80 के दशक में लघु कहानियों पर बनाए गए धारावाहिक मालगुडी डेज के लिए खासे लाकप्रिय हुए आरके नारायण को शायद ही कोई ऐसा हो जो न जानता हो. आज शुक्रवार को उनका 108वां जन्‍मदिन है. उनका जन्‍म मद्रास में 10 अक्‍टूबर 1906 में हुआ था और इसी शहर में मई 2001 में उन्‍होंने अंतिम सांस ली. उनके इस 108वें जन्‍मदिन के मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर आरके नारायण को श्रद्धांजलि अर्पित की है. आज मालगुडी डेज जैसी कहानियों को भले ही दशकों बीत गए लेकिन उनका अक्‍स फ‍िर भी उसको पढ़ने देखने और जानने वालों के जहन में उतना ही जिंदा है जितना कि उसके आने के समय में था. यही उनकी खूबी है.

कई पुरस्कारों से थे सम्मानित
आरके नारायण को उनकी लेखनी के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उपन्यास 'गाइड' के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा पद्म विभूषण की ओर से अलंकृत उपन्यासकार नारायण विश्वस्तरीय रचनाकारों में भी एक गिने जाते हैं. उनके उपन्यास 'गाइड' पर बनी फिल्म ने उन्हें खासी लोकप्रियता का एक और आयाम दिलाया था, जिसे आज भी लोग पूरी सहजता के साथ याद करते हैं. फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया और सराहा. स्वामी एंड फ्रेंडस, बेचलर ऑफ आर्टस और दि इंग्िलश टीचर उनकी बेहतरीन रचनाओं में से एक थे.    
चेन्नई और मैसूर थे प्रिय क्षेत्रों में से एक
दक्षिण भारत के मैसूर और चेन्नई उनके प्रिय क्षेत्रों में से एक थे. अपने इन प्रिय क्षेत्रों में घुमना उन्हें बेहद पसंद था. यहां घूमते हुए नारायण ने आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच यहां-वहां ठहरते साधारण चरित्रों को गौर से देखा और उन्हें अपने असाधारण कथा-शिल्प के ज़रिये, अपना चरित्र बना लिया. उनकी लिखी  'मालगुडी डेज' की कहानी पर 1986 में दूरदर्शन ने धारावाहिक भी बनाया, जिसे दर्शक आज भी याद करते हैं और जब कभी भी खुशियों के पलों में कथा कहानियों को याद करते हैं तो एक बार उसका नाम लेना नहीं भूलते.
बच्चों पर हुआ था धारावाहिक का खास असर
इस धारावाहिक का बच्चों पर गहरा असर पड़ा. धारावाहिक में स्वामी एंड फ्रेंड्स तथा वेंडर आफ स्वीट्स जैसी लघु कथाओं व उपन्यासों को शामिल किया गया था. इस धारावाहिक को हिन्दी व अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में बनाया गया था. दूरदर्शन पर मालगुडी डेज़ के कुल 39 एपिसोड प्रसारित हुए. इसके बाद यह धारावाहिक मालगुडी डेज़ रिटर्न नाम से पुनर्प्रसारित भी हुआ. धारावाहिक में दिखाए गए चित्रों को नारायण के भाई और जाने-माने कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण ने तैयार किया था. नारायण का पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी एय्यर नारायण स्वामी था. वह अंग्रेजी साहित्य के महान उपन्यासकारों में भी एक गिने जाते हैं. उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी ज्यादातर रचनाएं की.

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Posted By: Ruchi D Sharma