- गृह विभाग ने परीक्षण के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश भेजी

- एक महीने तक सिंचाई विभाग और गृह विभाग में लटकी रही फाइल,

- सीबीआई ने शुरू की जांच तो कई नेताओं और अफसरों का फंसना तय

गृह विभाग ने परीक्षण के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश भेजी

- एक महीने तक सिंचाई विभाग और गृह विभाग में लटकी रही फाइल,

- सीबीआई ने शुरू की जांच तो कई नेताओं और अफसरों का फंसना तय

LUCKNOW : lucknow@inext.co.in

LUCKNOW : सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में हुए घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गयी है। गृह विभाग ने निर्धारित प्रोफार्मा में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से किया है। अब कार्मिक मंत्रालय इसे मंजूरी के लिए सीबीआई के पास भेजेगा। सीबीआई अगर इस मामले की जांच शुरू करने की हामी भरती है तो यूपी के कई राजनेताओं, नौकरशाहों और इंजीनियरों की मुश्किलें बढ़ सकती है।

एक महीना लटकी रही फाइल

दरअसल योगी सरकार द्वारा घोटाले की न्यायिक जांच कराने के बाद विगत क्9 जून को सिंचाई विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की ओर से राजधानी के गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करायी गयी थी जिसमें आठ इंजीनियरों को घोटाले का आरोपी बताते हुए नामजद किया गया था। इन सभी को न्यायिक जांच में भी दोषी पाया गया था। तत्पश्चात एफआईआर की प्रमाणित प्रति के साथ रिवरफ्रंट के निर्माण से जुड़े तमाम दस्तावेजों का सिंचाई विभाग ने क्भ् दिन तक परीक्षण करने के बाद पत्रावली गृह विभाग को भेजी। वहीं गृह विभाग ने भी इसका परीक्षण करने में इतना ही वक्त लगाया। गुरुवार को गृह सचिव भगवान स्वरूप ने बताया कि परीक्षण के बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी गयी है। मालूम हो कि योगी सरकार में सीबीआई जांच की संस्तुति का यह दूसरा मामला है। इससे पहले कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले की जांच सीबीआई से की गयी थी।

आसान नहीं होगा बचना

रिवरफ्रंट घोटाले की सीबीआई जांच की आंच तमाम राजनेताओं और बड़े अफसरों पर पड़नी तय है। सीबीआई इस मामले की तह तक गयी तो रिवरफ्रंट बनाने की योजना से लेकर निर्माण के दौरान खर्च की गयी पाई-पाई की रकम का हिसाब देना होगा। साथ ही तमाम खर्चो को मंजूरी देने वाले अफसरों और नेताओं की मुश्किलें भी बढ़ेंगी।

इन्हें दिया गया आरोप पत्र

तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल न्यायिक जांच में दोषी पाए गये थे जिसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें आरोप पत्र थमा दिया था। सूत्रों के मुताबिक दोनों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं।

इनके खिलाफ एफआईआर

तत्कालीन मुख्य अभियंता गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव (रिटायर्ड) और अधिशासी अभियंता सुरेश यादव।

Posted By: Inextlive