गूगल ने आज कमलादेवी चट्टोपाध्याय की 115वीं जयंती पर खास डूडल बनाया है। कमलादेवी चट्टोपाध्याय भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पहचानी जाती हैं। इन्‍होंने भारतीय हथकरघा और रंगमंच में जान फूंकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आइए जानें आज इस खास द‍िन पर उनके बारे में कुछ खास बातें....


इन्होंने समाजशास्त्र में डिप्लोमा किया थानई दिल्ली (आईएएनएस)। गूगल ने आज कमलादेवी चट्टोपाध्याय की 115वीं जयंती पर डूडल बनाकर याद किया है। इसमें उनके द्वारा किए गए कार्यों को खूबसूरत ढंग से उकेरा गया है। इसमें कमलादेवी के स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, अभिनेता और कला के प्रमोटर यानी कि हर रूप को दिखाने की कोशिश की गई है। कमलादेवी चट्टोपाध्याय जन्म 3 अप्रैल, 1903 को मैंगलोर में हुआ था। इनका विवाह हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय से हुआ था। 20 साल की उम्र में यह लंदन चली गई थीं। यहां पर इन्होंने समाजशास्त्र में डिप्लोमा किया था। हथकरघा और रंगमंच को उन्नत की ओर ले गईं


लंदन से लौटने के बाद कमलादेवी चट्टोपाध्याय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गई। देश की आजादी में इन्होंने एक खास भूमिका अदा की थी। कमलादेवी ने राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा था। यह भारत में मद्रास प्रांत की विधान सभा से चुनाव लड़ी थीं। विधानसभा चुनाव लड़ने वाली यह पहली भारतीय महिला थीं। कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने भारतीय हथकरघा और रंगमंच को उन्नत की ओर ले जाने के लिए काफी मेहनत की थी। इन्होंने सितार और सारंगी, कार्तक नृत्य, छौ नृत्य के अलावा कढ़ाई, टोकरी बुनाई और कठपुतली को लोगों के बीच पहुंचाया था। 1987 में पद्म विभूषण से हुई थीं सम्मानित

इन्होंने फिल्मों में भी काम किया था। महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रूप से मजबूत बनाने के लिए इन्होंने जमीनी स्तर पर आंदोलन भी किए थे। भारतीय हस्तशिल्प की संस्कृति को फिर से जीवंत बनाने का श्रेय पाने वाली कमलादेवी चट्टोपाध्याय को कई बड़े सम्मान मिले थे। 1987 में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। आज वर्तमान में देश में परफॉर्मिंग आर्ट से जुड़े कई संस्थान चल रहे हैं। धार्मिक व राजनीतिक स्वतंत्रता और नागरिक अधिकार के लिए लड़ने वाली कमलादेवी ने 29 अक्टूबर 1988 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।CBSE पेपर लीक: 10वीं के स्टूडेंट को दोबारा नहीं देना होगा मैथ का एग्जाम

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Posted By: Shweta Mishra