हजार है। उसके लिए आप ब्-भ् हजार दे दीजिए। ऐसा करने पर शोरूम में आपके नाम से कम्प्यूटराइज्ड बिलिंग कर दी जाती है और आपकी मनपसंद चेन ब्लॉक कर दी जाएगी। बाकी का पैसा आप अपनी सहूलियत के हिसाब से धीरे-धीरे अदा करते रहिए। फुल पेमेंट के साथ ही आप शोरूम से अपनी चेन घर ले जा सकते हैं।

ईएमआई स्कीम में अगर जमा रकम फ्म् हजार है तो आपको उतनी लागत के अंदर ही ज्वैलरी खरीदनी होती है। महंगा सेट पसंद आता है। तो एक्स्ट्रा कीमत अलग से चुकानी पड़ती है।

-रवि प्रकाश अग्रवाल

अध्यक्ष, बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन

बैलेंस स्कीम लेने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप जो गहना पसंद करते हैं। वह उस दिन के गोल्ड प्राइस पर ब्लॉक कर दिया जाता है। आखिरी किश्त अदा करते वक्त ग्राहक को उसी सेट के लिए एक्स्ट्रा पेमेंट नहीं करना पड़ता।

-सौरभ अग्रवाल

डायरेक्टर, गीतांजलि ज्वैलर्स

Posted By: Inextlive