इंटरनेट की दुनिया में गूगल को सबसे ज्‍यादा एडवांस्‍ड सर्च इंजन और एडवरटाइजिंग प्‍लेटफॉर्म में नंबर वन माना जाता है। लेकिन एक रिसर्च के अनुसार गूगल का एड सिस्‍टम इतना बड़ा हो गया है कि कंपनी खुद ही कंट्रोल नहीं कर पा रही।

रिसर्च का क्या है कहना
कैरनेज मैलेन यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल कंम्यूटर साइंस इंस्टीट्यूट के तीन कंम्यूटर सांइटिस्टों ने मिलकर यह रिसर्च की है। इसके मुताबिक, गूगल का एडसेंस प्लेटफॉर्म पूरी तरह से पक्षपाती है। यानी कि इसमें जेंडर वाइस भेदभाव देखने को मिल जाएगा। इसमें जब महिलाएं जॉब की तलाश में होती हैं, तो उनके लिए पुरुषों से कमतर जॉब ऑप्शन प्रोवाइड कराया जाता है।
पुरुषों को मिलती है ज्यादा तवज्जो
रिसर्च टीम ने इसको लेकर करीब 21 एक्सपेरिमेंट किए हैं, जिनमें से सभी गूगल एड सिस्टम में होने वाली खामियों को उजागर कर रहे। रिपोर्ट की मानें, तो रिसर्च टीम नें इसमें 17,000 प्रोफाइल्स को चेक किया और फिर इनको गूगल एड सेटिंग में जाकर डिफरेंट ट्रेट्स को डिफाइन किया। जिसमें यह पाया गया कि, जो मेल प्रोफाइल हैं उनको इस एड सिस्टम के जरिए एक्जीक्यूटिव लेवल तक की जॉब ऑपशन प्रोवाइड कराई जा रही है जबकि फीमेल कैंडिडेट्स के लिए ऑटो पार्ट डीलर और गुडविल जैसी नौकरियां उपलब्ध कराईं गईं।

गूगल नहीं कर सकता कंट्रोल

दरअसल गूगल सभी एडवरटाइजर्स को जेंडर वाइस एड टारगेट करने की परमीशन देता है। ऐसे में एडवरटाइजर्स को हाई सैलरी वाली जॉब प्रोफाइल सीधे मेल को टारगेट करके बनाते हैं। वैसे गूगल का मानना है कि मेन इस पोजीशन के लिए ज्यादा डिलीवर करते हैं। फिलहाल रिसचर्स का कहना है कि, इसका सॉल्यूशन एडवरटाइजर्स को ही निकालना होगा। उन्हें गूगल की इस पॉलिसी के अगेंस्ट जाकर जेंडर को लेकर हो रहे भेदभाव को खत्म करना होगा। कुछ आंकड़ों पर नजर डालें, तो गूगल डिजिटल एड मार्केट में करीब 31 परसेंट से ज्यादा कंट्रोल किए हुए है, ऐसे में इतने बड़े सिस्टम को हैंडल करना कंपनी के लिए भी किसी चैलेंज से कम नहीं है।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari